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कई सप्ताहों में पहली बार, यूएन सहायता टीमें ग़ाज़ा सिटी पहुँचीं

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण लाखों बच्चों पर भीषण असर हो रहा है, जिसमें अनेक बच्चों की मौत हो चुकी है और बहुत से बच्चे अपने माता-पिता से वंचित हो गए हैं.
© UNRWA
ग़ाज़ा में युद्ध के कारण लाखों बच्चों पर भीषण असर हो रहा है, जिसमें अनेक बच्चों की मौत हो चुकी है और बहुत से बच्चे अपने माता-पिता से वंचित हो गए हैं.

कई सप्ताहों में पहली बार, यूएन सहायता टीमें ग़ाज़ा सिटी पहुँचीं

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता एजेंसी - WFP ने बताया है कि कई सप्ताहों में पहली बार, खाद्य सहायता सामग्री ग़ाज़ा सिटी में पहुँच गई है जो लगभग 25 हज़ार लोगों के लिए पर्याप्त होगी. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने मंगलवार को यह भी पुकार लगाई है कि इस तरह के सहायता मिशन हर दिन और बेहतर पहुँच के साथ मुहैया कराए जाने की ज़रूरत है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि एजेंसी, पहुँच में बाधाएँ उत्पन्न होने के कारण, 20 फ़रवरी के बाद से कोई सहायता सामग्री, ज़रूरतमन्द लोगों तक नहीं पहुँचा सकी थी.

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एजेंसी का कहना है कि "ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में लोग खाद्य सामग्री के अभाव में, अकाल के निकट पहुँच गए हैं, हर दिन सहायता सामग्री की आपूर्ति आवश्यक है और उत्तरी इलाक़े में सीधे दाख़िल होने के लिए, प्रवेश अनुमति की भी दरकार है.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के सहायता अधिकारियों ने मंगलवार को इस ख़बर का स्वागत किया कि एक सहायता जहाज़, 200 टन राहत सामग्री लेकर, साइप्रस से ग़ाज़ा के लिए रवाना हुआ है. हालाँकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि यह सहायता सामग्री, अकाल के कगार पर पहुँच चुके, ग़ाज़ावासियों को, ज़मीनी रास्ते से मुहैया कराई जाने वाली सहायता का "विकल्प नहीं" है.

संयुक्त राष्ट्र के सहायता समन्वय कार्यालय - OCHA के प्रवक्ता जेंस लाएर्के ने कहा है, “जैसा कि हम सभी जानते हैं, ग़ाज़ा में पहुँचने वाली, किसी भी भोजन और अन्य आपातकालीन सहायता की सख़्त ज़रूरत है; इसके बारे में कोई सन्देह ही नहीं है.'' 

“इसलिए यह सहायता बहुत सराहनीय है... मगर यह सहायता सामग्री, ग़ाज़ा और विशेष रूप से उत्तरी ग़ाज़ा में, ज़मीनी रास्ते से उपलब्ध कराई जाने वाली आपातकालीन सहायता का कोई विकल्प नहीं है. यह उसकी भरपाई नहीं कर सकती.”

समुद्री राहत विकल्प

संयुक्त राष्ट्र अधिकारी जेंस लाएर्के की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अन्तरराष्ट्रीय दान संस्था - वर्ल्ड सैंट्रल किचन ने घोषणा की कि उसका जहाज़ - ओपन आर्म्स, लगभग 200 टन भोजन सामग्री लेकर, लगभग 200 समुद्री मील दूर ग़ाज़ा के लिए रवाना हुआ है.

संस्था ने एक्स, पूर्व में ट्विटर पर एक सन्देश में कहा है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में लोगों को भोजन खिलाया जाएगा.

यह एनजीओ, पहले ही, दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह में, संयुक्त राष्ट्र सहायता टीमों के साथ काम कर चुका है.

ध्यान रहे कि पिछले पाँच महीनों के दौरान दैनिक इसराइली बमबारी और लड़ाई जारी रहने के कारण, लगभग 15 लाख लोगों ने, ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाक़े में, शरण ली हुई है.

बच्चों की कैंची भी रोकी गई

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फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी - UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने, ग़ाज़ा में अब भी जारी गम्भीर मानवीय आपातकाल की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए, तथाकथित "दोहरे उपयोग" की वस्तुओं को, इसराइली अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने की निन्दा की है.

यूएनआरडब्ल्यूए के कमिश्नर-जनरल फ़िलिपे लज़ारिनी ने मंगलवार को एक ट्वीट सन्देश में कहा है, "सहायता से भरे एक ट्रक को इसलिए अभी वापस कर दिया गया क्योंकि इसमें बच्चों की मेडिकल किट में इस्तेमाल होने वाली क़ैंची थी."

उन्होंने कहा है कि मेडिकल क़ैंची को अब उन प्रतिबन्धित वस्तुओं की लम्बी सूची में जोड़ दिया गया है जिन्हें इसराइली अधिकारी 'दोहरे उपयोग के लिए' के रूप में वर्गीकृत करते हैं. 

इस सूची में बुनियादी ज़रूरतों में काम आने वाली और जीवनरक्षक वस्तुएँ शामिल हैं: एनेस्थेटिक्स, सोलर लाइट, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर से लेकर, पानी साफ़ करने वाली गोलियाँ, कैंसर की दवाएँ और जच्चा-बच्चा किट तक.

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा कि मानवीय सहायता सामग्री को हरी झंडी दिए जाने और बुनियादी व महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति को, आसान और तेज़ किए जाने की आवश्यकता है. “बीस लाख लोगों का जीवन उस पर निर्भर है, बर्बाद करने का कोई समय नहीं है.”

अकाल 'आसन्न'

इसी सन्दर्भ में,संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम – WFP की प्रमुख सिंडी मैक्केन ने, सोमवार को चेतावनी दी कि ग़ाज़ा में अकाल "आसन्न" है और इसे तभी टाला जा सकता है जब वहाँ, मानवीय सहायता "तेज़ी से" बढ़ेगी.

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी की कार्यकारी निदेशक ने, पूरे ग़ाज़ा, विशेषकर उत्तरी क्षेत्र में, लोगों के लिए गम्भीर चिन्ताओं को रेखांकित किया, जो मानवीय आपदा की चपेट में हैं.

“अगर हम उत्तरी क्षेत्रों में जाने वाली सहायता के आकार में तेज़ी से वृद्धि नहीं करते हैं, तो अकाल आसन्न है. यह आसन्न है."

विश्व खाद्य कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक ने बताया कि एजेंसी को, "हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए और क़ानून और व्यवस्था के पूरी तरह से ख़राब होने के कारण" चिन्ताओं के कारण, 20 फ़रवरी को उत्तरी क्षेत्र में, सहायता वितरण अभियान रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा था.