यमन: नवीनतम दौर की वार्ता, 887 बन्दियों की रिहाई पर सहमति के साथ सम्पन्न
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सोमवार को सभी पक्षों द्वारा उन 887 बन्दियों को रिहा किए जाने की योजना की घोषणा की है, जिन्हें हिंसक टकराव के दौरान हिरासत में लिया गया था. उन्होंने 10 दिनों से जारी वार्ता में हुई प्रगति पर जानकारी दी, जिसके ज़रिए पिछले आठ वर्षों से जारी युद्ध पर विराम लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
विशेष दूत ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा, “यमन के सैकड़ों परिवारों के लिए आज एक अच्छा दिन है. आज, सैकड़ों यमनी परिवार अपने प्रियजनों के साथ फिर एक साथ मिलने की उत्सुकता से राह देख सकते हैं.”
उन्होंने बताया कि बन्दियों की अदला-बदली पर हुए समझौते को लागू करने के लिए निरीक्षण समिति की नवीनतम दौर की बातचीत समाप्त हो गई है, जिसमें कई सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं.
"For 100s of Yemeni families, today is a good day. Unfortunately Yemen doesn’t experience as many good days as it deserves. I warmly congratulate all involved for this achievement. But much remains to be done" SE Grundberg on plan to release 887 detainees https://t.co/I83QjFO2EK https://t.co/2d5Y66OK9H
OSE_Yemen
“लेकिन, यह याद रखना अहम होगा कि जब पक्षों ने बन्दियों की अदला-बदली के समझौते के लिए प्रतिबद्धता जताई, उन्होंने एक वादा किया था, केवल एक-दूसरे के साथ नहीं बल्कि हज़ारों यमनी परिवारों के साथ, जोकि अपने प्रियजनों से अलग हो जाने की पीड़ा के साथ लम्बे समय से रह रहे हैं.”
यमन में पिछले अनेक वर्षों से जारी हिंसक टकराव के कारण व्यापक स्तर पर मानवीय आपात स्थिति उपजी है, जोकि वर्ष 2014 में शुरू हुआ जब हूती लड़ाकों ने देश की राजधानी सना को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.
वर्षों से जारी मानवीय संकट और गहन कूटनैतिक प्रयासों के बाद, युद्धरत पक्षों में अप्रैल 2022 में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी.
नवीनतम दौर की वार्ता की समाप्ति के बाद, युद्धरत पक्षों ने बन्दियों को रिहा किए जाने की योजनाओं को लागू करने पर सहमति जताई है. मध्य-मई में एक बार फिर बैठक होनी तय हुई है, जिसमें अन्य बन्दियों की रिहाई पर चर्चा की जाएगी.
इसके अलावा, एक-दूसरे के हिरासत केन्द्रों का संयुक्त रूप से दौरा किए जाने का भी संकल्प जताया गया है, और इस दौरान सभी बन्दियों के साथ सम्पर्क को सुनिश्चित किया जाएगा.
विशेष दूत ने सभी पक्षों से बन्दियों की त्वरित ढंग से रिहाई सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है.
इससे पहले, 2018 में युद्धरत पक्षों ने स्टॉकहोम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें तीन अहम क्षेत्रों में कार्रवाई पर बल दिया गया था: क़ैदियों की अदला-बदली, संघर्षविराम और शान्ति की दिशा में नागरिक समाज की भागेदारी.
टकराव का टिकाऊ समाधान
वर्ष 2022 के बाद से यमन में अपेक्षाकृत शान्ति है, मगर देश में, संघर्ष का अन्त करने के प्रयासों के बीच कठिन आर्थिक दौर में चिन्ताएँ भी बरक़रार हैं,
हिंसा के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और बड़ी संख्या में परिवारों के लिए भरण-पोषण का संकट है. 2022 में, राहत एजेंसियाँ एक करोड़ 10 लाख से अधिक लोगों को हर महीने सहायता पहुँचा रही थीं.
विशेष दूत ने 15 मार्च को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा था कि पिछले एक वर्ष में काफ़ी प्रगति हुई है और अब समय अगला क़दम आगे बढ़ाने का है.
उनके अनुसार, अब सभी पक्षों को, क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों से मिले इस क्षण का लाभ उठाना होगा और एक अधिक शान्तिपूर्ण भविष्य की दिशा में निर्णायक क़दम उठाना होगा.
हैंस ग्रुंडबर्ग ने कहा कि इसके लिए संयम और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता है और साहस व नेतृत्व की भी दरकार होगी.