वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
पृथ्वी की इस तस्वीर को अमेरिका के एक अन्तरिक्ष यात्री द्वारा लिया गया है.

पृथ्वी को पहुँची क्षति की भरपाई और जलवायु कार्रवाई - पाँच समाधान

© NASA
पृथ्वी की इस तस्वीर को अमेरिका के एक अन्तरिक्ष यात्री द्वारा लिया गया है.

पृथ्वी को पहुँची क्षति की भरपाई और जलवायु कार्रवाई - पाँच समाधान

जलवायु और पर्यावरण

अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस चिन्तन मनन करने का एक अवसर है कि मानवता ने हमारे ग्रह के साथ किस तरह का बर्ताव किया है. और सही बात ये है कि हम ख़राब रखवाले साबित हुए हैं. जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल (IPCC) की रिपोर्टों में पृथ्वी की मौजूदा हालत की चिन्ताजनक तस्वीर उकेरी गई है, मगर आशा का दामन छोड़ने का कारण नहीं है. दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई के लिये, पहले से कहीं अधिक गम्भीर प्रयास किये जा रहे हैं और लोग पृथ्वी को पहुँची क्षति की भरपाई करने के लिये एक साथ मिलकर समाधानों पर काम कर रहे हैं.  

इस महत्वपूर्ण जानकारी से पहले, मगर, मौजूदा संकट की गम्भीरता को समझना भी ज़रूरी है. 

पृथ्वी एक तिहरे संकट का सामना कर रही है: जलवायु व्यवधान, प्रकृति व जैवविविधता हानि, प्रदूषण व अपशिष्ट.

यूएन प्रमुख ने पृथ्वी दिवस 2022 के लिये अपने वीडियो सन्देश में चेतावनी जारी करते हुए कहा कि, यह तिहरा संकट, दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोगों के कल्याण और वजूद के लिये ख़तरा उत्पन्न कर रहा है.  

उन्होंने कहा कि स्वस्थ व प्रसन्न जीवन के मूल आधार – स्वच्छ जल, ताज़ी हवा, एक स्थिर व पूर्वानुमेय जलवायु – सभी अव्यवस्थित हैं, जिससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिये जोखिम बढ़ रहा है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अच्छी ख़बर यह है कि अभी भी आशा की जा सकती है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि 50 वर्ष पहले स्टॉकहॉम में ‘मानव पर्यावरण पर यूएन सम्मेलन’ के दौरान, दुनिया एक साथ आई, जोकि वैश्विक पर्यावरणीय आन्दोलन की शुरुआत थी. 

“हमने ओज़ोन परत में बने छिद्र को भर दिया है. हमने वन्य जीवन और पारिस्थितिकियों के लिये सुरक्षाओं का दायरा बढ़ाया है.”

“हमने सीसायुक्त ईंधन का प्रयोग बन्द कर दिया है जिससे लाखों लोगों की समय पूर्व मौत से रक्षा हुई है. और अभी पिछले महीने ही, हमने प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिये, ऐतिहासिक वैश्विक प्रयास शुरू किया है.”

सकारात्मक प्रगति का ये रुझान वहीं नहीं रूका है और हाल ही में स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को मान्यता दी गई है और पृथ्वी पर मंडराते संकटों से निपटने के प्रयासों में युवजन की भूमिका व संख्या निरन्तर बढ़ रही है.

महासचिव ने कहा, “हमने साबित किया है कि एक साथ मिलकर हम विशाल चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.”

निश्चित रूप से, हमारे घर की रक्षा के लिये अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है.

मगर, पृथ्वी दिवस मनाते समय, हम ऐसी पाँच परियोजनाओं को रेखांकित करना चाहते हैं, जिनके ज़रिये पृथ्वी को पहुँची क्षति की भरपाई करने का प्रयास किया जा रहा है. 

ये समाधान, पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली पर यूएन दशक के तहत बुनियादी उपायों का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य पर्यावरण पर मरहम लगाना है.

इसका लक्ष्य हर महाद्वीप और महासागर में पारिस्थितिकी तंत्रों को हुए नुक़सान व क्षरण की रोकथाम करना, उस पर विराम लगाना और उसकी दिशा को पलटना है.

