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अमेरिका ने कहा, ग़ाज़ा में मदद के लिए, UNRWA की भूमिका 'अति महत्वपूर्ण'

यूएन सहायता एजेंसियाँ, ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाक़े में, खाद्य सामग्री वितरित करते हुए.
© UNRWA/Mohammed Hinnawi
यूएन सहायता एजेंसियाँ, ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाक़े में, खाद्य सामग्री वितरित करते हुए.

अमेरिका ने कहा, ग़ाज़ा में मदद के लिए, UNRWA की भूमिका 'अति महत्वपूर्ण'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा है कि फ़लस्तीन शरणार्थियों की सहायता के लिए, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNRWA), ग़ाज़ा पट्टी में, आम लोगों को सहायता पहुँचाने में "बहुत अहम भूमिका" निभाती है और एजेंसी में अन्तरराष्ट्रीय विश्वास बहाल किया जाना बहुत ज़रूरी है. 

संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने शुक्रवार को कहा कि इसी कारण के लिए, UNRWA की संयुक्त राष्ट्र द्वारा और किसी बाहरी एजेंसी से भी त्वरित जाँच होनी चाहिए. इस जाँच में के दायरे में, इस एजेंसी के 12 कर्मचारियों पर लगे वो आरोप भी शामिल हों, कि उन्होंने 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी हिस्से में, हमास के आतंकवादी हमले में कुछ भूमिका निभाई थी.

लिंडा थॉमस ने न्यूयॉर्क में शुक्रवार को, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से अपनी व्यक्तिगत क्षमता में बात करते हुए कहा, “इसी तरह हम दानदाताओं का विश्वास बहाल करते हैं और इसी तरह हम यह सुनिश्चित करते हैं कि ऐसा कुछ दोबारा न हो. और हम इस दिशा में महासचिव की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं.''

सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को समर्थन दें

लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने सुरक्षा परिषद द्वारा पहले से ही अपनाए गए दो मानवीय सहायता प्रस्तावों को लागू करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, इन प्रस्तावों को समर्थन दिए जाने का आहवान किया. 

उन्होंने ग़ाज़ा के लिए संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण समन्वयक सिगरिड काग का दृढ़ता से समर्थन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिन्हें सुरक्षा परिषद ने ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता पहुँचाने के ज़रूरी काम की ज़िम्मेदारी सौंपी है.

उन्होंने कहा, "...हम इस पर स्पष्ट हैं कि उनकी सफलता, दरअसल ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र की सफलता है."

”हम उनके प्रयासों को कमज़ोर करने का जोखिम नहीं उठा सकते और ना ही, संवेदनशील वार्ताओं को कमज़ोर कर सकते हैं.”

लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किए जाने के लिए, क्षेत्रीय पक्षों के साथ अपने देश के चल रहे प्रयासों का उल्लेख किया, जो हमास और अन्य समूहों द्वारा बन्धक बनाए गए लोगों की रिहाई सुनिश्चित करेगा, जैसा कि सुरक्षा परिषद ने कुछ सप्ताह पहले आहवान किया था.

उन्होंने कहा कि इस तरह के क़दम से, लम्बे समय तक मानवीय युद्ध-ठहराव सम्भव हो सके, "नवम्बर में हमने युद्ध-ठहराव देखा था उससे भी अधिक समय तक, जिससे अधिक जीवनरक्षक भोजन, पानी, ईंधन, दवाएँ, फ़लस्तीनी लोगों तक पहुँच सकेंगी, जिन्हें इसकी सख़्त ज़रूरत है."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, 15 नवम्बर और 22 दिसम्बर 2023 में अपनाए गए दो प्रस्तावों में, फ़लस्तीनी लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए, ग़ाज़ा पट्टी में तत्काल और विस्तारित मानवीय युद्ध-ठहराव का आहवान किया था. साथ ही हमास द्वारा बन्धक बनाकर रखे गए सभी लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की भी पुकार लगाई गई थी. 

बाद में, सुरक्षा परिषद ने यूएन महासचिव से, सहायता खेपों की मानवीय प्रकृति को "सुविधा प्रदान करने, समन्वय करने, निगरानी करने और सत्यापित करने" के लिए, एक वरिष्ठ मानवतावादी और पुनर्निर्माण समन्वयक नियुक्त करने के लिए भी कहा था.

'हताशा व मायूसी के प्रैशर कुकर' जैसी स्थिति

उधर संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता एजेंसियों ने कहा है कि ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में घमासान लड़ाई के कारण हज़ारों लोग वहाँ से जान बचाने के लिए, दक्षिणी शहर रफ़ाह का रुख़ कर रहे हैं, जिससे वहाँ बड़े पैमाने पर हताशा व्याप्त है और विशाल ज़रूरतों के बीच लोगों की भारी भीड़ निरन्तर बढ़ती जा रही है.

पिछले साल 7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल पर हमास के आतंकी हमलों में 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे, 250 से अधिक को बंधक बना लिया गया था.

इसके बाद, ग़ाज़ा में इसराइली कार्रवाई व बमबारी जारी है, जिसमें 26 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और हज़ारों अन्य घायल हुए हैं. लाखों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है.