यमन में बढ़ती भुखमरी से 'तबाही' की स्थिति

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के प्रमुखों ने कहा कि यमन में भुखमरी संकट "तबाही के कगार पर है." ताज़ा आँकड़ों के विश्लेषण में युद्ध से त्रस्त इस देश में, रिकॉर्ड स्तर पर खाद्य असुरक्षा की सम्भावना के संकेत मिले हैं.
वर्तमान में, यमन के एक करोड़ 74 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं; आने वाले महीनों में अतिरिक्त 16 लाख लोगों के "भुखमरी के आपातकालीन स्तर पर पहुँचने की आशंका है." वर्ष 2022 के अन्त तक, आपातकालीन ज़रूरतों वाले लोगों की कुल संख्या 73 लाख होने की सम्भावना है.
मानवीय सहायता मुहैया कराने वाली एजेंसियों के लिये अत्यधिक चिन्ता की बात ये है कि 31 दिसम्बर तक "विनाशकारी" - या अकाल जैसी स्थिति के कारण - भुखमरी के स्तर का अनुभव करने वाले लोगों की संख्या पाँच गुना बढ़ जाएगी, यानि वर्तमान में 31 हज़ार लोगों से बढ़कर 1 लाख 61 हज़ार तक.
🔺+4 million displaced by conflict🔺+12 million need food assistance to survive🔺Half of all children under 5 face malnutritionThe humanitarian response must continue in #Yemen.Cuts to food assistance are devastating for millions whose survival depends on it. #YemenCantWait pic.twitter.com/33TsWlyKHK
WFP
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक, डेविड बीज़ली ने कहा, "ये दुखद आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि हम यमन में तबाही के दिन गिन रहे हैं और इससे बचने का समय बीतता जा रहा है."
उन्होंने कहा, "जब तक हमें तुरन्त पर्याप्त धनराशि नहीं मिलती, तब तक बड़े पैमाने पर भुखमरी और अकाल का सामना करना पड़ेगा. लेकिन अगर हम तुरन्त कार्रवाई करते हैं, तो अब भी आसन्न आपदा को टालने और लाखों लोगों को बचाने का मौक़ा है.”
यह आँकड़े ऐसे समय आए हैं, जब यमन की सरकार के सैनिकों और हूथी बलों के रूप में जाने-जाने वाले अंसार अल्लाह अलगाववादियों के बीच सप्ताहान्त में भारी लड़ाई की सूचना मिली थी.
सरकारी नियंत्रण वाले तेल समृद्ध उत्तरी शहर मारिब के आसपास हुई इस लड़ाई में कई लड़ाकों की मौत हुई है और अनेक घायल हुए हैं.
ये ताज़ा संघर्ष ऐसे समय हुआ जब यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत, हैंस ग्रण्डबर्ग ने देश के लिये एक शान्तिपूर्ण और टिकाऊ भविष्य हेतु, प्रमुख यमनी पार्टियों के साथ सप्ताह भर की बैठकें की थीं. यह बातचीत, 2015 में यमन में संघर्ष बढ़ने के बाद से ही बन्द है.
यमन में मानवीय संकट पर बुधवार को एक उच्च-स्तरीय प्रतिबद्धता कार्यक्रम आयोजित होना है. इस मौक़े पर यमन में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष सहायता अधिकारी, डेविड ग्रेसली ने एक ट्वीट सन्देश में कहा कि "भोजन और पोषण सहायता, स्वच्छ पानी, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा बनाए रखने के लिये धन की तत्काल आवश्यकता है. संघर्ष के विभिन्न पक्ष, अर्थव्यवस्था के प्रतिबन्धों को कम करके, राहत सहायता पर इस निर्भरता को कम कर सकते हैं."
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और खाद्य व कृषि संगठन (FAO) की चेतावनी, यमन में भारी हिंसा के बाद आई है जिसमें जिसमें जनवरी और फ़रवरी में कम से कम 47 बच्चे मारे गए या अपंग हो गए.
खाद्य और कृषि संगठन (एफ़एओ) के महानिदेशक, क्यू डोंग्यू ने कहा कि सात साल की लड़ाई के बाद, "यमन में बहुत घर-परिवार बुनियादी खाद्य आवश्यकताओं से वंचित हैं."
