20 देश गम्भीर खाद्य असुरक्षा के 'हॉटस्पॉट' – तत्काल कार्रवाई की पुकार
संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों का कहना है कि 20 देशों में, अकाल, लाखों परिवारों के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और खाद्य एवँ कृषि संगठन (FAO) ने मंगलवार को साझा रूप से "Hunger Hotspots" नामक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें बढ़ती भुखमरी के लिये हिंसक संघर्ष, चरम मौसम की घटनाओं और कोविड-19 को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, और हालात ना बिगड़ने देने के लिये तत्काल कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई गई है.
नई रिपोर्ट में यमन, दक्षिण सूडान, और नाइजीरिया, सबसे अधिक प्रभावित देश बताए गए हैं.
यूएन एजेंसियों के साझीदार संगठनों के अनुसार, विश्व भर में तीन करोड़ 40 लाख लोग पहले से ही आपात स्तर पर गम्भीर भूख (Acute hunger) का सामना कर रहे हैं – यानि भुखमरी (Starvation) से एक क़दम ही दूर हैं.
यूएन खाद्य एवँ कृषि एजेंसी के महानिदेशक क्यू डोन्गयू ने बताया कि पीड़ा का स्तर बेहद चिन्ताजनक है.
"यह हम सभी का दायित्व है कि ज़िन्दगियाँ बचाने, आजीविकाओं की रक्षा करने और बदतर हालात को टालने के लिये तत्काल और तेज़ कार्रवाई की जाए."
"अनेक क्षेत्रों में, रोपण का मौसम शुरू हो गया है, या शुरू होने वाला है. हमें बेहद कम समय में कार्य करना होगा और स्थानीय खाद्य उत्पादन की रक्षा करने, स्थिरता लाने और यहाँ तक कि उसे सम्भावित रूप से बढ़ाने के इस अवसर को हाथ से नहीं छूटने देना होगा."
20 देशों की सूची में यमन दक्षिण सूडान और नाइजीरिया हैं, जहाँ लोगों को खाद्य असुरक्षा का विनाशकारी स्तर झेलना पड़ रहा है.
यमन और दक्षिण सूडान के कुछ इलाक़ों में तो, कुछ परिवार या तो भुखमरी और मौत का सामना कर रहे हैं, या फिर उसके कगार पर हैं.
मौजूदा समस्या से पीड़ित अधिकांश देश अफ़्रीका में हैं, लेकिन रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दुनिया के ज़्यादातर क्षेत्रों में पर्याप्त भोजन ना मिल पाने के हालात पैदा होने के आसार हैं.
विनाशकारी हालात
गम्भीर खाद्य असुरक्षा के लिये अनेक कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
पीड़ित देशों को हिंसक संघर्ष, कोविड-19 महामारी, चरम जलवायु घटनाएँ, और टिड्डी दल के हमलों का सामना करना पड़ रहा है.
ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय राहत पहुँचाने में पेश आने वाले दिक्कतें भी चिन्ता का कारण हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने बताया कि "हम अपनी आँखों के समक्ष विनाश को घटते देख रहे हैं."
हिंसक संघर्ष के कारण अकाल जैसे हालात लाखों परिवारों के दरवाज़ों पर है, जिसे जलवायु व्यवधानों और कोविड-19 महामारी ने और गम्भीर बनाया है.
तीन अहम प्राथमिकताएँ
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि लाखों लोगों को भुखमरी का शिकार बनने से रोकने के लिये, तीन बातों पर तत्काल ध्यान दिया जाना होगा..
"लड़ाई को रोकना होगा, हमें निर्बल समुदायों तक जीवनदायी मदद पहुँचाने की अनुमति मिलनी चाहिये, और सबसे अहम यह है कि, दानदाताओं के आगे आकर दरियादिली से दान देने की ज़रूरत है, ताकि इस साल साढ़े पाँच अरब डॉलर की धनराशि की हमारी ज़रूरत को पूरा किया जाए."
इस सहायता धनराशि का इस्तेमाल मानवीय राहत के तहत भोजन, नक़दी, आजीविका सम्बन्धी आपात सहायता के लिये किया जाएगा.
यह राहत कार्य उसी अपील के अनुरूप है जिसे यूएन की दो एजेंसियों ने इस महीने के शुरू में जारी किया था.
रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि गम्भीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हर 'हॉटस्पॉट' में अहम कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है ताकि मौजूदा व भावी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
इनमें, भोजन व पोषण सहायता का दायरा बढ़ाने, सूखा पीड़ित इलाक़ों में प्रतिरोधी बीज मुहैया कराने, जल आपूर्ति के लिये ढाँचों को पुनर्बहाल करने और काम के बदले नक़दी की योजनाएँ लागू करने पर ज़ोर दिया जाएगा.