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म्याँमार में लोकतन्त्र के समर्थन के लिये सुरक्षा परिषद में ‘एकता अहम’ 

म्याँमार में बगान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है.
World Bank/Markus Kostner
म्याँमार में बगान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है.

म्याँमार में लोकतन्त्र के समर्थन के लिये सुरक्षा परिषद में ‘एकता अहम’ 

शान्ति और सुरक्षा

म्याँमार पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए, देश में लोकतन्त्र के समर्थन में एकजुट होने का आहवान किया है. म्याँमार में सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने और काउंसलर आँग सान सू ची सहित सहित शीर्ष राजनैतिक नेताओं को हिरासत में लिये जाने की पृष्ठभूमि में, मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बन्द दरवाज़े में बैठक हुई है. 

म्याँमार में, सेना ने एक साल के लिये आपातकाल लगाए जाने की घोषणा की है. 

बताया गया है कि यूएन की विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद को अपने सम्बोधन में कहा, “इस परिषद की एकता पहले से कहीं ज़्यादा अहम है.”

“मैं सेना द्वारा हाल ही में उठाए गए क़दमों की कड़ी निन्दा करती हूँ, और आप सभी से म्याँमार में लोकतन्त्र के समर्थन में स्पष्ट संकेत भेजने का आग्रह करती हूँ.”

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म्याँमार में मौजूदा संकट नवम्बर 2020 में हुए चुनावों के बाद शुरू हुआ. ध्यान रहे कि ये चुनाव एक दशक पहले सैन्य शासन का अन्त होने के बाद, देश में दूसरा लोकतान्त्रिक चुनाव था. 

इन चुनावों में आँग सान सू ची की नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने भारी जीत हासिल की है लेकिन सेना और अन्य राजनैतिक दलों ने चुनावों में धाँधली के आरोप लगाए हैं. 

म्याँमार में सुप्रीम कोर्ट को चुनाव में कथित धाँधलियों की शिकायत पर सुनवाई के सम्बन्ध में इस महीने अपने न्यायिक क्षेत्र के बारे में आदेश देना है.   

“ऐसा प्रतीत होता था कि सेना क़ानून के राज की रक्षा करने के लिये संकल्पित है, इसलिये ताज़ा घटनाक्रम आश्चर्यजनक और स्तब्धकारी है.”

रिहाई की माँग

यूएन की विशेष दूत ने चुनावों में एनएलडी पार्टी की जीत को रेखांकित किया है, जिसमें उसे 82 प्रतिशत सीटों पर विजय प्राप्त हुई है. 

क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने कहा कि चुनावों में जीत एनएलडी के लिये एक मज़बूत जनादेश है. 

यह म्याँमार की जनता की आकाँक्षा को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि मुश्किल से हासिल किये गए लोकतान्त्रिक सुधारों की दिशा में क़दम बढ़ाना जारी रखा जाए. 

उन्होंने देश में आपातकाल को हटाए जाने और हिरासत में रखे गए नेताओं को रिहा करने की अपील की है, और कहा है कि चुनाव के बाद क़ानूनी कार्रवाई दोनों पक्षों के पूर्ण संकल्प के साथ फिर शुरू होनी चाहिये.  

उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना द्वारा फिर चुनाव कराए जाने के प्रस्ताव को हतोत्साहित किया जाना चाहिये.  

विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद से नागरिकों व मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए आगाह किया है कि मौजूदा घटनाक्रम का असर देश में रोहिंज्या संकट के निपटारे के प्रयासों पर पड़ सकता है.

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मुख्यत: मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय सैन्य कार्रवाई की बर्बरता का शिकार रहा है. 

वर्ष 2017 में सुरक्षा बलों की कार्रवाई से जान बचाने के लिये सात लाख से ज़्यादा रोहिंज्या लोगों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली थी.  

यूएन महासभा प्रमुख चिन्तित

संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रमुख वोल्कान बोज़किर ने म्याँमार में राजनैतिक नेताओं की तत्काल रिहाई की पुकार लगाई है. 

उन्होंने कहा है कि देश में लोकतन्त्र और क़ानून के राज को कमज़ोर बनाने की कोशिशें अस्वीकार्य हैं. 

महासभा अध्यक्ष के प्रवक्ता ब्रैण्डेन वर्मा ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि वोल्कान बोज़किर ने चिन्ता जताई है कि सैन्य तख़्तापलट से म्याँमार में रोहिंज्या सहित सबसे निर्बल समुदायों के लिये हालात और भी ज़्यादा कठिन हो सकते हैं. 

उन्होंने तख़्तापलट की निन्दा की है और राख़ीन प्रान्त व देश के अन्य हिस्सों में मानवीय सहायता बेरोकटोक  पहुँचाने का रास्ता खुला रखे जाने का आग्रह किया है.