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ग़ाज़ा: टोर वैनेसलैंड ने दोहराई युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई की पुकार

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड, सुरक्षा परिषद में फ़लस्तीन के सवाल पर, क्षेत्र की ताज़ा स्थिति की जानकारी देते हुए.
UN Photo/Ariana Lindquist
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड, सुरक्षा परिषद में फ़लस्तीन के सवाल पर, क्षेत्र की ताज़ा स्थिति की जानकारी देते हुए.

ग़ाज़ा: टोर वैनेसलैंड ने दोहराई युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टोर वैनेसलैंड ने सभी सम्बद्ध पक्षों से तुरन्त बातचीत की तरफ़ लौटने, बन्धकों की रिहाई और ग़ाज़ा पट्टी में तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया है. इस बीच इसराइली हमला जारी रहने से, मानवीय तकलीफ़ें बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्रीय तनाव भी बढ़ रहा है.

टोर वैनेसलैंड ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, सभी पक्षों से, अपना रुख़ और अपनी कार्रवाइयाँ तुरन्त बदलने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा, “...बन्धकों की रिहाई और तत्काल एक युद्धविराम लागू किए जाने के लिए एक समझौता होना होगा. इसके लिए बिल्कुल भी और समय नहीं गँवाया जा सकता.”

टोर वैनेसलैंड ने कहा कि एक वृहद मानवीय सहायता कार्रवाई के लिए, लड़ाई का रुकना बहुत ज़रूरी है.

इसके अलावा, स्थिति को और बदतर होने से रोकने के प्रयासों को, एक दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करने के लिए, दीर्घकालिक राजनैतिक रणनीति से जोड़ना होगा.

विशेष दूत ने कहा, “हमें ग़ाज़ा की पुनर्बहाली के लिए एक ढाँचा तैयार करना होगा और ऐसा इसल तरह से कहना होगा कि वो हम सभी को आगे की तरफ़ ले जाए, ना कि इसराइल-फ़लस्तीनी टकराव के एक दीर्घकालिक समाधान से दूर हटाए.”

ग़ाज़ा में इसराइली सेना की लम्बी मौजूदगी नहीं हो

सुरक्षा परिषद के एक विहंगम दृश्य जिसमें मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए विशेष दूत टोर वैनेसलैंड अपनी बात रख रहे हैं.
UN Photo/Loey Felipe

टोर वैनेसलैंड ने कुछ प्रमुख सिद्धान्तों का ज़िक्र किया जिनमें एक ये भी था कि ग़ाज़ा में, लम्बे समय के लिए इसराइली सेना की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने इन सिद्धान्तों में, इसराइल की वैध सुरक्षा चिन्ताओं पर ध्यान दिए जाने का भी ज़िक्र किया, विशेष रूप से 7 अक्टूबर 2023 के, फ़लस्तीनी सशस्त्र समूहों के हमलों के बाद को मद्देनज़र.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा को, भविष्य के फ़लस्तीनी राष्ट्र का हिस्सा बने रहना होगा, और उस राष्ट्र के क्षेत्रीय दायरे में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, और उस राष्ट्र में पश्चिमी तट की मान्यता प्राप्त सरकार के साथ-साथ ग़ाज़ा भी समाहित हो.

भीषण स्थिति, बढ़ते तनाव

टोर वैनेसलैंड ने कहा कि ग़ाज़ा में स्थिति बहुत भीषण है, जहाँ 7 अक्टूबर के बाद से, लगभग 36 हज़ार फ़लस्तीनी और 1,200 इसराइली और विदेशी लोग मारे गए हैं. ग़ाज़ा में बन्धक बनाकर रखे गए 125 लोगों के भाग्य के बारे में अब भी अनिश्चितता बरक़रार है, क्योंकि युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई के लिए समझौते पर गतिरोध बना हुआ है.

ग़ाज़ा में लगभग 20 लाख लोग अपने घरों से बेदख़ल हो गए हैं, उनमें से बहुत से लोगों को तो बार-बार विस्थापित होना पड़ा है. साथ ही, इसराइल के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में, लगभग एक लाख लोग अपने समुदायों से दूर हो गए हैं.

क्षेत्रीय तनाव उछाल पर है, जिसमें इसराइल और लेबनान में सक्रिय हिज़बुल्लाह व अन्य सशस्त्र के बीच झड़पें हो रही हैं, हवाई हमले हो रहे हैं, अन्तरराष्ट्रीय जहाज़ों पर हूथी हमले हो रहे हैं. हाल के समय में, इसराइल और ईरान के दरम्यान भी एक व्यापक टकराव बढ़ा है.

उन्होंने ग़ाज़ा में मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, ऐशदोद और जॉर्डन की तरफ़ से दो सीमा चौकियों को खोले जाने का भी आहवान किया.

हालाँकि उन्होंने ज़ोर देकर ये भी कहा कि ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं और मानवीय सहायता सामग्री की निर्बाध आपूर्ति के लिए दक्षिणी इलाक़े में रफ़ाह सीमा चौकी को भी खोला जाना बहुत ज़रूरी है.