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अमेरिका: फ़लस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ अनुचित बर्ताव पर क्षोभ

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कोलम्बिया युनिवर्सिटी परिसर में छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
UN Photo/Evan Schneider
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कोलम्बिया युनिवर्सिटी परिसर में छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

अमेरिका: फ़लस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ अनुचित बर्ताव पर क्षोभ

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में ग़ाज़ा मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हुई सख़्त कार्रवाई चिन्ताजनक हैं, और यह दर्शाती है कि शिक्षण केन्द्रों में बौद्धिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धान्तों का पतन हो रहा है. 

शिक्षा के अधिकार पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर फ़रीदा शाहीद ने अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा के समापन पर शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी किया.

उन्होंने कहा कि शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों व शैक्षणिक समुदाय का हिंसक तौर-तरीक़ों से दमन, गिरफ़्तारी, पुलिस हिंसा, निगरानी, अनुशासनात्मक कार्रवाई व पाबन्दियाँ बेहद परेशान कर देने वाला घटनाक्रम है. 

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मानवाधिकार विशेषज्ञ के अनुसार, ये सभी प्रदर्शनकारी अपने अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्र होने के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे.  

उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदर्शनकारियों के साथ, उनके राजनैतिक मत के आधार पर अनुचित ढंग से बर्ताव किया गया है, वह बेहद चिन्ताजनक है, विशेष रूप से फ़लस्तीनियों के समर्थन में हुए प्रदर्शनों के दौरान.  

संवैधानिक प्रतिबद्धता

विशेष रैपोर्टेयर शाहीद ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान वॉशिंगटन डीसी, इंडियाना और कोलोराडो का दौरा किया, और उसी समय अमेरिकी कॉलेज परिसरों में फ़लस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे.

प्रदर्शनकारी छात्र युद्धविराम लागू किए जाने और विश्वविद्यालयों द्वारा इसराइल के साथ वित्तीय सम्बन्धों को समाप्त करने की मांग कर रहे थे.

स्वतंत्र विशेषज्ञ ने कहा कि ये हमले दर्शाते हैं कि शैक्षणिक स्थलों पर बौद्धिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धान्तों का पतन हो रहा है.

फ़रीदा शाहीद ने अमेरिका सरकार से अपील की है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति मूल संकल्प को फिर से दोहराया जाना होगा, और सभी छात्रों को अपने विविध विचारों व परिप्रेक्ष्यों को बेरोकटोक प्रकट करने का अवसर देकर इसे सुनिश्चित किया जा सकता है. 

अकादमिक स्वतंत्रता पर ख़तरा

विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार जनवरी 2021 के बाद से अब तक अमेरिका में 307 ऐसे विधेयक व नीतियाँ पेश की गई हैं, जिनसे किताबों व पाठ्यक्रम पर पाबन्दी थोपी जाती है. 

इससे विचारों के मुक्त आदान-प्रदान पर सुन्न कर देने वाला असर होता है और हाशिए पर रहने वाली आवाज़ों को चुप करा दिया जाता है.

फ़रीदा शाहीद ने कहा कि अमेरिकी शैक्षणिक व्यवस्था में अल्पनिवेश की वजह से अन्य व्यवस्थागत मुद्दे उभर रहे हैं, जिनमें अध्यापकों की क़िल्लत और छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य समर्थन सम्बन्धी चुनौतियाँ हैं. 

इसके मद्देनज़र, उन्होंने संघीय सरकार से शिक्षा केन्द्रों में निवेश से जुड़ी मौजूदा विषमताओं को दूर करने का आग्रह किया है.

साथ ही, संघीय व प्रान्तीय सरकारों द्वारा शिक्षा को एक मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी जानी होगी, सभी छात्रों को उनकी पृष्ठभूमि, पहचान, आय के स्तर, निवास स्थान या अन्य किसी प्रकार के निजी हालात की परवाह किए बग़ैर न्यायसंगत ढंग से पहुँच सुनिश्चित करनी होगी.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. 

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.