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ग़ाज़ा: क़रीब आठ लाख फ़लस्तीनी, रफ़ाह से विस्थापित होने के लिए मजबूर

ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में एक फ़लस्तीनी परिवार रफ़ाह छोड़कर जा रहा है.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में एक फ़लस्तीनी परिवार रफ़ाह छोड़कर जा रहा है.

ग़ाज़ा: क़रीब आठ लाख फ़लस्तीनी, रफ़ाह से विस्थापित होने के लिए मजबूर

मानवीय सहायता

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) का कहना है कि 6 मई को दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह में इसराइली सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से अब तक क़रीब आठ लाख फ़लस्तीनी यह शहर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं.

यूएन एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने शनिवार को ग़ाज़ा में आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए नए सिरे से अपील दोहराई है और कहा कि निर्बाध व सुरक्षित मानवीय सहायता मार्ग के साथ युद्धविराम लागू किए जाने की ज़रूरत है. 

उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में लिखा कि रफ़ाह की लगभग आधी आबादी, आठ लाख लोग फ़िलहाल सड़क पर हैं.

फ़िलिपे लज़ारिनी के अनुसार, इसराइली सेना द्वारा जगह ख़ाली करने के आदेश दिए जाने के बाद लोग मुख्य रूप से मध्य ग़ाज़ा में स्थित इलाक़ों व ख़ान यूनिस में गए हैं. कुछ ने ध्वस्त इमारतों में शरण ली है. 

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यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि आम फ़लस्तीनी जिन इलाक़ों का रुख़ कर रहे हैं, वहाँ ना तो जल आपूर्ति और ना ही साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था है.

इस क्रम में, उन्होंने अल-मवास्सी का उल्लेख किया, जोकि 14 वर्ग किलोमीटर में फैला एक रेतीली कृषि भूमि है, जहाँ लोग खुले में बिना सड़कों या इमारतों के हैं. 

ग़ाज़ा के दक्षिणी तट पर स्थित इस इलाक़े में सुरक्षित व गरिमामय ढंग से आपात मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए ज़रूरी व्यवस्था का अभाव है.

हाल के दिनों में टकराव बढ़ने से पहले अल-मवास्सी में चार लाख लोग रह रहे थे, लेकिन अब यहाँ भारी भीड़ हो चुकी है. 

कोई स्थान सुरक्षित नहीं

फ़िलिपे लज़ारिनी ने क्षोभ जताया कि यह दावा करना कि ग़ाज़ा में लोग सुरक्षित या मानवतावादी ज़ोन में जा सकते हैं, झूठा है. हर बार, इसकी वजह से आम लोगों की ज़िन्दगी पर जोखिम उपजता है.

“ग़ाज़ा में कोई सुरक्षित इलाक़े नहीं हैं. कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. कोई भी सुरक्षित नहीं है.”

उन्होंने कहा कि बुनियादी मानवीय सहायता व आपूर्ति के अभाव में हालात बद से बदतर हो रहे हैं और मानवीय सहायताकर्मियों के पास वितरण के लिए अब सामग्री ख़त्म हो चुकी है.

इस बीच, ग़ाज़ा में अहम सीमा चौकियाँ बन्द हैं या वहाँ से सुरक्षित हालात में निकल पाना सम्भव नहीं है, चूँकि वे लड़ाई वाले इलाक़ों में हैं. इसके मद्देनज़र, UNRWA प्रमुख ने ईंधन समेत अन्य सामान की अहमियत को रेखांकित किया है, जोकि सहायता वितरण के लिए अहम है.

6 मई के बाद से दक्षिणी ग़ाज़ा में केवल 33 सहायता ट्रकों के ज़रिये ही मदद पहुँचाई गई है, जोकि विशाल मानवीय आवश्यकताओं की पृष्ठभूमि में बूँद बराबर है.

युद्धविराम की पुकार

फ़िलिपे लज़ारिनी ने युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों के प्रति सचेत किया, जिसमें सभी ज़रूरतमन्द आम नागरिकों तक मानवीय राहत की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना भी है.

उन्होंने कहा कि विस्थापित आबादी के पास बुनियादी वस्तुओं, जैसेकि भोजन, जल, आश्रय के साथ-साथ स्वच्छता, स्वास्थ्य समेत अन्य सेवाओं की व्यवस्था होनी चाहिए.

यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार यह समय युद्धविराम पर सहमति बनाने का है. लड़ाई और भड़कने से आम नागरिकों के जीवन में और उथलपुथल मचेगी. 

साथ ही, शान्ति व स्थिरता को पाना और मुश्किल हो जाएगा, जबकि इसराइल व फ़लस्तीन को इसकी सख़्त ज़रूरत है.