वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सततता सप्ताह: वैश्विक वित्तीय तंत्र में विशाल सुधार लागू किए जाने का आग्रह

नेपाल की राजधानी काठमाँडू में एक मज़दूर अपनी पीठ पर बोझा ढोते हुए. कोविड-19 ने लोगों की ज़िन्दगी व रोज़गार को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है. बहुत से दिहाड़ी मज़दूरों की आमदनी ख़त्म हो गई है.
UN News\Vibhu Mishra
नेपाल की राजधानी काठमाँडू में एक मज़दूर अपनी पीठ पर बोझा ढोते हुए. कोविड-19 ने लोगों की ज़िन्दगी व रोज़गार को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है. बहुत से दिहाड़ी मज़दूरों की आमदनी ख़त्म हो गई है.

सततता सप्ताह: वैश्विक वित्तीय तंत्र में विशाल सुधार लागू किए जाने का आग्रह

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव और यूएन महासभा अध्यक्ष ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में तत्काल, बड़े पैमाने पर सुधार लागू किए जाने की पुरज़ोर अपील की है, जिसके तहत विकासशील जगत में अरबों नागरिकों को कर्ज़ राहत के लिए नए तौर-तरीक़ों को अपनाया जाना अहम होगा.

यूएन महासभा की ओर से पहली बार ‘सततता सप्ताह’ (sustainability week) का आयोजन किया गया है, और सोमवार को ऋण सततता व सर्वजन के लिए सामाजिक-आर्थिक समानता के मुद्दे पर चर्चा हुई.

इस सप्ताह अन्य बैठकों में टिकाऊ परिवहन, पर्यटन और ऊर्जा समेत अन्य विषयों पर चर्चा होगी.

Tweet URL

यूएन महासचिव ने महासभा की इस उच्चस्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए क्षोभ जताय कि कर्ज़ का विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर उन्हें पंगु बना देने वाला असर हुआ है. 

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तानेबाने की विफलता का सबसे बड़ा उदाहरण मौजूदा कर्ज़ व्यवस्था है, और पिछले चार वर्ष एक आपदा सरीखे साबित हुए हैं.

यूएन प्रमुख के अनुसार, विदेशी कर्ज़ की क़िस्तों को चुकाने के बोझ से अनेक देशों के पास अपनी अर्थव्यवस्थओं में निवेश के लिए कुछ नहीं बचा है.

यूएन के आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2023 में, वैश्विक सार्वजनिक ऋण 313 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया, और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं.

एक अनुमान के अनुसार, 25 विकासशील देशों में 20 फ़ीसदी से अधिक कर राजस्व विदेशी कर्ज़ चुकाने में ख़र्च हो रहा है. 

ऋण लेने की ऊँची क़ीमतों की वजह से कुल तीन अरब से अधिक आबादी वाले देशों को शिक्षा या स्वास्थ्य योजनाओं की तुलना में ब्याज़ की दरों पर अधिक व्यय करना पड़ रहा है.

गहराती विषमताएँ

यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने अपने सम्बोधन में सचेत किया कि धनी व निर्धन देशों के बीच असमानताएँ गहरी होती जा रही हैं.

वर्ष 2030 तक, 60 करोड़ लोगों के साधनहीन बने रहने की आशंका है, जोकि हमें टिकाऊ विकास लक्ष्यों से दूर रह जाने का संकेत है. विश्व की 10 प्रतिशत आबादी के पास वैश्विक सम्पदा का 76 प्रतिशत है. 

उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील जगत के बीच खाई चौड़ी होती जा रही है, जिससे लोगों के लिए अवसर सीमित हो रहे हैं और महिलाओं, युवजन, विकलांगजन व ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले लोगों पर गम्भीर असर हो रहा है.

सुधार की पुकार

यूएन महासचिव ने ऐसे जीवनरक्षक उपायों की पुकार लगाई है, जिनसे विकासशील देशों के लिए कर्ज़ के दलदल से बाहर निकलना सम्भव हो सके.

इस क्रम में उन्होंने एसडीजी प्रोत्साहन पैकेज का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने पिछले साल फ़रवरी में पेश किया था. इस कार्यक्रम के तहत विकासशील देशों द्वारा 500 अरब डॉलर के वार्षिक वित्त पोषण का प्रावधान होगा ताकि 2030 टिकाऊ विकास एजेंडा को पूरा किया जा सके.

इसके अलावा, वैश्विक वित्तीय तंत्र में भी आमूल-चूल सुधार लाने पर बल दिया गया है, जिसमें कर्ज़ प्रक्रिया में पारदर्शिता, स्थानीय मुद्राओं में ऋण देने की व्यवस्था और कर्ज़ प्रदान करने के लिए नए उपाय विकसित किए जाएं.