भारत: ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को नई पहचान के साथ, नव जीवन का आग़ाज़
भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), ट्रांसजैंडर व्यक्तियों के साथ होने वाला भेदभाव व बहिष्कार मिटाने के लिए, उनकी मज़बूती के प्रयासों में जुटा है. इसके लिए SCALE व SMILE नामक परियोजनाओं के तहत, टांसजैंडर व्यक्तियों को, मान्य पहचान पत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि वो सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें.
एक ट्रांसजैंडर महिला बाहा होमस्ला कहती हैं, “डर - यही वो अहसास था जो मुझे यह जानने के बाद हुआ कि मैं सबसे अलग हूँ. मुझे अपने आसपास अपने जैसे कोई दूसरे नज़र नहीं आए. जब मेरे रंग-ढंग मेरी पैदायशी पहचान से अलग दिखने लगे, तो लोगों ने मेरा मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया. मुझे कमरे में बन्द कर दिया गया और वहीं अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने को कहा गया.”
दुनिया भर के लाखों LGBTQI+ व्यक्तियों को नॉन बाइनरी होने की वजह से, तानों, कलंक व भेदभाव का सामना करना पड़ता है. इनमे से कई तो दोहरी ज़िन्दगी जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.
![दोस्तानासफ़र के एक आश्रय स्थल, गरिमा गृह में रह रहे ट्रांसजैंडर व्यक्ति. दोस्तानासफ़र के एक आश्रय स्थल, गरिमा गृह में रह रहे ट्रांसजैंडर व्यक्ति.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/02-07-24_UNDP_India_Transgenders-4.jpg/image770x420cropped.jpg)
यूएनडीपी की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में LGBTQI+ समुदाय के लगभग 75 फ़ीसदी लोगों ने, अपने यौन अभिविन्यास या लैंगिक पहचान की वजह से भेदभाव का सामना किया है, और लगभग 63 फ़ीसदी लोग, अवसाद से जुड़े रोगों के शिकार हैं.
ये हालात तब और भी बदतर हो जाते हैं जब वो लोग, इसके साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय से आते हों. बाहा होमस्ला के साथ, बिहार के एक आदिवासी समुदाय से होने के कारण, इस हद तक भेदभाव हुआ कि उन्हें अन्तत: घर से भागना पड़ा.
दुनिय भर में बाहा होमस्ला जैसे अनगिनत लोगों को अपने घर व बाहर, सभी जगहों पर नफ़रत भरी प्रतिक्रिया मिलती है, जिससे उनके स्कूल छोड़ने, कामकाज छोड़ने, घर से बाहर कर दिए जाने और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने से बचने का ख़तरा रहता है.
![दोस्तानासफ़र के एक आश्रय स्थल में ट्रांसजैंडर व्यक्ति. दोस्तानासफ़र के एक आश्रय स्थल में ट्रांसजैंडर व्यक्ति.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/02-07-24_UNDP_India_Transgenders-5.jpg/image770x420cropped.jpg)
जो व्यक्ति अपनी असली पहचान के सहारे ही जीने का साहस दिखाते भी हैं, उन्हें भी अक्सर अपना पैदाइशी नाम छोड़ना पड़ता है. इसके साथ ही सामने नई चुनौतियाँ खड़ी हो जाती हैं, ख़ासतौर पर सरकारी कल्याण योजनाओं तक पहुँच मुश्किल हो जाती है, क्योंकि उसके लिए एक वैध पहचान पत्र होना बेहद आवश्यक होता है.
अधिकतर ट्रांसजैंडर व्यक्तियों के पास अपने जन्मनाम के ही पहचान पत्र होते हैं, जिससे वो इन योजनाओं तक पहुँच हासिल नहीं कर पाते हैं. उन्हें पहचान पत्र के अभाव में, रोज़गार तलाश करने, घर किराए पर लेने या फिर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्राप्त करने में भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है.
![समुदाय आधारित संस्था, दोस्तानासफ़र की संस्थापक, रेशमा प्रसाद. समुदाय आधारित संस्था, दोस्तानासफ़र की संस्थापक, रेशमा प्रसाद.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/02-07-24_UNDP_India_Transgenders-3.jpg/image770x420cropped.jpg)
ट्रांसजैंडर समुदाय, HIV संक्रमण के उच्च जोखिम में रहता है, और उन्हें प्रजनन आयु के अन्य वयस्कों की तुलना में, HIV से संक्रमित होने का ख़तरा 13 गुना अधिक होता है.