संकट से गुज़रती पृथ्वी की पुनर्बहाली के लिये मानवता, निम्न पाँच समाधानों के साथ आगे बढ़ रही है:

1. कोयला खदानों को कार्बन भण्डार में तब्दील करना

Green Forests Work के कार्यकर्ता अमेरिका में कोयला खनन परियोजनाओं से प्रभावित भूमि पर वनों की पुनर्बहाली के लिये प्रयासरत हैं.
© Green Forests Work
Green Forests Work के कार्यकर्ता अमेरिका में कोयला खनन परियोजनाओं से प्रभावित भूमि पर वनों की पुनर्बहाली के लिये प्रयासरत हैं.

पूर्वी अमेरिका में ऐपालाचिया, भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्र है, जहाँ केन्टकी, टेनेसी, वर्जीनिया और पश्चिम वर्जीनिया स्थित हैं और इसका नाम ऐपालाचियाई पर्वतों पर पड़ा है.

'Green Forests Work' नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन, कोयला खनन परियोजनाओं से प्रभावित भूमि पर वनों की पुनर्बहाली के लिये प्रयासरत है.

सतह खनन एक ऐसी तकनीक है, जिसमें भूमि की सतह से नीचे 200 फ़ीट से कम दूरी पर पाए जाने वाले कोयले को निकाला जाता है.

बड़ी मशीनों के ज़रिये मृदा की ऊपरी सतह, चट्टानों को हटाया जाता है और कोयले की ऊपरी तह नज़र आ जाती है.

खननकर्मी अक्सर डायनामाइट का भी इस्तेमाल करते हैं और पर्वतों के ऊपरी हिस्से को हटाते हैं ताकि कोयले की तह तक पहुँच सकें.  

एक बार खनन का कार्य पूरा होने के बाद, कभी हरा-भरा रहा वन, घास के मैदान में तब्दील हो जाता है, जहाँ अक्सर ऐसे पौधें उगते हैं जो वहाँ की मूल प्रजाति से नहीं हैं. 

इसका अर्थ है, विशाल वन भूमि क्षेत्र की हानि और प्रजातियों का विस्थापन व हानि.   

इस अविश्वसनीय क्षति की भरपाई के लिये, वर्ष 2009 से Green Forests Work उस भूमि की पुर्नबहाली करने के लिये प्रयासरत है, जहाँ खनन किया जा चुका है और इस क्रम में अब तक छह हज़ार एकड़ के दायरे में 40 लाख, उस इलाक़े के मूल वृक्ष लगाए गए हैं.  

माइकल फ़्रेंच ने यूएन न्यूज़ को बताया कि अनेक भूमि खदान क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन से निपटने के उद्देश्य से किये जाने वाले वृक्षारोपण के लिये सर्वोत्तम स्थलों में हैं.

चूँकि खनन के बाद फिर से इस्तेमाल में लाए जाने वाली भूमि में जैविक कार्बन की मात्रा शुरुआत में बहुत कम होती है, और इसलिये वे दशकों तक कार्बन भण्डार के रूप में काम कर सकते हैं. 

उन्होंने कहा कि इन भूमियों पर मूल वनों की पुनर्बहाली के ज़रिये, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की पुनर्बहाली की जा सकती है, जिसमें स्वच्छ वायु एवं जल, बेहतर वन्यजीव पर्यावास, कार्बन सोखकर जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के उपाय और एक टिकाऊ आर्थिक संसाधन आधार को आकार देना है.

“हम GFW  में यह आशा करते हैं कि हर कोई बाहर जाकर प्राकृतिक दुनिया के आश्चर्यों का अनुभव करेगा, और इस पृथ्वी दिवस पर और हर दिन, अपने आस पास की दुनिया को बेहतर बनाने में योगदान देगा.”

2. पारिस्थितिकी तंत्र जुड़ाव की पुनर्बहाली

इस 300 मीटर लम्बे क्षेत्र में नॉवोनुप रेंजर टीम ने रोपण किया है.
© Greening Australia
इस 300 मीटर लम्बे क्षेत्र में नॉवोनुप रेंजर टीम ने रोपण किया है.

