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आधी अफ़ग़ान आबादी के समक्ष भुखमरी का संकट - तत्काल सहायता की पुकार

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में यूएन खाद्य कार्यक्रम समर्थिक एक पोषण केंद्र पर माताएँ व बच्चे.
© WFP/Marco Di Lauro
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में यूएन खाद्य कार्यक्रम समर्थिक एक पोषण केंद्र पर माताएँ व बच्चे.

आधी अफ़ग़ान आबादी के समक्ष भुखमरी का संकट - तत्काल सहायता की पुकार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में सूखे, हिंसक संघर्ष व अस्थिरता, कोविड-19 और आर्थिक संकट के कारण, देश की आधी से अधिक आबादी के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं है, जिससे उनके जीवन के लिये ख़तरा पैदा हो रहा है. 

देश में भुखमरी के रिकॉर्ड स्तर को दर्शाती, ‘Integrated Food Security Phase Classification’ (आईपीसी) नामक रिपोर्ट को खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने साझा रूप से तैयार किया है. 

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रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा हालात में दो करोड़ 28 लाख लोगों की ज़िन्दगियों, आजीविकाओं और खाद्य सुलभता पर गम्भीर असर होने की आशंका है.

यूएन खाद्य एवं कृषि एजेंसी के प्रमुख क्यू डोंग्यू ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में दक्षता व कारगरता के साथ, राहत सेवाओं का स्तर तेज़ी से बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. 

उन्होंने कहा कि यह कार्य, सर्दियों के मौसम से पहले पूरा किया जाना होगा, चूँकि तब देश का एक बड़ा हिस्सा सम्पर्क से कट जाता है.

इसके अभाव में, लाखों किसानों, महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों के सामने, जमा देने वाली सर्दी में भूखे रहने का ख़तरा है. 

आईपीसी रिपोर्ट बताती है कि इस साल नवम्बर से लेकर अगले वर्ष मार्च महीने तक, 50 फ़ीसदी से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों को, श्रेणी 3, संकटपूर्ण हालात, या श्रेणी 4, आपात हालात स्तरीय गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है.

मानवीय विनाश के इन हालात को टालने के लिये तत्काल, एक अन्तरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई का आहवान किया गया है. 

बढ़ती ज़रूरतों के मद्देनज़र, राहत अभियान के लिये संसाधनों को अभूतपूर्व स्तर पर संगठित प्रयासों की आवश्यकता है. 

इसके बावजूद, यूएन की जवाबी कार्रवाई योजना के लिये कुल ज़रूरी रक़म के एक-तिहाई का ही इन्तज़ाम किया जा सका है. 

आईपीसी विश्लेषण

यूएन द्वारा, अफ़ग़ानिस्तान में 10 वर्षों से आईपीसी विश्लेषण किया जाता रहा है, मगर यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के गम्भीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित होने की आशंका जताई गई है. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने बताया कि भुखमरी बढ़ रही है और बच्चों की मौत हो रही है. 

“हम वादों से लोगों का पेट नहीं भर सकते हैं. रक़म के संकल्पों को नकद़ राशि में बदला जाना होगा, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आकर, इस संकट को हल करना होगा, जोकि नियंत्रण से बाहर हो रहा है.”

रिपोर्ट के मुताबिक़, इस वर्ष अप्रैल में पिछली समीक्षा रिपोर्ट से अब तक, भुखमरी से पीड़ित होने वाले अफ़ग़ान नागरिकों की संख्या में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

कुपोषण संकट

प्रभावितों में, पाँच वर्ष से कम उम्र के 32 लाख बच्चे भी हैं, जिनके इस वर्ष के अन्त तक कुपोषण से पीड़ित होने की आशंका व्यक्त की गई है.   

पिछले महीने, विश्व खाद्य कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चेतावनी जारी की थी कि जीवनदायी उपचार के अभाव में और गम्भीर कुपोषण की वजह से, दस लाख बच्चों की मौत होने का जोखिम है. 

यह पहली बार है जब शहरी इलाक़ों के निवासियों के खाद्य असुरक्षा से पीड़ित होने की दर, ग्रामीण समुदायों में व्याप्त दर के समान ही है. 

व्यापक बेरोज़गारी और नक़दी संकट की पृष्ठभूमि में, बड़े शहरी केंद्रों पर भी आपात स्तर की खाद्य असुरक्षा (श्रेणी 4) का शिकार होने का ख़तरा है – इनमें पूर्व मध्य वर्ग आबादी भी हैं. 

ग्रामीण इलाक़ों में, चार वर्षों में दूसरी बार गम्भीर सूखा पड़ने की वजह से 73 लाख लोगों की आजीविका पर असर हुआ है, जो गुज़ारे के लिये मुख्यत: कृषि व मवेशियों पर निर्भर हैं.