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यमन: हूती लड़ाकों की हिरासत में रखे गए यूएन सहायताकर्मियों की रिहाई की मांग

यमन में पिछले कई वर्षों से जारी हिंसक टकराव के कारण बड़ी संख्या में लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.
© UNICEF/Waleed Qadari
यमन में पिछले कई वर्षों से जारी हिंसक टकराव के कारण बड़ी संख्या में लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

यमन: हूती लड़ाकों की हिरासत में रखे गए यूएन सहायताकर्मियों की रिहाई की मांग

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यमन में संयुक्त राष्ट्र के उन सभी 13 कर्मचारियों को तुरन्त रिहा किए जाने का आग्रह किया है, जिन्हें कुछ दिन पहले हूती विद्रोहियों ने हिरासत में ले लिया था.

पिछले कुछ दिनों में हिरासत में लिए गए ये 13 कर्मचारी, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (6), विशेष दूत कार्यालय (1), यूएन विकास कार्यक्रम (1), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (1), विश्व खाद्य कार्यक्रम (1) और यूएन शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (2) से हैं. 

कम से कम 11 अन्य नागरिक समाज से जुड़े कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया गया है. पिछले एक दशक से यमन में अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यमन सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच टकराव जारी है. देश की राजधानी सना समेत अधिकाँश हिस्से पर हूती लड़ाकों का नियंत्रण है.

इससे पहले, चार अन्य यूएन कर्मचारियों को हूती लड़ाकों (अंसार अल्लाह गुट) द्वारा 2021 और 2023 से अब तक हिरासत में रखा गया है. ना तो उनसे सम्पर्क स्थापित हो पाया है, और ना ही उनके परिवारों, संगठनों या एजेंसियों को उनसे मिलने की अनुमति दी गई है. 

यमन के लिए विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग के कार्यालय के अनुसार, ये चार कर्मचारी यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) और यूनेस्को (UNESCO) में सेवारत थे.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि यह एक बेहद चिन्ताजनक घटनाक्रम है, जोकि यमन में हिंसक टकराव का वार्ता के ज़रिये समाधान ढूंढने के लिए, हूती के संकल्प पर गम्भीर सवाल खड़े करता है.

“संयुक्त राष्ट्र सभी आम नागरिकों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने की निन्दा करता है. मैं हिरासत में रखे गए सभी यूएन कर्मचारियों को बिना शर्त, तुरन्त रिहा किए जाने की मांग करता हूँ.”

विशेष दूत के साथ बैठक

यूएन प्रमुख की यह अपील ऐसे समय में आई है जब उन्होंने विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग से जॉर्डन में मुलाक़ात की है. इस बैठक में यमन में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा हुई है. 

सत्तारुढ़ हूती प्रशासन द्वारा नागरिक समाज के लिए स्थान को सीमित किया जा रहा है और यूएन, अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों व राहतकर्मियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है.

महासचिव और विशेष दूत की बैठक के दौरान, हिरासत में लिए गए कर्मचारियों की रिहाई पर केन्द्रित प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई. इस क्रम में, हूती गुट के मुख्य वार्ताकार मोहम्मद अब्दुल सलाम से ओमान की राजधानी मस्कत में सोमवार को मुलाक़ात हुई थी. 

हैंस ग्रुंडबर्ग ने यूएन न्यूज़ को बताया कि हिरासत में लिए गए सभी कर्मचारियों की तुरन्त, बिना शर्त रिहाई के लिए सभी उपलब्ध ज़रियों से कोशिशें की जा रही हैं. साथ ही, गिरफ़्तार किए गए एनजीओ कर्मचारियों को भी रिहा करने की अपील की गई है. 

यूएन महासचिव और विशेष दूत ने ज़ोर देकर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सभी मानवीय सहायताकर्मियों व नागरिक समाज कार्यकर्ताओं के साथ एकजुट है, जो यमन में ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता व समर्थन पहुँचाने में जुटे हैं.

मानवीय संकट का असर

यमन में इस नवीनतम घटनाक्रम से मानवीय संकट के प्रति चिन्ता गहरा गई है, जहाँ बड़े पैमाने पर लोगों को सहायता की आवश्यकता है.

क़रीब 10 वर्ष से जारी युद्ध के बीच, संघर्षविराम मोटे तौर पर लागू है, मगर सहायता एजेंसियों ने बार-बार आगाह किया गया है कि 1.76 करोड़ लोग – यमन की आधी आबादी – खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है. 

देश में पाँच वर्ष से कम आयु के क़रीब 50 फ़ीसदी बच्चे नाटेपन के शिकार हैं. यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार 45 लाख लोग अब भी विस्थापित हैं, जिनमें से अधिकाँश लोग, कई बार विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.

मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने भी आगाह किया गया है कि कर्मचारियों को हिरासत में लिए जाने का, देश में पहले से ही व्याप्त गम्भीर स्थिति पर नकारात्मक असर हो सकता है. 

उन्होंने हिरासत में लिए गए कर्मचारियों के परिजन के प्रति, आगामी सप्ताहांत को मनाए जाने वाले ईद-अल-अदहा के उत्सव से पहले अपनी सम्वेदना व्यक्त की है, जो अपने प्रियजन के हालात के प्रति चिन्तित हैं.