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सूडान: बाल मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी के बीच, देशों से, सीमाएँ खोले रखने की पुकार

सूडान में कुछ महिलाएँ, यूएन शरणार्थी एजेंसी द्वारा पंजीकरण की प्रतीक्षा करते हुए.
© UNHCR/Colin Delfosse
सूडान में कुछ महिलाएँ, यूएन शरणार्थी एजेंसी द्वारा पंजीकरण की प्रतीक्षा करते हुए.

सूडान: बाल मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी के बीच, देशों से, सीमाएँ खोले रखने की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) ने शुक्रवार को सूडान के आसपास के देशों से, देश में सैन्य युद्ध से जान बचाकर भागने वाले लोगों के लिए, अपनी सीमाएँ खोले रखने, और सूडान से बाहर देश के उन नागरिकों के लिए, नकारात्मक शरण निर्णय स्थगित रखने की अपील की है, जो युद्ध के कारण स्वदेश वापिस नहीं लौट सकते हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण मामलों की निदेशक ऐलिज़ाबेथ टैन ने कहा है कि उनका पहला अनुरोध ये है कि देश, सूडान से बचकर निकलने वाले लोगों को, भेदभाव रहित तरीक़े से अपने क्षेत्र में दाख़िल होने दें.

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उन्होंने कहा कि इन लोगों में सूडानी नागरिक, विदेशी नागरिक और सूडान में रहने वाले अन्य देशों के शरणार्थी, नागरिकता विहीन लोग, और वो लोग शामिल हैं जिनके पास कोई पासपोर्ट या कोई अन्य पहचान-पत्र नहीं हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी और साझीदार संगठन, सूडान में 15 अप्रैल को, राष्ट्रीय सेना और प्रतिद्वन्द्वी मिलिशिया गुट (RSF) के बीच युद्ध भड़कने के बाद से ही, मानवाधिकार हनन के बढ़ते मामलों की जानकगारी देते रहे हैं, जिनमें आम लोगों के ख़िलाफ़ अन्धाधुन्ध हमलों और यौन हिंसा के मामले भी शामिल हैं.

व्यापक आपराधिक गतिविधियों और सिविल ढाँचे की लूटपाट के कारण बहुत से सूडानी लोग, देश से निकल गए हैं और अन्य देशों में शरण मांग रहे हैं. इनमें अस्पतालों और मानवीय सहायता ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है.

ऐलिज़ाबेथ टैन ने कहा है, “ऐसे बहुत से सूडानी लोग हैं जो देश से बाहर हैं और उन्हें संरक्षा की आवश्यकता है.”

“अगर उनके शरण आवेदनों पर विचार किया जा रहा है तो उन्हें वापिस सूडान नहीं भेजा जाना चाहिए. हम नकारात्मक निर्णयों को फ़िलहाल स्थगित किए जाने का अनुरोध करते हैं.”

युद्ध से सुरक्षित बचने के लिए, भारी संख्या में लोग निकले हैं, जिनमें, देश में अतीत के संघर्षों के कारण, पहले ही देश के भीतर विस्थापित हुए लोग भी शामिल हैं. साथ ही इनमें अन्य देशों के शरणार्थी भी हैं.

ऐलिज़ाबेथ टैन ने ज़ोर देकर कहा, “सूडान में अन्य देशों के लगभग 11 लाख शरणार्थी रह रहे थे, और उन लोगों को संरक्षा की आवश्यकता है.”

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने, दारफ़ूर में नव विस्थापितों की स्थिति के बारे में विशेष चिन्ता व्यक्त की है.

प्रतिघंटा 7 बच्चे हताहत

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने भी सूडान हताहत हो रहे बच्चों की बढ़ती संख्या के बारे में व्यथित करने वाले आँकड़े जारी किए हैं, विशेष, रूप से ख़ारतूम और दारफ़ूर के युद्धग्रस्त इलाक़ों में.

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा है, “हमें अभी तक 190 बच्चों की मौत और एक हज़ार 700 बच्चों के घायल होने की ख़बरें मिली हैं. इसका मतलब है कि हर घंटा सात लड़के और लड़कियाँ या तो मौत का शिकार हो रहे हैं या घायल हो रहे हैं.”

यूनीसेफ़ ने ज़ोर देकर कहा है कि घरों, स्कूलों और अस्पतालों जैसे स्थानों पर, जहाँ बच्चे विशेष रूप से सुरक्षित होने चाहिए, उन पर लगातार हमले किए गए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया है कि युद्ध में 4 हज़ार 926 लोग घायल हुए हैं और 551 लोगों की मौत हुई है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है.

उन्होंने बताया कि 25 प्रतिशत लोग इसलिए जीवित नहीं रह सके, क्योंकि उन्हें रक्तस्राव रोकने के लिए, साधारण चिकित्सा सहायता भी नहीं मिल सकी.

यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और उसके 134 साझीदार संगठनों ने क्षेत्र के पाँच देशों में, लगभग 8 लाख 60 हज़ार सूडानी शरणार्थियों, अन्य शरणार्थियों की मदद करने की ख़ातिर, अन्तर-एजेंसी सहायता अभियान के लिए, गुरूवार को साढ़े 44 करोड़ डॉलर की सहायता राशि जुटाने की अपील जारी की थी.