एड्स के इलाज के लिए एंटीरैट्रोवायरल थैरेपी (ART) बेहद आवश्यक होती है, जो सरकार की तरफ़ से निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन इसके लिए वैध पहचान पत्र होना ज़रूरी होता है.
इसलिए संवेदनशील स्थिति में जी रहे ट्रांसजैंडर व्यक्तियों के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रम स्थापित करना ज़रूरी हो जाता है.
![आम आबादी की तुलना में ट्रांसजैंडर व्यक्तियों के बीच अधिक एचआईवी संक्रमण के मामले पाए जाते हैं. आम आबादी की तुलना में ट्रांसजैंडर व्यक्तियों के बीच अधिक एचआईवी संक्रमण के मामले पाए जाते हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/02-07-24_UNDP_India_Transgenders-1.jpg/image770x420cropped.jpg)
समावेशन के प्रयास
यूएनडीपी के नेतृत्व में आरम्भ की गई SCALE पहल में, भेदभाव वाले क़ानूनों व एचआईवी से जुड़े अपराधीकरण का सामना करने के प्रयासों को पुख़्ता किया जा रहा है, जिससे दुनिया भर में इस समुदाय की सेवाओं तक निर्बाध पहुँच बनाई जा सके.
भारत में यूएनडीपी, SCALE परियोजना के तहत, ट्रांसजैंडर समुदायों को मान्य पहचान पत्र मुहैया करवाने के लिए, ‘दोस्ताना सफ़र’ जैसी समुदाय-आधारित संस्थाओं के साथ काम करता है.
इस परियोजना के तहत, सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय के राष्ट्रीय पोर्टल पर ट्रांसजैंडर व्यक्तियों का पंजीकरण करवाया जाता है. इस पोर्टल के ज़रिए उन्हें ज़िला अधिकारियों से ट्रांसजैंडर पहचान पत्र मिलने में आसानी हो जाती है. ट्रांसजैंडर कार्ड मिलने के बाद, नए नाम से बैंक खातों व पैन कार्ड को प्रासंगिक रखना सम्भव हो जाता है.
इसके अलावा मंत्रालय भी, SMILE योजना के तहत, ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को समर्थन प्रदान करता है. हाशिए पर धकेले हुए व्यक्तियों के समर्थन व आजीविका हेतु आरम्भ की गई SMILE योजना, ट्रांसजैंडरों के पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं, परामर्श, शिक्षा व कौशल निर्माण पर काम करती है.
‘दोस्ताना सफ़र’ की संस्थापक रेशमा प्रसाद कहती हैं, “ट्रांसजैंडर पहचान पत्र से ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच, व सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी पर अनाज लेने के लिए राशन कार्ड, बैंक खाता खोलने, ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेज़ लेने में सुविधा होती है, जो उनके लिए नए अवसर प्रदान करने में मददगार साबित होते हैं."
"सबसे महत्वपूर्ण रूप बात ये है कि उन्हें इससे वो मिलता है, जिसकी उन्हें सबसे अधिक चाहत है – उनकी पहचान.”
![यूएनडीपी, ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र दिलाने के प्रयासों में सक्रिय है. यूएनडीपी, ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र दिलाने के प्रयासों में सक्रिय है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/02-07-24_UNDP_India_Transgenders-2.jpg/image770x420cropped.jpg)
मंज़िल अभी दूर
लेकिन पोर्टल उपलब्ध होने के बावजूद, कम संख्या में पंजीकरण देखने को मिला है – अब तक केवल 20 हज़ार ट्रांसजैंडर प्रमाण-पत्र व पहचान पत्र जारी किए गए हैं.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, यह आँकड़ा, देश के लगभग 4 लाख की संख्या वाले ट्रांसजैंडर समुदाय के मात्र 5 फ़ीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है.
यूएनडीपी, भारत सरकार व ज़मीनी स्तर पर काम कर रही संस्थाओं के साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करने के प्रयास कर रहा है कि ज़्यादा से ज़्यादा ट्रांसजैंडर व्यक्ति, पोर्टल पर पंजीकरण करवाएँ और अपने पहचान पत्र हासिल करें.
साथ ही, इस परियोजना को अधिक लोगों तक पहुँचाने व किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी से निपटने के लिए भी क़दम उठाए जा रहे हैं.
बाहा होमस्ला और उनके जैसे अनगिनत व्यक्तियों के लिए, अपने नए नाम के साथ ट्रांसजैंडर पहचान पत्र का अर्थ है - सम्मान व समानता युक्त नए जीवन की शुरुआत.