क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में न्यायसंगत टीकाकरण सुनिश्चित किये जाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इसराइल से आग्रह किया है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में रह रहे फ़लस्तीनियों के लिये कोविड-19 वैक्सीन के त्वरित और न्यायसंगत वितरण को सुनिश्चित किया जाना होगा. ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में कोविड-19 महामारी के कारण संक्रमणों और मौतों की संख्या बढ़ रही है जिससे चिन्ता गहरा रही है.
इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़लस्तीनी इलाक़ों में मानवाधिकार स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि (रैपोर्टेयर) माइकल लिंक और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के सर्वोच्च मानकों को सभी के लिये सुनिश्चित करने के मुद्दे पर विशेष रैपोर्टेयर त्लालेन्ग मोफ़ोकेन्ग ने गुरुवार को यह साझा वक्तव्य जारी किया है.
UN experts call on #Israel to ensure swift and equitable access to #COVID19Vaccines for Palestinians under occupation. Morally and legally, differential access to necessary health care amid worst global health crisis in a century is unacceptable. Read 👉 https://t.co/reNiFEhgZq pic.twitter.com/cD6lsPqJLT
UN_SPExperts
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में मार्च 2020 से अब तक एक लाख 60 हज़ार से फ़लस्तीनियों के कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है.
एक हज़ार 700 से ज़्यादा मौतें हुई हैं और हाल के हफ़्तों में संक्रमणों के मामले और मौतों की संख्या बढ़ रही हैं.
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक क़ाबिज़ पूर्व येरुशलम में निवासी दर्जा प्राप्त फ़लस्तीनियों को इसराइल ने वैक्सीन लगाने का प्रस्ताव दिया है. लेकिन इसराइल ने क़ाबिज़ पश्चिमी तट और ग़ाज़ा के बाशिन्दों के लिये निकट भविष्य में टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की है.
विशेष रैपोर्टेयर ने चिन्ता जताई है कि पश्चिमी तट और ग़ाज़ा बुरी तरह कोरोनावायरस संकट की चपेट में आये हैं जिससे पहले से संसाधनों की कमी से जूझ रही फ़लस्तीनी स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ बढ़ा है.
“हम ग़ाज़ा में बदतर होते स्वास्थ्य हालात पर विशेष रूप से चिन्तित हैं, जोकि 13 वर्षों से जारी नाकेबन्दी, बिजली व जल की गम्भीर किल्लत और ग़रीबी व बेरोज़गारी से पीड़ित है.”
टीकाकरण की आस
फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने कोविड-19 टीकों के इन्तज़ाम के लिये अलग से आदेश दिये हैं लेकिन ग़ाज़ा और पश्चिमी तट के इलाक़ों में अभी उनके कई हफ़्तों तक उपलब्ध होने की फ़िलहाल उम्मीद नहीं है.
विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियाँ अगर जारी रहीं तो फिर 45 लाख से ज़्यादा फ़लस्तीनी सुरक्षा घेरे से बाहर रहेंगे और कोविड-19 से संक्रमण का ख़तरा झेलेंगे जबकि उनके पास और बीच रह रहे इसराइली नागरिकों का टीकाकरण किया जायेगा.
“नैतिक और क़ानूनी रूप से स्वास्थ्य देखभाल की सुलभता में यह भेदभाव सदी के एक बेहद ख़राब वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान अस्वीकार्य है.”
विशेषज्ञों ने चौथी जिनीवा सन्धि का ध्यान दिलाते हुए कहा कि क़ाबिज़ पक्ष के तौर पर इसराइल अपने क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को बरक़रार रखने के लिये हरसम्भव प्रयास करने की अपेक्षित है.
साथ ही सन्धि में ज़रूरत पड़ने पर संसाधनों की कमी से जूझ रहे जनसमूहों के लिये राहत योजनाएँ सुनिश्चित करने का भी उल्लेख किया गया है.
विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि स्वास्थ्य का अधिकार बुनियादी मानवाधिकारों से जुड़ा मसला है. क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून लागू होता है जिसके तहत सर्वजन को शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम मानकों के मुताबिक जीवन गुज़ारने का अधिकार है.
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये इसराइल द्वारा शुरू किये गये टीकाकरण कार्यक्रम की सराहना की है.
ग़ौरतलब है कि इसराइल ने किसी अन्य देश की तुलना में देश की आबादी के ज़्यादा बड़े हिस्से को टीका लगाने में सफलता मिली है.
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