UNEA: पर्यावरणीय संकटों से मुक़ाबले के लिए, कार्रवाई व समाधानों की पुकार
पृथ्वी पर गम्भीर जोखिम मंडरा रहा है, पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो रहे हैं, जलवायु में बड़े बदलाव आ रहे हैं, और इन सभी चुनौतियों के लिए मानवता ज़िम्मेदार है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने केनया की राजधानी नैरोबी में यूएन पर्यावरण सभा (UNEA) के छठे संस्करण को सम्बोधित करते हुए विश्व नेताओं से जलवायु समाधानों को आगे बढ़ाने की पुकार लगाई है.
महासचिव गुटेरेश ने पर्यावरण सभा के लिए अपने वीडियो सन्देश में ज़ोर देकर कहा कि बेहतरी के प्रयासों की सख़्त आवश्यकता है.
यूएन पर्यावरण सभा, UNEA-6 विश्व में पर्यावरणीय मुद्दों पर सबसे बड़ा निर्णय-निर्धारण निकाय है, जिसका लक्ष्य प्रकृति व व्यक्तियों के बीच समरसता को फिर से बहाल करना है.
यूएन सभा का छठा संस्करण सोमवार को शुरू हुआ और शुक्रवार को इसका समापन होगा, जिसमें 180 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने प्रकृति-आधारित समाधानों, नुक़सानदेह कीटनाशकों, भूमि क्षरण, सूखे समेत अनेक अहम विषयों पर चर्चा की है.
प्रतिनिधिमंडल का ध्यान मुख्य रूप से क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों पर केन्द्रित रहा है, जिनमें से कुछ 50 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं.
इन समझौतों के ज़रिये प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने, रासायनिक प्रदूषण को कम करने और ओज़ोन परत में आए छेद को भरने में मदद मिली है.
पर्यावरण सभा की भूमिका
महासचिव गुटेरेश ने UNEA-6 के उच्चस्तरीय खंड के लिए अपने सम्बोधन में बताया कि पृथ्वी के समक्ष अनेक पर्यावरणीय संकट मौजूद हैं, ज़हरीली होती जा रही नदियों से, बढ़ते हुए समुद्री जल स्तर तक.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने, चरम मौसम घटनाओं के प्रति सहनसक्षमता विकसित करने और जलवायु न्याय सुनिश्चित करने समेत अन्य उपायों पर ज़ोर दिया है.
उन्होंने कहा कि यूएन पर्यावरण सभा की इन प्रयासों में अहम भूमिका है. “आपने दर्शाया है कि आप एकजुट होकर नतीजा दे सकते हैं, जैसेकि हाल ही में प्लास्टिक सन्धि पर सहमति बनाने का ऐतिहासिक निर्णय.”
“मैं आप से फिर यह करने और यहाँ से कहीं आगे जाने का आग्रह करता हूँ.”
टिकाऊ पर्यावरण
यूएन महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने भी यूएन सभा को अपने सम्बोधन में मुख्य रूप से एक स्वस्थ पर्यावरण व टिकाऊ विकास लक्ष्यों के वादे को साकार करने पर बल दिया.
“कई वर्षों से, हमने यह जाना है कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक कहीं अधिक सुरक्षित, न्यायोचित व समृद्ध कल की अति आवश्यक ज़रूरत है और उसे आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है.”
महासभा प्रमुख के अनुसार, टिकाऊ विकास लक्ष्यों में पृथ्वी व आम लोगों के लिए एक समृद्ध व न्यायसंगत भविष्य का ब्लूप्रिंट दिया गया है, मगर यह ध्यान रखना होगा कि फ़िलहाल हम 2030 तक उन्हें हासिल करने की समय सीमा से बहुत दूर हैं.
उन्होंने कहा कि प्रगति की मौजूदा रफ़्तार और पर्यावरणीय आपात स्थिति के मद्देनज़र यह सुनिश्चित करना होगा कि यूएन पर्यावरण सभा के ज़रिये एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के मानवाधिकार को मज़बूत किया जाए.
साथ ही, इसके ज़रिये प्रकृति के साथ सन्तुलन बहाल करने के लिए बहुपक्षीय उपायों को बढ़ावा देना होगा.
स्वास्थ्य पर ख़तरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि मनुष्यों, पशुओ व पर्यावरण के बीच बेहद नज़दीकी मगर नाज़ुक सम्बन्ध है.
उन्होंने आगाह किया कि यदि पृथ्वी एक मरीज़ होती, तो फ़िलहाल उसे गहन चिकित्सा कक्ष में रखे जाने की ज़रूरत होती, और इसी वजह से मानव स्वास्थ्य भी ख़राब हो रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार, चरम मौसम घटनाओं की आवृत्ति और गहनता बढ़ने की वजह से हताहतों की संख्या बढ़ रही है, ताप लहरों के कारण हृदयधमनी रोगों में वृद्धि हो रही है, वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर, दमे समेत अन्य बीमारियों के मामले उछाल पर हैं.
अन्य प्रजातियों पर भी असर हुआ है. जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों, पक्षियों और अन्य पशुओं के व्यवहार, वितरण, आवाजाही और संख्या में बदलाव आए हैं, जिससे मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियाँ अब नए इलाक़ों में फैल रही हैं.
इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने ऊर्जा, परिवहन, खाद्य व स्वास्थ्य प्रणालियों में रूपान्तरकारी बदलावों का आहवान किया है और कहा कि स्वास्थ्य स्थिति, जलवायु कार्रवाई का सबसे अहम कारण होना चाहिए.