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स्वास्थ्यकर्मी, टीकाकरण के लिए हाथियों पर सवार होकर नदी पार कर रहे हैं.

भारत: दुर्गम इलाक़ों में टीकाकरण के लिए, हाथी बने साथी

WHO India/Sanchita Sharma
स्वास्थ्यकर्मी, टीकाकरण के लिए हाथियों पर सवार होकर नदी पार कर रहे हैं.

भारत: दुर्गम इलाक़ों में टीकाकरण के लिए, हाथी बने साथी

स्वास्थ्य

भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में, म्याँमार की सीमा से लगे चांगलांग ज़िले के दुर्गम इलाक़ों में हाथियोंनावों व ड्रोन के ज़रिये टीके पहुँचाना, नियमित टीकाकरण के लिए वैकल्पिक योजना का अहम हिस्सा साबित हुआ है.

जब अरुणाचल प्रदेश के नोआ-दिहिंग नदी में जल धारा ख़तरनाक रूप ले लेती है, तो दो स्वस्थ हाथियों की माँ, 36 वर्षीय लाखी, चांगलांग ज़िले में नदी के पार दुर्गम बस्तियों में रहने वाले बच्चों की रक्षा के लिए टीकाकरण प्रयासों में अहम भूमिका निभाती है.

लाखी की मदद से टीकाकरण कार्य में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों व जीवनरक्षक टीकों को ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँचाया जाता है. 

चांगलांग ज़िले के मियाओ उप-मंडल के स्वास्थ्य विभाग, और नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिज़र्व के पर्यावरण एवं वन विभाग के बीच सहयोग से, लाखी हाथी के ज़रिये इस ज़िले में नियमित टीकाकरण में मदद मिली है. 

लाखी नामक हाथी, नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व व नोआ-दिहिंग से होते हुए, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले में देबन तक जीवनरक्षक टीके पहुँचाती है.
WHO India/Sanchita Sharma
लाखी नामक हाथी, नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व व नोआ-दिहिंग से होते हुए, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले में देबन तक जीवनरक्षक टीके पहुँचाती है.

टीकाकरण टीम के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम भी होती है, जिसके द्वारा दुर्गम क्षेत्रों में सेवाओं को मज़बूती प्रदान करने के लिए, राज्य सरकार को नियमित टीकाकरण व रोकथाम योग्य बीमारियों के लिए तकनीकी और निगरानी सहायता प्रदान की जाती है. 

भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, लगभग 2.67 करोड़ बच्चों और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को सालाना 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के ख़िलाफ़ मुफ़्त टीका लगाया जाता है.

मिआओ सर्कल, नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व के वन अधिकारी, तागे माली ने बताया, “यहाँ समुदाय अलग-थलग व दूरदराज़ के इलाक़ों में रहते हैं." 

"इसलिए जब चिकित्सा टीमें दूर-दराज़ के गाँवों में दवाएँ और सेवाएँ देने जाती हैं, तो वन्यजीव विभाग उनकी हर सम्भव मदद करता है." 

"हम संसाधन, कर्मियों व भोजन आदि द्वारा मदद देते हैं, जैसेकि चिकित्सा टीमों को दूरदराज़ के गाँवों तक पहुँचने में मदद करने के लिए नाव और हाथी. साथ ही, आपूर्ति ले जाने के लिए लोग और रसद सहायता.” 

उन्होंने कहा, "हमारे पास आठ हाथी हैं, जो बाढ़ के दौरान अन्य क्षेत्रों से कटे हुए इलाक़ों में भोजन, राशन व दवाएँ भी पहुँचाते हैं. इसके अलावा वो दूर स्थित शिकार-विरोधी शिविरों में राशन व कर्मियों को ले जाने के साथ-साथ, नियमित गश्त व सुरक्षा गतिविधियों में भी शामिल होते हैं."

डब्ल्यूएचओ टीम, निगरानी सहायता प्रदान करने के लिए, ज़िला स्वास्थ्य अधिकारियों और वन कर्मियों के साथ लामा गाँव जा रही है.
WHO India/Sanchita Sharma

दुर्गम इलाक़ों के लिए अनूठे समाधान

जीवनरक्षक टीकाकरण गतिविधियों के लिए, गुणवत्तापूर्ण टीकों का समय पर लाभार्थियों तक पहुँचने बहुत आवश्यक होता है. 

चांगलांग ज़िले मेंमियाओ उप-डिवीजन के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर जोंगसम हैंडसम ने बताया, “चुनौती यह है कि मियाओ ज़िले के सभी इलाके दुर्गम हैं और हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी टीके मियाओ में कोल्ड-चेन बिंदु से सत्र स्थलों पर समय पर पहुँच सके."

उनके अनुसार, मॉनसून के महीनों (जून से सितम्बर) में, जब नदी उफ़ान पर होती है और सड़कों पर पानी भर जाता है, तब दूरदराज़ के इलाक़ों में नियमित टीकाकरण सत्र की योजना बनाने के लिए हाथी विशेष रूप से उपयोगी होते हैं. 

ये हाथी, टीकाकरण में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को ऊँची हाथी घास के बीच से निकालकर, नदी के उस पार छोड़ देते हैं, जहाँ से टीका लगाने वाले 5 किलोग्राम वज़न वाले वैक्सीन के बैग के साथ 2 किमी दूर स्थित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWC) तक पैदल जाते हैं.

यह सफ़र उन्हें बाँस के पुलों, हाथी घास और जंगलों से होते हुए बुद्दीसत्ता गाँव तक ले जाता है, जहाँ 93 लोगों की आबादी वाले 20 परिवारों के घर हैं. 

हथिनी लाखी, अपने 13 वर्षीय भतीजे समराज के साथ, जो जंगल में गश्त के लिए जाने के लिए तैयार हो रहा है.
WHO India/Sanchita Sharma

भारत में राष्ट्रीय स्तर पर, नौ बीमारियोंकी रोकथाम के लिए टीके उपलब्ध कराए जाते हैं. 

इनमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, ख़सरा, रूबेला, बचपन में तपेदिक के गम्भीर प्रकार, हेपेटाइटिस बी, और हीमो़िलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी के कारण होने वाला मेनिनजाइटिस और निमोनिया शामिल हैं.

रोटावायरस डायरिया और न्यूमोकोकल निमोनिया के टीके भी कुछ राज्यों में प्रदान किए जाते हैं और फिलहाल उन्हें पूरे देश में उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है. वहीं प्रभावित ज़िलों में, बच्चों को जापानी एन्सेफलाइटिस का टीका प्रदान किया जाता है.