जैवविविधता

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (मध्य बाएँ), केप वर्डे का यात्रा पर जहाँ, देश के विदेश मंत्री विदेश मंत्री रूई ऐलबर्टो एफ़ सोआरेस ने उनका औपचारिक स्वागत किया.Soares
UN Photo/Mark Garten

कैबो वर्डे जलवायु परिवर्तन के अग्रिम मोर्चे पर, यूएन प्रमुख

कोई देश एक टिकाऊ विकास सुनिश्चित किस तरह कर सकता है, जबकि उसके क्षेत्र का 99.3 प्रतिशत हिस्सा जल हो? संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, इसी तरह के कुछ सवालों और समाधानों पर ग़ौर करने के प्रयासों के तहत, शनिवार को कैबो वर्डे (केप वर्डे) नामक द्वीपीय देश में पहुँचे हैं जो अटलांटिक महासागर में स्थित है.

भारत और श्रीलंका के जंगलों में हरे रंग की जंगली छिपकली पाई जाती है.
© Unsplash/K. P. D. Madhuka

वैश्विक जैवविविधता के सरंक्षण के लिये महत्वपूर्ण समझौता

कैनेडा के माँट्रियाल में संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन (कॉप15) के समापन पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति बनी है, जोकि इस दशक के अन्त तक विश्व में 30 प्रतिशत भूमि, तटीय इलाक़ों और अन्तर्देशीय जलक्षेत्र के संरक्षण पर लक्षित है. एक वीडियो रिपोर्ट...

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएँ) कैनेडा के माँट्रियाल में जैवविविधता को समर्पित एक संग्रहालय में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रडो के साथ.
UN Photo/Evan Schneider

प्रकृति संरक्षण के लिये, देशों व व्यवसायों से मज़बूत कार्रवाई का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि प्रकृति की कारगर ढँग से रक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकारों और निजी सैक्टर को सक्रिय प्रयास करने होंगे. यूएन प्रमुख ने कैनेडा के माँट्रियाल शहर में यूएन जैवविविधिता सम्मेलन (कॉप15) के दौरान बुधवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में यूएन जैव विविधता सम्मेलन कॉप15 में, युवाओं के साथ बातचीत करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider

कॉप15: युवजन का नेतृत्व और न्याय की चाहत, ‘आशा के सर्वश्रेष्ठ संकेत’

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने मौजूदा वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को, नैतिक दीवालिया क़रार देते हुए इसकी आलोचना की है और कैनेडा के माँट्रियाल में, यूएन जैवविविधता सम्मेलन कॉप15 के लिए एकत्र युवजन से, न्याय की ख़ातिर आगे बढ़ने की पुकार लगाई है, ताकि तमाम देश, विशेष रूप से विकासशील दुनिया को, जैव विविधता हानि को रोकने और इनसानों व प्रकृति के दरम्यान सन्तुलन बहाल करने के लिए दरकार उपकरण हासिल हो सकें.

बोलिविया के लगूना कोलोराडा में फ़्लैमिन्गोज़.
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‘प्रकृति के बिना, हमारे पास कुछ भी नहीं’: यूएन जैवविविधता सम्मेलन - कॉप15 में यूएन प्रमुख की चेतावनी

जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण सम्मेलन (कॉप15) मंगलवार को कैनेडा के माँट्रियाल शहर में आरम्भ हुआ है, जहाँ वार्ताकार मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकृति के चिन्ताजनक विध्वंस पर लगाम कसने के लिये नए लक्ष्य स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे.यूएन प्रमुख ने जैवविविधता की रक्षा के लिये तीन अहम उपायों पर बल देते हुए आगाह किया है कि प्रकृति के बिना, मानवता के पास कुछ भी नहीं है.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के ओकापी रिज़र्व में वन्यजीवन.
© FAO/Thomas Nicolon

कॉप27: जैवविविधता की रक्षा, दरअसल पेरिस समझौते की रक्षा है

अनेक वर्षों से जलवायु संकट और जैवविविधता संकट को अलग-अलग मुद्दों के रूप में देखा जाता रहा है, मगर वास्तविकता यह है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का कोई भी व्यावहारिक उपाय, प्रकृति की रक्षा और तात्कालिक पुनर्बहाली के बिना सम्भव नहीं है. मिस्र के शर्म अल-शेख़ में बुधवार को इनकी अहमियत को रेखांकित किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था में प्रकृति के योगदान को अक्सर कम करके आंका जाता है.
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अल्पकालिक मुनाफ़े के बजाय, प्रकृति के मूल्य पर ध्यान दिये जाने पर बल

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक नई रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि राजनैतिक व आर्थिक निर्णयों में जिस प्रकार से प्रकृति के मूल्य का कमतर आकलन किया जाता है, वह मौजूदा जैवविविधता संकट का एक मुख्य कारक है. रिपोर्ट के अनुसार प्रकृति के योगदान को प्राकृतिक जगत पर आधारित नीतिगत निर्णयों में भी परिलक्षित किया जाना होगा. 

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सम्मेलन. महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद (बाएँ), यूएन पर्यावरण एजेंसी प्रमुख इन्गेर ऐण्डरसन (मध्य), यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेेरेश (दाएँ)
© UNEP

स्टॉकहोम+50 सम्मेलन: पर्यावरणीय संकटों से रक्षा के लिये कार्रवाई का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मानवता और वैश्विक कल्याण पर मंडराते जोखिमों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि मौजूदा हालात की एक बड़ी वजह यह है कि अब तक किये गए पर्यावरण सम्बन्धी वादे पूरा नहीं किये गए हैं.

जलवायु परिवर्तन के कारण जैविक विविधता पर ख़तरा मंडरा रहा है.
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प्रकृति के विरुद्ध 'नासमझी भरे, विनाशकारी युद्ध' का अन्त किये जाने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 22 मई, को ‘अन्तरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस’ के अवसर पर अपने सन्देश में, जैवविविधता की रक्षा व प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने और सर्वजीवन हेतु एक साझा, टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लक्ष्य के साथ कारगर कार्रवाई का आहवान किया है.