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रफ़ाह में इसराइली हमले से क़त्लेआम की आशंका, यूएन सहायता एजेंसी की चेतावनी

दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह में एक अस्थाई शिविर में कुछ बच्चे.
© WHO
दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह में एक अस्थाई शिविर में कुछ बच्चे.

रफ़ाह में इसराइली हमले से क़त्लेआम की आशंका, यूएन सहायता एजेंसी की चेतावनी

मानवीय सहायता

मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने आगाह किया है कि दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह शहर में, इसराइली हमले से क़त्लेआम होने और पूरे ग़ाज़ा में जीवनरक्षक मानवीय राहत प्रयासों को गहरी चोट पहुँचने की आशंका है.

यूएन एजेंसी प्रवक्ता येंस लार्क ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी छोर पर स्थित रफ़ाह में किसी भी तरह के ज़मीनी सैन्य अभियान का अर्थ होगा, वहाँ शरण लेने वाले 12 लाख विस्थापित फ़लस्तीनियों के लिए और अधिक पीड़ा व मौत.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इन चिन्ताओं को दोहराते हुए कहा कि पूर्ण स्तर पर सैन्य अभियान शुरू किए जाने की स्थिति से निपटने के लिए, कुछ आपात योजनाएँ तैयार की गई हैं. मगर, ग़ाज़ा में विशाल मानवीय तबाही को टालने के लिए वे पर्याप्त नहीं होंगी.

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने कहा कि ये आपात योजना किसी घाव पर अस्थाई पट्टी की तरह है और इससे अतिरिक्त संख्या में मौतों की रोकथाम होने की सम्भावना नहीं है. 

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उन्होंने येरूशेलम से एक वीडियो लिंक के ज़रिये जानकारी देते हुए सचेत किया कि सैन्य अभियान से विस्थापन की एक नई लहर शुरू होगी, भीड़ बढ़ेगी और अति-आवश्यक भोजन, जल व साफ़-सफ़ाई व्यवस्था की कमी होगी और बीमारियाँ फैलेंगी.

डॉक्टर पीपरकोर्न के अनुसार, बद से बदतर होती सुरक्षा व्यवस्था के कारण भोजन, जल व मेडिकल आपूर्ति को ग़ाज़ा में पहुँचाने और उसे वितरित करने के प्रयासों पर भी असर पड़ सकता है.

7 अक्टूबर को हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों द्वारा इसराइल पर आतंकी हमलों के बाद इसराइली जवाबी कार्रवाई शुरू हुए क़रीब सात महीने बीत चुके हैं. 

ग़ाज़ा में स्थित 36 अस्पतालों में से केवल 12 में ही कामकाज हो पा रहा है, वहीं 88 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में से लगभग 22 में, आंशिक सेवाएँ ही प्रदान की जा रही हैं. 

डायलिसिस पर ख़तरा

इनमें रफ़ाह का नज्जर अस्पताल भी है जहाँ सैकड़ों लोगों को डायलिसिस उपचार मुहैया कराया जाता है. 

ग़ाज़ा में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी टीम के प्रमुख डॉक्टर अहम दहीर ने बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्था बस किसी तरह से काम कर पा रही है. यदि इसराइली सैन्य अभियान हुआ तो आम लोग व मरीज़ इन अस्पतालों में नहीं आ पाएँगे, फिर इन मरीज़ों का क्या होगा. “अन्तत: यह एक बड़ी तबाही होगी.”

डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने बताया कि ग़ाज़ा में भोजन की उपलब्धता और उसकी विविधता में कुछ मामूली बेहतरी देखी गई है, मगर फ़िलहाल यह मानना सही नहीं होगा कि कुपोषण के जोखिम में कमी आई है.

उनके अनुसार मौजूदा घटनाक्रम के प्रभाव आने वाले कई वर्षों तक दिखाई देंगे. ग़ाज़ा में कुपोषण के कारण होने वाली बीमारियों की वजह से 30 बच्चों की मौत होने की ख़बरें हैं.

उन्होंने कहा कि खाद्य असुरक्षा के कारण होने वाले मौतों को पूरी तरह से टाला जा सकता था. इलाक़े में मुर्ग़ीपालन और मछली उत्पादन केन्द्र बर्बाद हो गए हैं और फल व सब्ज़ियाँ नहीं उगाए जा रहे हैं.

आपूर्ति के लिए प्रयास

बताया गया है कि मध्य ग़ाज़ा में स्थित डेयर अल बालाह में एक बड़ा भंडारण केन्द्र तैयार किया गया है, जहाँ से यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ज़रूरी सामग्री ख़ान यूनिस और उत्तरी ग़ाज़ा में पहुँचाई है.

वहीं, डेयर अल बालाह में ही अल-अक़्सा अस्पताल और दक्षिणी ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में स्थित योरोपीय ग़ाज़ा अस्पताल में ज़रूरी सहायता सामग्री को पहले से तैयार करके रखा गया है.

ख़ान यूनिस में नासेर चिकित्सा परिसर को फिर तैयार किया जा रहा है, ताकि बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जा सकें.   

विश्व स्वास्थ्य संगठन, अपने साझीदारों के साथ मिलकर ख़ान यूनिस और मध्य ग़ाज़ा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित करने में जुटा है, और चिकित्सा सामान की आपूर्ति की भी व्यवस्था की जा रही है.

वहीं, उत्तरी ग़ाज़ा में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी अल-अहलि, कमाल अदवान और अल-अवदा अस्पतालों में सेवाओं का स्तर बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जहाँ आपात मेडिकल टीम भी तैनात की गई है.