ज़िम्बाब्वे में खाद्य संकट के हालात, मानवीय सहायता की नई अपील
पश्चिम अफ्रीकी देश ज़िम्बाब्वे में सूखा, बाढ़ और आर्थिक जड़ता की वजह से परिस्थितियाँ बहुत ख़राब हो गई हैं. देश में भुखमरी के हालात के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र खाद्य सहायता एजेंसी ने मानवीय सहायता की नई अपील जारी की है ताकि इन प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों से प्रभावित लोगों को भोजन सामग्री मुहैया कराई जा सके.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रवक्ता हार्वी वेरहूसेल ने बुधवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा, "ज़िम्बाब्वे में बहुत कठिन मानवीय स्थिति से निपटने के लिए कल मानवीय समुदाय ने तुरंत रक़म जुटाने की अपील की थी."
This morning we had productive, practical discussions w/ @edmnangagwa & his team about working together strategically to help solve the serious food security issues in #Zimbabwe. Our hope is to create a brighter future, one where every child can fulfill his or her dreams. pic.twitter.com/Ya54fZUjKw
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"विश्व खाद्य कार्यक्रम सहायता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, विशेष रूप में सूखा प्रभावित इलाक़ों में रहने वाले लोगों के लिए, लेकिन जलवायु परिवर्तन के झटकों का सामना करने के लिए सामुदायिक क्षमता विकसित करने की भी ज़रूरत है."
ज़िम्बाब्वे किसी समय में पश्चिम अफ्रीका क्षेत्र में सबसे बड़े खाद्य उत्पादक देश के रूप में जाना जाता था, यहाँ तक कि उसे अफ्रीका का 'ब्रेड बास्केट' कहा जाता था. लेकिन वर्ष 2019 के
आरंभ में जब ज़िम्बाब्वे में इडाई नामक तूफ़ान ने तबाही मचाई तो लगभग पाँच लाख 50 हज़ार लोग प्रभावित हुए. साथ ही मोज़ाम्बीक और मलावी में भी व्यापक नुक़सान हुआ था.
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने ज़िम्बाब्वे में इन हालात का सामना करने के लिए रक़म इकट्ठा करने की जो अपील की है वो जनवरी 2019 से लेकर अप्रैल 2020 तक की अवधि में होने वाले ख़र्च को पूरा करेगी. इसके लिए लगभग 33 करोड़ 15 लाख डॉलर की रक़म की ज़रूरत होगी.
अतिरिक्त सहायता तुरंत ज़रूरी
एजेंसी का कहना है कि देश के ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली कुल आबादी का क़रीब एक तिहाई हिस्सा यानी लगभग 36 लाख लोगों के पास अक्तूबर 2019 तक समुचित मात्रा में खाद्य सामग्री नहीं रहेगी. जनवरी 2020 तक खाद्य असुरक्षा वाली आबादी की संख्या बढ़कर लगभग 55 लाख हो जाने की संभावना है.
ये समय दो फ़सलों की पैदावार मिलने के बीच की अवधि होती है. ये भी कहा गया है कि ज़िम्बाब्वे के सभी 60 में से ज़्यादातर ज़िलों में मक्का के भंडार अक्तूबर तक ख़त्म हो जाएंगे.
प्रवक्ता ने कहा कि ये स्थिति ग्रामीण आबादी के लगभग 60 फ़ीसदी हिस्से को प्रभावित करेगी. उन्होंने ये भी बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम अगस्त महीने में सात लाख लोगों को खाद्य सहायता उपलब्ध करा रही है.
प्रवक्ता ने कहा कि जब खाद्य भंडार कम होंगे तो एजेंसी कमी को पूरा करने की कोशिश करेगी. इस अभियान के तहत अक्तूबर से लेकर दिसंबर की अवधि में क़रीब 17 लाख लोगों की मदद की जाएगी. जनवरी से अप्रैल के दौरान लगभग 20 लाख लोगों को खाद्य सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन ये तभी संभव होगा जब समुचित रक़म इकट्ठा हो पाएगी.
एजेंसी का कहना है कि अगले नौ महीनों के दौरान इस योजना पर काम करने के लिए लगभग 17 करोड़ 30 लाख डॉलर की रक़म की ज़रूरत होगी. इस अभियान के दौरान मानवीय सहायता की विभिन्न गतिविधियों के ज़रिए लोगों की मदद की जाएगी.
एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ये रक़म तुरंत मुहैया कराने का आहवान किया है.
प्रवक्ता ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि तूफ़ान और सूखा जैसे जलवायु घटनाक्रमों का तुरंत बहुत बुरा असर नज़र आता है, ख़ासतौर से ग्रामीण आबादी पर. प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आहवान करते हुए कहा कि इस आपात स्थिति का सामना करने के लिए बिना देरी के धन मुहैया कराए.