20 वर्ष पहले, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पश्चिमी कोने की एक सैटेलाइट तस्वीर ने दर्शाया था कि मानव गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनस्पति को नुक़सान पहुँचा है – क्षेत्र में हज़ारों किलोमीटर तक फैली दो-तिहाई वनस्पति को साफ़ कर दिय गया है.  

और अधिकाँश क्षेत्र में, केवल 5-10 फ़ीसदी ही प्राकृतिक अविकसित क्षेत्र बचा था.

मगर, उन्होंने महसूस किया कि जैवविविधता के अनेक ‘हॉटस्पॉट’, संरक्षण क्षेत्रों में अब भी बरक़रार हैं लेकिन एक हज़ार किलोमीटर के दायरे में वे आपस में जुड़े हुए नहीं हैं.

प्राकृतिक पर्यावासों के विशाल हिस्से यदि एक दूसरे से अलग रहें, तो प्रजातियों के उदभव और जीवन फलना-फूलना जारी रह पाना सम्भव नहीं है. 

पक्षियों और पशुओं की अनेक प्रजातियाँ, लघु, अलग-थलग आबादियों तक सीमित रह गई हैं, जिन पर दबाव बढ़ रहा है.

अगर उन्हें फिर से आपस में नहीं जोड़ा गया, तो अनेक प्रजातियों के लुप्त हो जाने का ख़तरा है, जिसकी रोकथाम के लिये 'Gondwana Link' के पर्यावरण कार्यकर्ता प्रयारत है. 

इस संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कीथ ब्रैडबी ने यूएन न्यूज़ को बताया कि पर्यावासों को संरक्षित किया जाता है, उनकी पुनर्बहाली सुनिश्चित की जाती है और आपस में जोड़ा जाता है, ताकि वन्यजीवन, अर्ध शुष्क वृक्ष भूमि से ऊँचे, नम वनों तक पहुँच सके. 

उन्होंने कहा कि इस कार्य को ऐसे तौर-तरीक़ों से किया जा रहा है ताकि नूनगर र न्गाड्जू लोगों की आकाँक्षाओं को समर्थन दिया जा सके, जिन्हें औपनिवेशिक काल में वंचित कर दिया गया था, अब अब उन्हें फिर से अपने अधिकार प्राप्त हो रहे हैं.

वे एक बार अपनी भूमि के रखवाले बन रहे हैं.

कीथ ब्रैडबी ने बताया कि समूहों, व्यवसायों और व्यक्तियों से मिले सहयोग के परिणामस्वरूप डेढ़ करोड़ हैक्टेयर पर्यावास क्षेत्र को अब Great Western Woodlands के तौर पर जाना जाता है.

इस संगठन के कार्य को विश्व में एक ऐसे उदाहरण के रूप में देखा जाता है कि विशाल स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली किस रूप में नज़र आएगी.

3. ‘जीवित’ बचे प्रवाल खण्ड (coral fragments) का प्रत्यारोपण

Laughing Bird Caye National Park में प्रवालों की पुनर्बहाली की गई है.
© Fragments of Hope
Laughing Bird Caye National Park में प्रवालों की पुनर्बहाली की गई है.

यह तस्वीर बेलिज़े में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, Laughing Bird Caye National Park की है. यह दर्शाती है कि विरंजन (bleaching) का शिकार होने से मृतप्राय होने का जोखिम झेल रही एक प्रवाल भित्ति को किस तरह पुनर्बहाल किया गया है.  

प्रवाल भित्तियाँ, जैवविविधता के नज़रिये से पृथ्वी के बेहद मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र हैं, और यहाँ सभी प्रकार के समुद्री जीवन का 25 फ़ीसदी पोषित होता है. 

मगर, जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों के बढ़ते तापमान और अम्लीकरण के कारण, इस सदी के अन्त तक उन के लुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है. 

यदि ऐसा हुआ तो इसके ना सिर्फ़ समुद्री जीवन बल्कि दुनिया भर में एक अरब लोगों पर भी विनाशकारी नतीजे होंगे, जोकि उन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर हैं. 