एफ़एओ प्रमुख ने कहा कि समाधान की तलाश में, यूएन एजेंसी "किसानों के साथ सीधे धरातल पर काम कर रही है ताकि आपातकालीन और दीर्घकालिक आजीविका सहायता में समन्वय के के ज़रिये, उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा सके, सहनक्षमता का निर्माण किया जा सके, स्थानीय कृषि उत्पादन में मदद की जा सके और आयात पर लोगों की निर्भरता कम हो सके."
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने बच्चों पर लम्बे समय तक रहने वाले नकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए चेतावनी दी कि यमन में "और भी ज़्यादा बच्चे" अब "भूखे पेट सो रहे हैं."
कैथरीन रसैल ने कहा, "यह उन्हें शारीरिक और संज्ञानात्मक हानि, और यहाँ तक कि मृत्यु के जोखिम में डालता है. यमन में बच्चों की दुर्दशा को अब नजरअन्दाज़ नहीं किया जा सकता है. कितने जीवन दाँव पर है."
2022 में, यमन में मानवीय संकट की जवाबी कार्रवाई के लिये अकेले यूनीसेफ़ को 48 करोड़ 44 लाख डॉलर की राशि की आवश्यकता है.
नवीनतम खाद्य असुरक्षा विश्लेषण के अनुसार, यमन में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों और नई माताओं के बीच तीव्र कुपोषण बढ़ा है.
संघर्ष बढ़ने से पहले ही दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक माने जाने वाले इस देश में, अब लगभग 22 लाख बच्चे गम्भीर रूप से कुपोषित हैं. इसके अलावा, अतिरिक्त 5 लाख युवजन जीवन के लिये ख़तरनाक गम्भीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं.
सबसे ज्यादा प्रभावित प्रान्तों में हज्जाह, हुदायदाह और ताइज़ हैं.
यमन पर सोमवार को जारी नए वर्गीकरण विश्लेषण (Integrated Phase Classification (IPC) analysis on Yemen) के अनुसार, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताओं को भी भोजन की गम्भीर कमी से ख़तरा है. इनमें से लगभग 13 लाख महिलाएँ गम्भीर रूप से कुपोषित हैं.
यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेन्ट और मानवीय सहायता कोऑर्डिनेटर, डेविड ग्रेसली ने कहा, "(आईपीसी के निष्कर्षों में से) उत्कृष्ट निष्कर्ष यह रहा है कि हमें तुरन्त कार्रवाई की आवश्यकता है. हमें लाखों लोगों के लिये एकीकृत मानवीय प्रतिक्रिया को बनाए रखने की आवश्यकता है, जिसमें भोजन व पोषण सहायता, स्वच्छ पानी, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और अन्य आवश्यकताएँ शामिल हैं."
हाल के वर्षों में यमन के विनाशकारी आर्थिक पतन और भुखमरी के स्तर को बढ़ाने के लिये व्यापक रूप से संघर्ष को ही दोषी माना गया है. यमनी रियाल का मूल्यह्रास होने से, 2021 में खाद्य क़ीमतें, 2015 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गईं थीं.
डेविड ग्रेसली ने कहा कि यद्यपि यह सब हमसे हज़ारों मील दूर हो रहा है, लेकिन रूसी आक्रमण से उपजे यूक्रेन संकट से "आयात को अहम झटके" लगने की उम्मीद है, जिससे क़ीमतें और बढ़ेंगी, ख़ासतौर पर इसलिये, क्योंकि यमन के कुल गेहूँ आयात का 30 प्रतिशत हिस्सा यूक्रेन से आता है.
डेविड ग्रेसली ने ज़ोर देकर कहा, "इस गिरावट को समाप्त करने के लिये शान्ति स्थापना ज़रूरी है, लेकिन हम अब भी इस दिशा में प्रगति कर सकते हैं. संघर्षरत पक्षों को ग़ैर-स्वीकृत वस्तुओं के व्यापार और निवेश पर लगे सभी प्रतिबन्ध हटा देना चाहिये. इससे खाद्य क़ीमतों को कम करने और अर्थव्यवस्था को मुक्त करने में मदद मिलेगी, व लोगों को कामकाज की गरिमा बनाने और सहायता पर निर्भरता से दूर जाने का रास्ता मिलेगा.”