आन्तरिक विस्थापन संकट: 'वास्तविक प्रगति' के लिये नई यूएन योजना

हिंसक संघर्षों, टकरावों, आपदाओं, जलवायु व्यवधानों और अन्य त्रासदियों के कारण, अपने गृहभूमि में ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है. इस पृष्ठभूमि में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने देशों की सीमाओं के भीतर विस्थापित होने वाले लोगों की सहायता और इस संकट का अन्त करने के लिये अपना नया कार्रवाई एजेण्डा प्रस्तुत किया है.
महासचिव गुटेरेश ने शुक्रवार को जारी Action Agenda on Internal Displacement में यूएन प्रणाली द्वारा लिये गए 31 संकल्पों का खाका पेश किया है.
इस कार्रवाई एजेण्डा के ज़रिये आन्तरिक विस्थापन से बेहतर ढँग से निपटने, उसकी रोकथाम करने और वजहों को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.
Today I launched my Action Agenda on Internal Displacement.With more than 59M people internally displaced at the end of 2021, we must dramatically step up efforts to resolve, prevent, and address displacement crises. https://t.co/YBRiaMHrJ2
antonioguterres
साथ ही, देशों, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं, निजी सैक्टर और अन्य हितधारकों से कार्रवाई की पुकार लगाई गई है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “मुझे स्पष्टता से कहने दें: विस्थापन का अन्त करने का सर्वप्रथम दायित्व सरकारों का है. लेकिन, कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है.”
इस कार्रवाई एजेण्डा को तैयार करने में वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट का सहारा लिया गया है, जोकि महासचिव द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय आयोग ने पेश की थी.
इस रिपोर्ट में घरेलू विस्थापन संकट से निपटने में ठोस अनुशन्साओं की शिनाख़्त की गई है.
पिछले वर्ष, अपने देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या पाँच करोड़ 91 लाख के आँकड़े पर पहुँच गई.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की एक नई रिपोर्ट ने मई महीने में दर्शाया कि 2020 की तुलना में 40 लाख अतिरिक्त लोग विस्थापित हुए हैं.
अनेक लोग सालों, यहाँ तक की दशकों से अपने घरों से विस्थापित हैं और ऐसा अक्सर हुआ है. अन्य प्रभावितों को हाल के समय में जान बचाने के इरादे से भागने के लिये मजबूर होना पड़ा है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “केवल तीन महीनों के भीतर, यूक्रेन में युद्ध के कारण एक करोड़ 30 लाख लोग अपने घर व समुदायों से बाहर हुए हैं, और इनमें से क़रीब दो-तिहाई यूक्रेन में ही रह रहे हैं.”
इस कार्रवाई एजेण्डा में संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों से, वास्तविक प्रगति हासिल करने के लिये, एक साथ मिलकर काम करने के तौर-तरीक़ों में ज़रूरी बुनियादी बदलाव लाने का आग्रह किया गया है.
या जैसाकि महासचिव गुटेरेश ने रिपोर्ट में कहा, “पहले जैसे ही काम करते जाना पर्याप्त नहीं है.” रिपोर्ट में घरेलू विस्थापितों की मदद के लिये तीन अहम उद्देश्यों को प्रस्तुत किया गया है”
- प्रभावितों के लिये स्थाई समाधान की तलाश
- भविष्य में विस्थापन संकट की रोकथाम के लिये उपाय
- विस्थापन का सामना कर रहे लोगों का संरक्षण व सहायता
संयुक्त राष्ट्र की कुछ प्रतिबद्धताएँ, समाधानों व निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं के दौरान आन्तरिक विस्थापितों व स्थानीय समुदायों का समावेशन सुनिश्चित करने पर केन्द्रित हैं.
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के अन्तर्गत कामकाज में विस्थापन की चुनौती से और अधिक व्यवस्थित ढँग से निपटने के प्रयास किये जाएंगे.
इस क्रम में, राष्ट्रीय और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करने के प्रयासों पर बल दिया गया है, ताकि विस्थापन को आपदा-जोखिम में कमी लाने की नीतियों व योजनाओं का हिस्सा बनाया जा सके.
रिपोर्ट बताती है कि ये तीन लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं. कोई भी समाधान तब तक सतत नहीं है, जब तक किसी अन्य संकट का जोखिम मंडरा रहा हो.
कोई भी सहायता तब तक पर्याप्त नहीं होगी, जब तक उसकी बुनियादी वजहों को दूर ना किया जाए, और रोकथाम उपाय तब तक सफल नहीं हो सकते हैं, जब तक अतीत के संकटों को ना सुलझाया गया हो.
यूएन प्रमुख ने कहा कि आन्तरिक विस्थापन का शिकार लोगों की व्यथा का अन्त, एक मानव कल्याण मुद्दे से कहीं अधिक है.
“इसके लिये एकीकृत उपायों की ज़रूरत होगी, जिसमें विकास, शान्तिनिर्माण, मानवाधिकार, जलवायु कार्रवाई और आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रयासों को साथ मिलाना होगा.”
उन्होंने साझीदार संगठनों से बदलाव लाने के लिये संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करने का आग्रह किया है, ताकि मानव पीड़ा में कमी लाई जा सके और देशों की सीमाओं के भीतर विस्थापितों के लिये एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर पाना सम्भव हो.