‘Fragments of Hope’ के ज़रिये तबाह हो चुकी भित्तियों को फिर से रोपा जा रहा है और इसके लिये दक्षिणी बेलिज़ में आनुवांशिक रूप से विविध, स्फूर्त और सुदृढ़ प्रवालों की मदद ली जा रही है.  

लीसा कार्ने इस संगठन की संस्थापक हैं और एक गोताखोर भी. उन्होंने बताया कि व्यापक पैमाने पर प्रवाल विरंजन की घटनाओं और चक्रवाती तूफ़ानों के बावजूद, कुछ प्रवाल फिर से फल-फूल रहे हैं. 

“ये वो मज़बूत जीवित बचे [प्रवाल] हैं, जिनके ज़रिये अब भित्तियों को फिर से बढ़ा और उनकी भरपाई कर रहे हैं.”

वर्ष 2000 के शुरुआती सालों से संगठन के गोताखारों और समुद्री जीव विज्ञानियों ने नर्सरी में स्वस्थ प्रवालों को पोषित किया है और फिर उथले पानी में हाथ से प्रत्यारोपित किया है.

अब तक नर्सरी में उगाये गए 49 हज़ार प्रवालों के खण्डों को Laughing Bird Caye National Park में सफलतापूर्वक रोपा जा चुका है, जिससे यह एक बार फिर से पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है.

4. एण्डीज़ में जलवायु संकट से प्रभावित जल स्रोतों की पुनर्बहाली 

पेरू के एण्डीज़ क्षेत्र में पिछले 500 सालों में मूल वन लगभग लुप्त हो गए हैं.
© Acción Andina
पेरू के एण्डीज़ क्षेत्र में पिछले 500 सालों में मूल वन लगभग लुप्त हो गए हैं.

व्यापक पैमाने पर पुनर्बहाली और संरक्षण प्रयासों का एक अन्य उदाहरण दक्षिण अमेरिका में एण्डीज़ पर्वतों में देखा जा सकता है. 

यहाँ पाँच अलग-अलग देशों में स्थानीय समुदाय एक साथ मिलकर स्थानीय इलाक़े में पाए जाने वाले वृक्षों को पोषित करने और उनके जल स्रोतों की रक्षा करने का प्रयास करने में जुटे हैं. 

Acción Andina नामक एक ग़ैरसरकारी संगठन के सह-संस्थापक कोन्स्टादिनो आउक्का शुतास ने यूएन न्यूज़ को बताया कि स्पेनिश द्वारा विजय हासिल करने के बाद से, एण्डीज़ में पिछले 500 वर्षों में देशज (native) वनों को नुक़सान पहुँचा है. 

कुछ बच गए एण्डीज़ ग्लेशियर अब तेज़ी से पिघल रहे हैं, और स्थानीय समुदायों और यहाँ तक की बड़े दक्षिण अमेरिकी शहरों में जल सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन रहा है. 

संगठन के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि देशज वन, और आर्द्र भूमि से जड़ों, मिट्टी और काई में बड़ी मात्रा में जल का भण्डार कर पाना सम्भव होता है. 

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अनुकूलन के लिये वे हमारे सर्वोत्तम साथी हैं, और इनसे अगले दशकों में आजीविकाओं के लिये जल आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सकेगा.

Accion Andina नामक संगठन इसी दिशा में प्रयासरत है और वर्ष 2022 का समापन होते-होते, एण्डीज़ क्षेत्र में 60 लाख से अधिक देशज वृक्षों का रोपण किया जा सकेगा. 

उनका लक्ष्य अगले 25 वर्षों में ऊँचे एण्डीज़ जंगलों में 10 लाख हेक्टेयर इलाक़े की रक्षा व पुनर्बहाली सुनिश्चित करना है.

कोन्स्टादिनो आउक्का शुतास ने बताया कि स्थानीय संगठनों के बढ़ते नैटवर्क के ज़रिये, समुदायों को वनों की रक्षा के प्रति जागरूक बनाया जा रहा है. 

