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ग़ाज़ा पट्टी: जीवनरक्षक सहायता को नकारने के लिए, इसराइल की 'कुटिल मुहिम'

मध्य पूर्व में उपजे संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान, UNRWA महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी और यूएन में इसराइल के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत गिलाद ऐरदान (दाएँ).
UN Photo/Evan Schneider
मध्य पूर्व में उपजे संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान, UNRWA महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी और यूएन में इसराइल के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत गिलाद ऐरदान (दाएँ).

ग़ाज़ा पट्टी: जीवनरक्षक सहायता को नकारने के लिए, इसराइल की 'कुटिल मुहिम'

शान्ति और सुरक्षा

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने ग़ाज़ा पट्टी में बद से बदतर होते मानवीय संकट से सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को अवगत कराया. उन्होंने आशंका जताई कि इसराइल द्वारा जीवनरक्षक सहायता की आपूर्ति को रोका जाना, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े से उनके संगठन को बाहर करने की ‘कुटिल मुहिम’ का हिस्सा है.

7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमलों के बाद शुरू हुई इसराइली सैन्य कार्रवाई में अब तक यूएन एजेंसी के 178 UNRWA कर्मचारियों की जान जा चुकी है.

बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक शुरू होने के बाद, सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने अपना दायित्व निभाते हुए जान गँवाने वाले मानवीय सहायताकर्मियों की स्मृति में एक मिनट का मौन धारण किया. 

महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा कि उनके संगठन को एक ऐसे समय में सुनियोजित, समन्वित मुहिम का सामना करना पड़ रहा है, जब उसके द्वारा ग़ाज़ा में 12 हज़ार कर्मचारियों द्वारा प्रदान की जाने वाली मानवीय सहायता सेवाओं की सबसे अधिक आवश्यकता है.

ग़ाज़ा के कुछ इलाक़ों में अकाल का जोखिम मंडरा रहा है, और ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने में यूएन एजेंसी की एक केन्द्रीय भूमिका है. साथ ही, पिछले कई दशकों से UNRWA ने फ़लस्तीनी इलाक़ों में विकास का समर्थन किया है.

UNRWA प्रमुख ने आगाह किया कि जिस तरह से संगठन के सहायता अभियान का अन्त करने के लिए इस मुहिम को चलाया जा रहा है, उसके अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए गम्भीर नतीजे हो सकते हैं.

फ़िलिपे लज़ारिनी ने क्षोभ व्यक्त किया कि ग़ाज़ा में अनवरत बमबारी हो रही है और निर्दयी ढंग से की गई घेराबन्दी की वजह से ग़ाज़ा को पहचान पाना मुश्किल हो गया है. मौजूदा हालात संगठन के लिए अस्तित्व पर सवाल खड़ करते हैं.

ग़ाज़ा में बच्चों की कुपोषण और भूख-प्यास से मौत हो रही है जबकि भोजन व स्वच्छ जल सीमा पार उपलब्ध है.

UNRWA महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने मध्य पूर्व में हालात के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित किया.
UN Photo
UNRWA महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने मध्य पूर्व में हालात के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित किया.

जीवनरक्षक प्रयासों में बाधाएँ

महाआयुक्त लज़ारिनी ने कहा कि ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने और ज़िन्दगियों को बचाने की कोशिश के लिए अनुमति को नकारा गया है. उनके अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेशों के बावजूद ऐसा किया जा रहा है, जोकि राजनैतिक इच्छाशक्ति होने पर सम्भव है.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में बदलाव लाने की शक्ति है, और अधिकाँश सदस्य देश यूएन एजेंसी के समर्थन में हैं.

मगर, इसराइली सरकार इस एजेंसी को बन्द करना चाहती है और उत्तरी ग़ाज़ा में मदद पहुँचाने के अनुरोधों को बार-बार ख़ारिज किया जा रहा है. 

स्वतंत्र जाँच की मांग

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा कि उनकी एजेंसी के परिसर को सैन्य उद्देश्यों के लिए, इसराइल, हमास और अन्य फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों द्वारा इस्तेमाल किया गया है, और मुख्यालय पर सैन्य क़ब्ज़ा भी हुआ है.

इसराइली सैनिकों द्वारा UNRWA कर्मचारियों को हिरासत में लिए जाने की भी ख़बरें हैं, जिन्होंने बाद में बुरे बर्ताव और यातना दिए जाने के अनुभवों को बयाँ किया. 

“हम अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत मानवीय सहायताकर्मियों, अभियान व सुविधा केन्द्रों को प्राप्त संरक्षित दर्जे के इस खुले उल्लंघन के लिए एक स्वतंत्र जाँच व जवाबदेही की माँग करते हैं.”

ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस इलाक़े में यूएन टीम एक ध्वस्त स्कूल का निरीक्षण कर रही है.
© UNOCHA/Themba Linden
ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस इलाक़े में यूएन टीम एक ध्वस्त स्कूल का निरीक्षण कर रही है.

उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से एक ख़तरनाक परिपाटी स्थापित होगी और दुनिया भर में मानवीय सहायता प्रयासों के लिए जोखिम उत्पन्न हो सकता है.

7 अक्टूबर को हमास के हमलों में UNRWA के कुछ कर्मचारियों के संलिप्त होने के आरोप लगे थे, जिसके बाद सम्बद्ध कर्मचारियों को बर्ख़ास्त कर दिया गया. 

साथ ही, यूएन महासचिव की ओर से जाँच का आदेश दिया गया, और UNRWA की तटस्थता बरक़रार रखने के लिए एक स्वतंत्र समीक्षा भी कराई जा रही है.

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा कि तुरन्त, निर्णायक लिए जाने के बावजूद, 16 दानदाताओं ने अपना वित्तीय योगदान रोक दिया था, मगर कई ने ऐसा नहीं किया है, जिससे एजेंसी का कामकाज प्रभावित हो रहा है.