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‘प्रकृति के साथ आत्मघाती युद्ध का अन्त करने के लिये’ निडर कार्रवाई का आहवान

केनया की एक महिला किसान नए बीजों के इस्तेमाल के ज़रिये प्रयोग कर रही हैं ताकि जैवविविधता को बढ़ावा दिया जा सके.
© 2019 Alliance of Bioversity International and CIAT/ Georgina Smith
केनया की एक महिला किसान नए बीजों के इस्तेमाल के ज़रिये प्रयोग कर रही हैं ताकि जैवविविधता को बढ़ावा दिया जा सके.

‘प्रकृति के साथ आत्मघाती युद्ध का अन्त करने के लिये’ निडर कार्रवाई का आहवान

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘यूएन जैवविविधता सम्मेलन’ (कॉप15) को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि विश्व में दस लाख से अधिक प्रजातियों के लुप्त होने का जोखिम मण्डरा रहा है. इसके मद्देनज़र, देशों को एक साथ मिलकर पृथ्वी व मानवता के लिये एक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करना होगा.

चीन के कुनमिंग शहर में यह सम्मेलन दो चरणों में आयोजित किया गया है.

इसका पहला चरण सोमवार से शुक्रवार (11 अक्टूबर से 15 अक्टूबर) तक मुख्य रूप से वर्चुअली आयोजित होगा, जिसके बाद कुनमिंग में, वर्ष 2022 में, 25 अप्रैल से 8 मई तक बैठक  होगी, जिसमें प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से शिरकत करेंगे. 

यूएन प्रमुख ने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “हम प्रकृति के विरुद्ध हमारे आत्मघाती युद्ध में हार रहे हैं. ” 

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उन्होंने सचेत किया कि प्रकृति के साथ मानवता की बेपरवाह दख़लअन्दाज़ी के स्थाई नतीजे सामने आएंगे. 

“प्रजातियों के खोने की दर, पिछले एक करोड़ वर्षों के औसत की तुलना में, दस से सैकडों गुना अधिक है, और लगातार बढ़ रही है.”

महासचिव गुटेरेश ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि अगले कुछ दशकों में दस लाख से अधिक पौधों, स्तनपाई पशुओं, पक्षियों, रेंगने वाले जन्तुओं, उभयचरों, मछलियों सहित अन्य प्रजातियों पर लुप्त होने का जोखिम मण्डरा रहा है.

“पारिस्थितिकी तंत्रों के ढहने से वर्ष 2030 तक हर साल क़रीब तीन हज़ार अरब डॉलर का नुक़सान हो सकता है. इसका सबसे ज़्यादा असर, सर्वाधिक निर्धन और क़र्ज़ के बोझ तले कुछ देशों पर होगा.”

प्रकृति के साथ ‘युद्धविराम’

कॉप15 सम्मेलन के दौरान अगले एक दशक में, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों को सहेजने, उनके संरक्षण, पुनर्बहाली और टिकाऊ प्रबन्धन के लिये एक रोडमैप तैयार किया जाएगा.

“कॉप15, हमारे लिये युद्धविराम लागू करने का एक अवसर है. जलवायु पर कॉप26 के साथ, इससे एक स्थाई शान्ति समझौते की नींव तैयार होनी चाहिये.”

बताया गया है कि एक नए वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क के ज़रिये प्रकृति और समुदाय फिर से समरसतापूर्ण रास्ते पर लाए जा सकते हैं.

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि पैरिस जलवायु समझौते और वनों, मरुस्थलीकरण व महासागरों पर अन्य अन्तरराष्ट्रीय समझौतों के साथ तालमेल बनाते हुए यह सुनिश्चित किया जाना होगा.

कार्रवाई के लिये अहम क्षेत्र

यूएन प्रमुख ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए, कारगर कार्रवाई के लिये पाँच अहम उपायों को साझा किया है. 

इस क्रम में, सर्वजन के लिये एक स्वस्थ पर्यावरण के क़ानूनी अधिकार को समर्थन देने पर ज़ोर दिया गया है. 

इसमें आदिवासी लोगों के अधिकारों को भी समाहित किया जाना होगा, जिनकी जैवविविधता संरक्षण में अहम भूमिका को रेखांकित किया गया है.  

इस फ़्रेमवर्क में उन राष्ट्रीय नीतियों व कार्यक्रमों को भी समर्थन दिया जाना होगा, जिनसे जैविविधता के लुप्त होने के कारकों से निपटा जा सके, विशेष रूप से खपत और उत्पादन के ग़ैर-टिकाऊ तौर-तरीक़ों से. 

इसके अलावा, राष्ट्रीय और वैश्विक लेखा प्रणाली (accounting system) में भी बदलाव लाने पर बल दिया गया है, ताकि आर्थिक गतिविधियों की वास्तविक क़ीमतों को परिलक्षित किया जा सके. 

इनमें आर्थिक गतिविधियों से प्रकृति और जलवायु पर होने वाला असर भी है. 

इण्डोनेशिया में बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिये जैवविविधता पर निर्भर हैं.
CIFOR/Ulet Ifansasti
इण्डोनेशिया में बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिये जैवविविधता पर निर्भर हैं.

महासचिव ने कहा कि 2020 के बाद के फ़्रेमवर्क के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये, विकासशील देशों के लिये एक पैकेज की आवश्यकता होगी, जिसमें ठोस वित्तीय संसाधनों और टैक्नॉलॉजी हस्तान्तरण जैसे तरीक़ों की मदद लेनी होगी.

साथ ही, प्रतिकूल सब्सिडी का अन्त करने का आग्रह किया गया है. इनमें वे कृषि सब्सिडी भी शामिल हैं जिनसे प्रकृति को नुक़सान पहुँचाने और पर्यावरण को प्रदूषित बनाने से मुनाफ़ा हो.

यूएन प्रमुख के मुताबिक़ इस धनराशि का इस्तेमाल अब तक हुए नुक़सान की क्षतिपूर्ति करने और प्रकृति पर मरहम लाने में किया जाना होगा.   

जैवविविधता से परे

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन पाँच क्षेत्रों में कार्रवाई का असर, जैवविविधता से कहीं आगे होगा और इससे टिकाऊ विकास की दिशा में वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. 

उन्होंने स्पष्ट किया कि भावी पीढ़ियों की बेहतरी के लिये निडर व महत्वाकांक्षी उपाय किये जाने की आवश्यकता है. 

“प्राकृतिक पर्यावरणों की तबाही और प्रजातियों के खोने से, सबसे अधिक नुक़सान युवजन को ही होगा.”

“वे बदलाव के लिये पुकार लगा रहे हैं. और सर्वजन के लिये टिकाऊ भविष्य के लिये संगठित प्रयास कर रहे हैं. वे और हम, आप पर भरोसा कर रहे हैं.”

संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन के दौरान तीन बैठकें एक साथ हो रही हैं. 

कॉप15 के अलावा, जैवसुरक्षा पर 'कार्टागेना प्रोटोकॉल', और आनुवांशिक संसाधनों की सुलभता व उन्हें साझा किये जाने पर 'नागोया प्रोटोकॉल' पर भी बैठकें आयोजित हो रही हैं.