इस क्रम में वृक्षों की मूल प्रजातियों के लिये, नर्सरी में निवेश किया जाता है, सामुदायिक स्तर पर पौधारोपण उत्सव का आयोजन किया जाता है और एक दिन में एक लाख वृक्षों के रोपण का भी प्रयास किया जाता है.

उन्होंने कहा कि पुनर्बहाली पर केंद्रित इन अवसरों के ज़रिये स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका का अतिरिक्त स्रोत भी तैयार किया जा रहा है.

5. कार्बन सोखने वाली समुद्री घास की पुनर्बहाली

समुद्री घास को पहुँची हानि के कारण समुद्री गाय (Manatees) भुखमरी का शिकार हो रही हैं.
Unsplash/Geoff Trodd
समुद्री घास को पहुँची हानि के कारण समुद्री गाय (Manatees) भुखमरी का शिकार हो रही हैं.

समुद्री घास अनेक समुद्री जीवों को भोजन व शरण प्रदान करती है.

ये अनेक क्षेत्रों में सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र हैं, और इन्हें अक्सर पौधशाला पर्यावास (nursery habitats) भी कहा जाता है, चूँकि वे आमतौर पर युवा मछलियों, मछलियों की छोटी प्रजातियों और ऐसे जीवों को पोषित करती हैं, जिनमें मेरुदण्ड नहीं होता है.

पौधे होने की वजह से, समुद्री घास उसी प्रकार से प्रकाश संश्लेषण करती है, जैसाकि अन्य लौकिक (terrestrial) पौधे करते हैं. सूर्य के प्रकाश के ज़रिये कार्बन डाइऑक्साइ व जल से पोषक तत्वों का संश्लेषण और ऑक्सीजन को छोड़ना.

इसका अर्थ यह है कि जैविक क्रियाओं से इतर, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में ये एक महत्वपूर्ण व आवश्यक औज़ार हैं.

पिछले 40 वर्षों में, दुनिया में क़रीब एक तिहाई समुद्री घास क्षेत्र का नुक़सान हुआ है, जिसकी वजह तटीय इलाक़ों के विकास से उपजा दबाव, जल गुणवत्ता में गिरावट और जलवायु परिवर्तन है.

ब्रिटेन में ‘Project Seagrass’ नामक परियोजना के ज़रिये इस रुझान की दिशा को पलटने का प्रयास किया जा रहा है. 

क़रीब तीन हज़ार स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं की मदद से, 10 लाख समुद्री घास के बीजों को रोपा गया है और इन महत्वपूर्ण पौधों की अहमियत के प्रति जागरूकता का प्रसार किया गया है.

संगठन ने बताया कि दो हेक्टेयर समुद्री घायल की सफलतापूर्वक पुनर्बहाली की मदद से, हमारे संगठन ने साबित किया है कि विशाल पैमाने पर, ब्रिटेन में समुद्री घास की पुनर्बहाली सम्भव है.

इस क्रम में, स्थलों की समीक्षा और परीक्षणों के लिये आधुनिकतम टैक्नॉलॉजी का सहारा लिया जा रहा है.

सिर्फ़ इतना ही नहीं....

ये केवल पाँच उदाहरण हैं, जोकि पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली पर यूएन दशक के तहत पंजीकृत 50 से अधिक परियोजनाओं से लिये गए हैं. 

हज़ारों लोग और संगठन पहले से ही ज़मीनी स्तर पर मौजूद हैं और पृथ्वी की रक्षा के लिये कोशिशों में जुटे हैं.

इस वर्ष सितम्बर में यूएन महासभा की बैठक के दौरान, उन 10 उदाहरणों के बारे में जानकारी साझा की जाएगी, जिन्हें विशाल स्तर पर और दीर्घकालीन पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली के लिये बढ़िया उदाहरण के रूप में देखा जाता है.

पारिस्थितिकी तंत्रों को क्षरण के कगार से वापिस लाना और हानि की रोकथाम सम्भव है, और विश्व भर में लोग इसे साकार कर रहे हैं.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि, “हमारे पास केवल एक ही माँ पृथ्वी है, और उसकी रक्षा के लिये हर सम्भव प्रयास किये जाने होंगे.”