यूएन मानवाधिकार परिषद के साथ सम्बन्ध बहाल करने के अमेरिकी फ़ैसले का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अमेरिका की नई सरकार द्वारा, यूएन मानवाधिकार परिषद के साथ, सम्बन्ध बहाल करने के फ़ैसले का स्वागत किया है. याद रहे कि अमेरिका की पूर्ववर्ती डॉनल्ड ट्रम्प सरकार ने, लगभग तीन वर्ष पहले, इस बहुपक्षीय संस्था से देश को अलग कर लिया था.
अमेरिका के विदेश मन्त्री एंटनी ब्लिन्केन ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, “जो बाइडेन सरकार ने लोकतन्त्र, मानवाधिकारों और समानता पर केन्द्रित विदेश नीति के लिये, अमेरिका की प्रतिबद्धता को फिर से पक्का किया है.”
The Human Rights Council reviews the human rights records of all 193 UN member countries — the only process of this kind in existence. More on @UN_HRC: https://t.co/gpZHzcxGGX #StandUp4HumanRights pic.twitter.com/TZjghpZ3Im
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वक्तव्य में कहा गया है, “इस दृष्टिकोण में, बहुपक्षीय विकल्पों और औज़ारों का प्रभावशाली प्रयोग एक महत्वपूर्ण तत्व है, और इस सम्बन्ध में, राष्ट्रपति ने विदेश मन्त्रालय को, यूएन मानवाधिकार परिषद के साथ, तत्काल और सक्रियता के साथ, सम्बन्ध बहाल करने का निर्देश दिया है.”
पूर्ववर्ती ट्रम्प सरकार ने, जून 2018 में, अमेरिका को यह आरोप लगाते हुए, मानवाधिकार परिषद से हटा लिया था कि यह परिषद, इसराइल के विरुद्ध पूर्वाग्रह के साथ काम कर रही है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता द्वारा, सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि यूएन मानवाधिकार परिषद के साथ सम्बन्ध बहाल करने के अमेरिकी फ़ैसले का वो स्वागत करते हैं.
वक्तव्य में कहा गया है, “यूएन मानवाधिकार परिषद, व्यापक दायरे वाली मानवाधिकार चुनौतियों से निपटने वाला, दुनिया का एक अग्रणी मंच है."
"इस परिषद की प्रणाली और विशेष प्रक्रिया, कार्रवाई व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये, बहुत अहम व कारगर उपाय और औज़ार हैं.”
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार परिषद के तमाम कामकाज में, अमेरिका की महत्वपूर्ण आवाज़ सुनने के लिए उत्सुक है.”
मानवाधिकार परिषद के लिये अमेरिकी प्रभारी मार्क कैसायर ने, सोमवार को, जिनीवा में हुई, मानवाधिकार परिषद की बैठक में कहा कि जो बाइडेन सरकार, लोकतन्त्र, मानवाधिकारों और समानता पर केन्द्रित विदेश नीति में विश्वास रखती है... बहुपक्षीय औज़ारों का असरदार इस्तेमाल, इस विश्वास का एक अति महत्वपूर्ण तत्व है.”
उन्होंने कहा कि अमेरिका, आरम्भ में, परिषद के साथ, एक पर्यवेक्षक के रूप में, अपने सम्बन्ध शुरू करेगा. इस क्षमता में, अमेरिकी सरकार के पास, परिषद में अपनी बात रखने, वार्ताओं में शिरकत करने, और प्रस्ताव प्रस्तुत करने में, अन्य पक्षों के साथ सहयोग साझेदारी करने का अवसर होगा.
अमेरिकी प्रभारी ने कहा कि उनका देश परिषद की ख़ामियों को भी समझता है, इसके बावजूद, ये संस्था, उन लोगों के लिये एक महत्वपूर्ण मंच है जो दुनिया भर में, अत्याचारों और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं. “वार्ता की मेज़ पर मौजूद रहकर, हम ये सुनिश्चित करना चाहेंगे कि ये परिषद अपनी इस सम्भावना को पूरा करने की कसौटी पर खरी उतर सके.”
अमेरिकी विदेश मन्त्री एंटनी ब्लिन्केन ने इससे पहले, सोमवार को ही अपने वक्तव्य में ध्यान दिलाते हुए कहा था कि मानवाधिकार परिषद की संरचना में कुछ ख़ामियाँ हैं, मगर, जब ये परिषद कुशलतापूर्वक काम करती है तो, बहुत ख़राब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों को, सबके सामने उजाले में ले आती है.
साथ ही यह परिषद, उन लोगों के लिये भी एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम कर सकती है जो अन्याय और अत्याचारों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं.
विदेश मन्त्री ने कहा, “परिषद दुनिया भर में बुनियादी आज़ादियों को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है, जिनमें अभिव्यक्ति की आज़ादी, संगठन बनाने और सभाएँ करने की आज़ादी और धर्म व आस्था की आज़ादियाँ शामिल हैं. साथ ही, इनमें महिलाओं, लड़कियों, एलजीबीटी व्यक्तियों, और हाशिये पर धकेल दिये गए अन्य समूहों के लोगों के अधिकार भी शामिल हैं.”
उन्होंने कहा, “परिषद की ख़ामियों को उजागर करने और यह देखने के लिये कि ये परिषद ख़ुद को मिला शासनादेश पूरा करे, अमेरिका, वार्ता की मेज़ पर मौजूद रहना चाहता है, ताकि कूटनौतिक नेतृत्व का पूरा वज़न इस्तेमाल किया जा सके.”