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म्याँमार: रिहायशी इलाक़ों में भारी हथियारों के प्रयोग पर गहरी चिन्ता

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में चक्रवाती तूफ़ान मोका से हुई तबाही का एक दृश्य.
OCHA/Pierre Lorioux
म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में चक्रवाती तूफ़ान मोका से हुई तबाही का एक दृश्य.

म्याँमार: रिहायशी इलाक़ों में भारी हथियारों के प्रयोग पर गहरी चिन्ता

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने, म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में, लड़ाई में, आवासीय इलाक़ों में भारी हथियारों के के अन्धाधुन्ध प्रयोग पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने सोमवार को मुख्यालय में पत्रकारों को बताया कि यह लड़ाई सत्तारूढ़ सैन्य शासन - जुंटा की वफ़ादार सेनाओं और विद्रोही अराकान आर्मी के बीच चल रही है.

प्रवक्ता ने कहा कि पूरे देश में विभिन्न विद्रोही गुटों और राष्ट्रीय सेना के बीच लड़ाई तेज़ हो रही है ऐसे में लड़ाई में भारी हथियारों का प्रयोग किए जाने से, आम लोगों के लिए भारी जोखिम उत्पन्न हो गया है और लोगों की जानें जा रही हैं.

स्तेफ़ान दुजैरिक ने बताया कि शनिवार को राख़ीन प्रान्त की राजधानी सित्तवे में, एक तोप का भारी गोला, एक आवासी इलाक़े में गिरा जिसने कम से कम 8 रोहिंज्या लोगों की जान ले ली और 12 अन्य को घायल कर दिया. घायलों में पाँच बच्चे भी हैं.

ग़ौरतलब है कि म्याँमार में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट करके, सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किए जाने को तीन साल हो चुके हैं. उसके बाद से विपक्षी विचारों और प्रदर्शनों पर सेना के बल प्रयोग में 4 हज़ार 600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें सैकड़ों महिलाएँ और बच्चे हैं. 

हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. 

प्रवक्ता ने बताया कि पिछले लगभग एक पखवाड़े में ये दूसरी बार ह जब सित्तवे में तोप गोला गिरने से लोगों की जान गई है.

राख़ीन, अधिकतर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का घर है, जहाँ से लाखों रोहिंज्या लोग, 2017 में सेना के हिंसक दमन से बचकर, सुरक्षा की ख़ातिर पड़ोसी बांग्लादेश में पनाह लेने के लिए जा चुके हैं.

प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि इस स्थिति के कारण पूरे राज्य में, लोगों के विस्थापन में तेज़ी आ गई है.

तीन लाख से अधिक लोग इस समय विस्थापित हैं.

उन्होंने कहा कि युद्धरत पक्षों द्वारा अपनाए जा रहे तरीक़े, आम लोगों को नुक़सान पहुँचा रहे हैं और ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता पहुँचाने में, सहायता एजेंसियों की क्षमता पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं.

प्रवक्ता ने कहा, “हम सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी की याद दिलाते हैं, जिसके दायरे में सहायता कर्मी भी शामिल हैं.”