दक्षिण सूडान: पर्याप्त धनराशि के अभाव में, 17 लाख लोगों के लिये रोकी गई खाद्य सहायता
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि दक्षिण सूडान में बढ़ती आवश्यकताओं और सहायता धनराशि के अभाव की वजह से मजबूरीवश, 17 लाख लोगों के लिये खाद्य सहायता रोके जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे उनके लिये भुखमरी का जोखिम पैदा होने की आशंका है. देश में खाद्य असुरक्षा से पीड़ित कुल लोगों की संख्या का यह क़रीब एक-तिहाई है.
मानवीय सहायता को रोके जाने का यह निर्णय एक ऐसे समय में लिया गया है जब दक्षिण सूडान में आमजन को अभूतपूर्व स्तर पर भूख की मार झेलनी पड़ रही है.
देश की लगभग 60 फ़ीसदी आबादी गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है, और हिंसक टकराव, बाढ़, कुछ इलाक़ों में सूखे और यूक्रेन में संकट की वजह से खाद्य क़ीमतों में आए उछाल से हालात विकट हुए हैं.
🚨 🆘 ALERT: The suspension of assistance comes at the worst possible time for the people of #SouthSudan as the country faces its hungriest year since independence.WFP had exhausted all options before suspending food assistance, including halving rations in 2021.
WFP
दक्षिण सूडान के लिये यूएन एजेंसी की कार्यवाहक देशीय निदेशक एडियेण्का बाडेजो-सनोगो ने कहा कि इस वर्ष 62 लाख लोगों को खाद्य सहायता प्रदान किये जाने की योजना थी.
“मगर बढ़ती मानवीय आवश्यकताओं और अपर्याप्त धनराशि के कारण, हमने 17 लाख लोगों के लिये खाद्य सहायता रोकने का पीड़ादायी क़दम उठाया है.”
उन्होंने बताया कि ये वो लोग हैं, जिन्हें आपात और संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा के अनुभव से गुज़रना पड़ रहा है.
एक अनुमान के अनुसार देश की कुल आबादी एक करोड़ 16 लाख में से, लगभग 65 फ़ीसदी से अधिक लोग गम्भीर मानवीय संकट से पीड़ित हैं. उन्हें संरक्षण व गुज़र बसर के लिये मदद की ज़रूरत है.
इनमें से 83 लाख लोगों को गम्भीर स्तर पर भूख की मार झेलनी पड़ सकती है, जिनमें आन्तरिक विस्थापन का शिकार लोग और शरणार्थी भी हैं.
दक्षिण सूडान में स्थानीय समुदाय लगातार चौथे वर्ष, इस मौसम में औचक बाढ़ के जोखिम का सामना कर रहे हैं, जिससे बड़े पैमाने पर कृषि भूमि जल से तर हो जाती है और फिर इस्तेमाल योग्य नहीं रहती है.
देश के जोन्गलेई, ऊपरी नाइल और यूनिटी प्रान्तों में इससे विशेष रूप से प्रभावित हैं.
बाढ़ का जोखिम
वर्ष 2021 में, दक्षिण सूडान में बाढ़ की वजह से 10 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर होना पड़ा था.
इस साल, एक अनुमान के अनुसार, कम से कम छह लाख लोगों के बाढ़ के रास्ते और विस्थापन की जद में आने की आशंका है.
कार्यवाहक देशीय निदेशक एडियेण्का बाडेजो-सनोगो ने बताया कि, “हमें लगातार चौथे साल भीषण बाढ़ की आशंका है, जोकि औसत से अधिक वर्षा के पूर्वानुमानों पर आधारित है, और अतीत के सालों में जो एकत्र हुआ जल नहीं उतरा है, वो भी इसमें जुड़ जाएगा.”
मौजूदा हालात इसलिये भी चिन्ताजनक हैं, चूँकि खाद्य सहायता रोकने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जोकि परिवारों के लिये अपेक्षाकृत नाज़ुक समय होता है.
यूएन एजेंसी अधिकारी ने बताया कि परिवारों के पास खाद्य भण्डार पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं और जैसे-जैसे दिन गुज़रेंगे, उनके गम्भीर भूख की मार झेलने की आशंका बढ़ जाएगी.
उनके अनुसार, इन परिस्थितियों में विश्व खाद्य कार्यक्रम, दक्षिण सूडान में अकाल की रोकथाम को ध्यान में रखते हुए प्रयासरत है.
बर्बर हिंसा
दक्षिण सूडान के कुछ हिस्सों में लम्बे समय से हिंसा की वजह से विस्थापन जारी है और स्थानीय समुदायों के लिये हालात सम्वेदनशील हैं.
बलात्कार, सिर धड़ से अलग कर दिये जाने, आम नागरिकों को जिन्दा जलाये जाने और मानवीय राहतकर्मियों पर हमलों में तेज़ी के बाद, इस वर्ष अप्रैल महीने में, अतिरिक्त यूएन शान्तिरक्षकों को लीयर काउण्टी में तैनात किया गया था.
“दक्षिण सूडान में राजनैतिक व सुरक्षा सन्दर्भ सम्वेनशील है और इससे समुदायों के लिये पीड़ा बरक़रार है.”
बताया गया है कि अब तक टकराव के कारण, नए विस्थापितों की संख्या दो लाख से अधिक हो गई है और यूएन एजेंसी के पास नई आपात स्थिति में राहत अभियान के लिये पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी जारी की है कि सहायता धनराशि का प्रबन्ध ना होने की स्थिति में, निर्बल समुदायों को भोजन छोड़ने, उसकी मात्रा घटाने, सम्पत्ति बेचने, अपने बच्चों को काम पर भेजने और बाल विवाह जैसे निर्णय लेने के लिये मजबूर होना पड़ेगा.
यूएन एजेंसी को मौजूदा संकट से निपटने और सहनक्षमता निर्माण प्रयासों के लिये 42 करोड़ डॉलर से अधिक धनराशि की आवश्यकता रेखांकित की है, ताकि अगले छह महीनों में 60 लाख लोगों तक राहत पहुँचाई जा सके.