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प्रगति के लिए 'बेहद ज़रूरी' है पर्यावरण संरक्षण

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था की सद्भावना दूत दिया मिर्ज़ा को एसडीजी लक्ष्यों की पैरोकार के रूप में भी नियुक्त किया गया है.
UN Environment/Natalia Mroz
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था की सद्भावना दूत दिया मिर्ज़ा को एसडीजी लक्ष्यों की पैरोकार के रूप में भी नियुक्त किया गया है.

प्रगति के लिए 'बेहद ज़रूरी' है पर्यावरण संरक्षण

एसडीजी

टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा नियुक्त पैरोकारों में शामिल भारतीय अभिनेत्री मिर्ज़ा ने कहा है कि लोगों के लिए स्वस्थ जीवन, न्याय और शांति जैसे मुद्दे सीधे तौर पर जलवायु कार्रवाई और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हैं. यूएन समाचार के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बन जाएगा और इसलिए यह आवश्यक है कि बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल सही ढंग से किया जाए.

दिया मिर्ज़ा हाल के वर्षों में  पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण में एक प्रभावशाली आवाज़ के रूप में उभरी हैं.

पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर ज़ागरूकता फैला रहीं दिया मिर्ज़ा को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था ने नवंबर 2017 में भारत के लिए सद्भावना दूत भी नियुक्त किया था.

मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने दिया मिर्ज़ा को 17 एसडीजी पैरोकारों की सूची में शामिल किया जो टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने, उनके प्रति जागरूकता फैलाने और तत्काल कार्रवाई के लिए महत्वाकांक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

यूएन न्यूज़ की एलिज़ाबेथ स्कैफ़डी ने दिया मिर्ज़ा से ईमेल पर बातचीत की.


प्रश्न: टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बारे में पहली बार आपको कैसे पता चला?

जवाब: मुझे पहली बार एसडीजी के बारे में वर्ष 2015 में जानकारी मिली – 25 सितंबर के ठीक बाद जब 193 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2030 विकास एजेंडा को पारित किया. उसी महीने नई दिल्ली में ‘सोशल गुड समिट’ का आयोजन हुआ जिसमें मैंने शिरकत की थी.  हमने टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर और नवप्रवर्तन (इनोवेशन) व तकनीक और व्यवसाय में आ रहे बदलावों पर चर्चा करते हुए समझने का प्रयास किया कि वे किस तरह एक टिकाऊ भविष्य संभव बनाएंगे.

प्रश्न: आप किस टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) से ख़ुद को ज़्यादा जुड़ा हुआ पाती हैं और क्यों?

जवाब: एसडीजी 11, 13, 14 और 15 में मेरी ख़ास दिलचस्पी है जो टिकाऊ शहरों, समुदायों, जलवायु कार्रवाई, समुद्री जीवन और धरती पर जीवन से जुड़े हैं. अगर हम अपने सामूहिक प्रयासों के ज़रिए यह सुनिश्चित नहीं कर पाएंगे इन एसडीजी पर कारगर ढंग से अमल हो तो मुझे नहीं लगता कि अन्य टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाना संभव भी होगा.

प्रश्न: एसडीजी के लिए पैरोकार बनने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?

जवाब: सभी टिकाऊ विकास लक्ष्य हर बात के लिए अपने आप में प्रेरणा हैं: पृथ्वी, शांति और लोगों के लिए. यह एक प्लेटफ़ॉर्म है जिसके लिए मैं शुक्रगुज़ार हूं क्योंकि इससे संरक्षण की आवाज़ों को दुनिया भर में लोगों, प्रभावशाली चेहरों और नीतिनिर्धारकों तक पहुंचाने में मदद मिलती हैं; जिससे हम सभी को ख़ुद बदलाव लाने में मदद मिल सकती है.

प्रश्न: एक एसडीजी पैरोकार के तौर पर, टिकाऊ विकास के लिए आप किस तरह 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाएंगी?

जवाब: यह ज़रूरी है कि लोग और सरकार इस बात को मान लें कि अगर पर्यावरण के स्वास्थ्य को सुरक्षित नहीं बनाया गया तो हम कभी प्रगति की आशा नहीं कर सकते. हमारे लोगों का स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा, उनके लिए न्याय और शांति जैसे सभी मुद्दे सीधे तौर पर जलवायु कार्रवाई से प्रभावित होते हैं.

भारत जल्द ही सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश होगा और यहां के निवासियों की ज़रूरतों को प्राकृतिक संसाधनों के ज़रिए ही पूरा किया जा सकेगा.

मैं प्रभावी नीतियों पर अमल और मानवीय व्यवहार में बदलाव के लिए वकालत के ज़रिए आशा करती हूं कि पर्यावरण की सेहत को ठीक करना संभव हो सकेगा. स्वच्छ हवा, स्वच्छ समुद्र/जल, स्वच्छ मिट्टी, और कारगर कचरा प्रबंधन प्रणाली जो पूरे देश में लागू हो सके.

मैं आशा करती हूं कि इस काम में उत्पाद के निर्माताओं की ज़िम्मेदारीं बढ़ाना सुनिश्चित कर सकूं, हमारे वन और वन्य जीवन का संरक्षण हो और हमारी नदियां स्वच्छ और फिर से फल-फूलें. मैं बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करूंगी क्योंकि जलवायु अन्याय और पर्यावरण की दुर्दशा से सबसे ज़्यादा वही प्रभावित होते हैं.

प्रश्न: क्या आप और कुछ बताना चाहेंगी?

जवाब: जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व भर में हर किसी के जीवन और आजीविका पर प्रभाव पड़ रहा है – ख़ासकर कम विकसित देशों जैसे मेरे भारत देश पर. अगर हमने स्वास्थ्य, शांति, समानता, न्याय, कल्याण और मानवीय गरिमा में वास्तविक प्रगति होने की उम्मीद लगाई है तो यह ज़रूरी है कि हम जलवायु कार्रवाई की दिशा में काम करें ताकि हमारे देश के नागरिकों की ज़िंदगियों की सुरक्षा हो सके.

यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि भारत विश्व में सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बनने जा रहा है और भौगोलिक दृष्टि से भारत उतना विस्तृत नहीं है. इसका अर्थ यह है कि हमारी ज़रूरतें और प्राकृतिक संसाधनों पर हमारी निर्भरता हमारे विकास और अवसरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी.