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Gaza: 'अस्पताल युद्धस्थल नहीं हैं', मानवीय सहायता कर्मियों की पुकार - बच्चों का उत्पीड़न रोका जाना होगा,

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, कैथरीन रसैल ने ख़ान यूनिस के अल नासेर अस्पताल में शरण लेने वाले लोगों से मुलाक़ात की.
© UNICEF/UNI470988/
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, कैथरीन रसैल ने ख़ान यूनिस के अल नासेर अस्पताल में शरण लेने वाले लोगों से मुलाक़ात की.

Gaza: 'अस्पताल युद्धस्थल नहीं हैं', मानवीय सहायता कर्मियों की पुकार - बच्चों का उत्पीड़न रोका जाना होगा,

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने, बुधवार को ग़ाज़ा पट्टी की यात्रा के बाद कहा कि वहाँ मौजूद दस लाख बच्चों के लिए, ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है. उन्होंने बताया कि उन्होंने वहाँ जो कुछ भी देखा व सुना, वह अत्यन्त ‘भयावह’ था. इस बीच ग़ाज़ा में ईंधन की भीषण क़िल्लत के बीच, बुधवार को मानवीय सहायता अभियान पूरी तरह थम गए हैं.

यूनीसेफ़ प्रमुख की ये टिप्पणियाँ इन ख़बरों के बीच आईं कि, इसराइल के सुरक्षा बलों ने, बुधवार की सुबह भी ग़ाज़ा के अल शिफ़ा अस्पताल के भीतर छापा मारा है, जहाँ पिछले कुछ दिनों के दौरान भारी युद्ध और हवाई बमबारी में, अनेक मरीज़ों की मौतें हुई हैं. इनमें समय से पूर्व पैदा हुए कुछ भच्चे भी था जिन्हें जीवनरक्षक सहायता पर रखा गया था, मगर बिजली आपूर्ति ठह होने से उनकी ये सहायता बन्द करनी पड़ी थीं.

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सोशल मीडिया मंचों पर लिखा है, "अस्पताल युद्ध के स्थान नहीं हैं."

उन्होंने ज़ोर दिया कि "नवजात शिशुओं, मरीज़ों, चिकित्सा स्टाफ़ और अन्य आम लोगों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाना, अन्य तमाम चिन्ताओं से अधिक अहम होना चाहिए".

गम्भीर मानवाधिकार हनन

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, कैथरीन रसैल ने बुधवार को ग़ाज़ा पट्टी में बच्चों, उनके परिवारों व यूनीसेफ़ के कर्मचारियों से मुलाक़ात की.

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उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा के बच्चे, बार-बार बमबारी, विध्वंस और विस्थापन सह रहे हैं. 

कैथरीन रसैल ने कहा, “संघर्षरत पक्ष, बाल अधिकारों का गम्भीर उल्लंघन कर रहे हैं; इनमें हत्या, अपंगता, अपहरण, स्कूलों और अस्पतालों पर हमले एवं मानवीय सहायता पहुँच की अनुमति देने से इनकार तक शामिल है.” 

उन्होंने कठोर शब्दों में इसकी निन्दा की.

ग़ाज़ा में अब तक अनुमानित 4,600 से अधिक बच्चे मारे गए हैं, जबकि लगभग 9,000 घायल हुए हैं.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक ने, इस दुख़द स्थिति की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, “बहुत से बच्चे लापता हैं और माना जा रहा है कि वे ढही हुई इमारतों और घरों के मलबे के नीचे दबे हुए हैं, जो आबादी वाले इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल का दुख़द परिणाम है." 

"इस बीच, बिजली और चिकित्सा आपूर्ति समाप्त होने के कारण, ग़ाज़ा के एक अस्पताल में विशेष देखभाल की ज़रूरत वाले नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई है. अन्धाधुन्ध हिंसा का असर जारी है.” 

अस्पतालों की स्थिति

कैथरीन रसैल ने खान यूनिस के अल नासेर अस्पताल में, मरीज़ों और विस्थापित परिवारों से मुलाक़ात की. उन्होंने अनेक मरीज़ों की मार्मिक स्थिति का ब्यौरा देते हुए बताया, “अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी एक 16 वर्षीय लड़की ने मुझे बताया कि उसके पड़ोस में बमबारी हुई, जिसमें वो बच तो गई, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अब वो कभी चल नहीं पाएगी.” 

उन्होंने कहा, “अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में, छोटे-छोटे बच्चे, ज़िन्दगी के लिए इन्क्यूबेटर से चिपके थे. डॉक्टर चिन्तित थे कि वो बिना ईंधन के, मशीनों को कब तक चालू रख पाएंगे.” 

कैथरीन रसैल ने अपनी यात्रा के दौरान, ग़ाज़ा पट्टी में तैनात यूनीसेफ़ के कर्मचारियों से भी भेंट की, जो ख़तरे और तबाही के बीच भी, बच्चों की मदद करने से पीछे नहीं हटे हैं. 

कैथरीन रैसल ने बताया, “उन्होंने मेरे साथ, अपने बच्चों पर इस युद्ध के प्रभाव, परिवार के सदस्यों की मौत और कई बार विस्थापित होने की अपनी हृदय विदारक कहानियाँ साझा कीं.” 

राहत कर्मियों के हौसले

इसराइली हमले और बेदख़ली के आदेश के बाद, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े से लाखों लोग, अन्यत्र जाने को विवश हुए हैं.
© UNRWA/Ashraf Amra

उन्होंने बताया कि यूनीसेफ़ के कर्मचारी व अपने परिवारों समेत कई अनय लोग, पानी, भोजन एवं ज़रूरी स्वच्छता रहित, भीड़ भरे आश्रयों में रहने को मजबूर हैं. इन स्थितियों में बीमारी फैलने का ख़तरा भी बना रहता है.

ग़ाज़ा के भीतर काम कर रहे राहतकर्मियों के लिए अत्यन्त जोखिम भरी स्थिति हैं. अक्टूबर से अब तक UNRWA के 100 से अधिक कर्मचारी मारे जा चुके हैं.

कैथरीन रसैल ने कहा, “यूनीसेफ़ और हमारे साझीदार, यथासम्भव हर कोशिश कर रहे हैं, जिसमें अत्यन्त आवश्यक मानवीय आपूर्ति लाना भी शामिल है. लेकिन डीज़ल ईंधन ख़त्म हो गया है, जिसके कारण कुछ अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों ने काम करना बन्द कर दिया है. ईंधन के अभाव में परिशोधन संयंत्र, पेयजल उपलब्ध नहीं करा सकते हैं, जिससे मानवीय आपूर्ति वितरित करना असम्भव है.” 

उन्होंने कहा, “मानवीय आपूर्ति की आवाजाही के लिए ग़ाज़ा की सीमा चौकियों को रुक-रुक कर खोलना, आसमान छूती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं है. साथ ही, सर्दी का मौसम पास आने के साथ ही, ईंधन की आवश्यकता अधिक तीव्र हो सकती है.” 

उन्होंने बताया कि आज जब वो ग़ाज़ा से निकलीं, तो भारी बारिश हो रही थी, जिससे परेशानियाँ और बढ़ गई थीं.”

उन्होंने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत सभी बच्चों की सुरक्षा व सहायता करने की अपील की. उन्होंने कहा, “वास्तव में केवल संघर्षरत पक्ष ही इस भयावहता को रोक सकते हैं.” 

कैथरीन रसैल ने कहा, "मैं सभी पक्षों से तत्काल मानवीय युद्धविराम लागू करने, सभी अपहृत और हिरासत में लिए गए बच्चों को सुरक्षित रूप से रिहा करने तथा यह सुनिश्चित करने का आहवान करती हूँ कि राहत कर्मियों को जीवनरक्षक सेवाओं एवं आपूर्तियों के साथ, ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचने के लिए सुरक्षित, निरन्तर व निर्बाध पहुँच दी जाए.”

ग़ाज़ा में इसराइल की हवाई बमबारी में तबाह हुए अपने घर में, एक 9 वर्षीय बच्चा.
© UNICEF/Eyad El Baba