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स्टॉकहोम+50 सम्मेलन: पर्यावरणीय संकटों से रक्षा के लिये कार्रवाई का आहवान

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सम्मेलन. महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद (बाएँ), यूएन पर्यावरण एजेंसी प्रमुख इन्गेर ऐण्डरसन (मध्य), यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेेरेश (दाएँ)
© UNEP
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सम्मेलन. महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद (बाएँ), यूएन पर्यावरण एजेंसी प्रमुख इन्गेर ऐण्डरसन (मध्य), यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेेरेश (दाएँ)

स्टॉकहोम+50 सम्मेलन: पर्यावरणीय संकटों से रक्षा के लिये कार्रवाई का आहवान

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मानवता और वैश्विक कल्याण पर मंडराते जोखिमों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि मौजूदा हालात की एक बड़ी वजह यह है कि अब तक किये गए पर्यावरण सम्बन्धी वादे पूरा नहीं किये गए हैं.

यूएन प्रमुख ने गुरूवार को स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में आयोजित सम्मेलन (स्टॉकहोम+50) को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि वर्ष 1972 के बाद से पृथ्वी की रक्षा करने के लिये केन्द्रित प्रयासों में सफलता मिली है, और इनमें ओज़ोन परत का बचाव भी है.

मगर, उन्होंने पृथ्वी के समक्ष मौजूद तिहरे पर्यावरणीय ख़तरों – जलवायु व्यवधान, प्रदूषण और जैवविविधता हानि – पर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि पृथ्वी की स्वाभाविक व्यवस्था, हमारी मांगों से तालमेल नहीं बैठा पा रही हैं.

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उन्होंने कहा कि जलवायु आपात स्थिति के कारण हर वर्ष ज़्यादा संख्या में लोगों की मौत हो रही है और वे विस्थापित हो रहे हैं.

जैवविविधता को पहुँच रही हानि से तीन अरब लोगों के लिये ख़तरा पैदा हो गया है, और प्रदूषण व अपशिष्ट, हर वर्ष 90 लाख मौतों के लिये ज़िम्मेदार है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने इन मुसीबतों से बाहर निकलने के लिये स्टॉकहोम सम्मेलन में प्रतिनिधियों से कार्रवाई की पुकार लगाई है.

उन्होंने कहा कि सभी देशों को हर किसी के लिये एक स्वच्छ, स्वस्थ पर्यावरण के बुनियादी मानवाधिकार की रक्षा करने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने होंगे.

इस क्रम में, निर्धन समुदायों, महिलाओं व लड़कियों, आदिवासी लोगों व भावी पीढ़ियों की विशेष रूप से सहायता की जानी होगी.

जीडीपी प्रणाली में बदलाव

महासचिव के अनुसार मौजूदा चुनौतियों से निपटने के समाधान कुछ हद तक किसी देश के आर्थिक प्रभाव को मापने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (GDP) आकलन की मौजूदा व्यवस्था से पीछे हटने का है.

उन्होंने इसे एक ऐसी लेखांकन प्रणाली बताया है जिसके ज़रिये प्रदूषण व अपशिष्ट को बढ़ावा मिलता है.

“हमें यह नहीं भूलना होगा कि जब हम एक वन को बर्बाद करते हैं, हम जीडीपी सृजित कर रहे हैं. जब हम ज़रूरत से ज़्यादा मछली पकड़ते हैं, हम जीडीपी सृजित कर रहे हैं. विश्व में मौजूदा परिस्थितियों में जीडीपी सम्पन्नता को मापने का तरीक़ा नहीं है.”

यूएन प्रमुख ने इन ख़तरों का सामना करने के लिये, सभी देशों से 2030 एजेण्डा के सभी 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों और पेरिस जलवायु समझौते के प्रति मज़बूत संकल्प लेने का आहवान किया.

कार्रवाई का आहवान

साथ ही, वर्ष 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को नैट शून्य के स्तर तक लाने के लिये विशाल प्रयासों की दरकार होगी.   

यूएन प्रमुख के मुताबिक़ गरम हवा की वजह से लोगों की मौत हो रही है. उन्होंने देशों से जीवाश्म ईंधन को दी जाने वाली सब्सिडी बन्द करने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि विकसित देशों को, निर्धन देशों के लिये अपना समर्थन कम से कम दोगुना करना होगा, ताकि बढ़ते जलवायु व्यवधानों के मद्देनज़र अनुकूलन उपाय अपनाए जा सकें.  

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि देशों ने ग्रह की रक्षा के लिये पहले ही अनेक मोर्चों पर सहयोग किया है. इसी क्रम में, प्रकृति को पहुँच रही क्षति की दिशा पलटने के लिये, वर्ष 2030 तक एक नए वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क पर सहमति होने की भी उम्मीद है.

इसके समानान्तर, प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती से मुक़ाबला करने के लिये एक नई सन्धि पर चर्चा जारी है, और पुर्तगाल के लिस्बन शहर में 2022 यूएन महासागर सम्मेलन में समुद्रों को बचाने के प्रयासों को स्फूर्ति प्रदान की जाएगी.

प्रकृति पर अनवरत हमला 'चिन्ताजनक'

सम्मेलन के आयोजक और संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि एक सरल सत्य को मान लेने की ज़रूरत है: ऐसी पृथ्वी पर मानव प्रगति नहीं हो सकती है, जिसे उसी के संसाधनों से वंचित कर दिया गया हो, प्रदूषण से आघात पहुँचाया गया हो, और जलवायु संकट की वजह से जिस पर अनवरत हमला हो रहा हो.

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जलवायु कार्रवाई पहलों जैसेकि प्लास्टिक प्रदूषण सन्धि की दिशा में प्रयासों से उन्हें उम्मीद बंधी है, मगर इन्हें वृहद प्रयासों का हिस्सा बनाया जाना होगा.

“हमें ऐसे समाधानों की ज़रूरत है, जिनसे सम्पूर्ण पर्यावरण एजेण्डा को प्रभावित कर रही आम समस्याओं से निपटा जाए, जिससे फिर 2030 एजेण्डा को लागू करने में तेज़ी लाने और वैश्विक महामारी के बाद एक सहनसक्षम व टिकाऊ पुनर्बहाली को बढ़ावा मिलेगा.”

संकल्प लेने का अवसर

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की प्रमुख इन्गेर ऐण्डरसन ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए स्टॉकहोम में पर्यावरण के मुद्दे पर मूल सम्मेलन के 50 वर्ष बाद, अनेक नए समझौते हुए हैं, जिनमें हर पर्यावरणीय चुनौती का ख़याल रखा गया है.

मगर, व्यावहारिक नतीजों में कमी रह गई है, और विषमता, अन्याय व तिहरे पर्यावरणीय संकटों के कारण चिन्ताजनक संकेत मिल रहे हैं.

“यदि आज इन्दिरा गाँधी या ओल्फ़ पाल्मे यहाँ होते, तो हम अपर्याप्त कार्रवाई के लिये क्या बहाना पेश कर सकते थे? कुछ भी नहीं जो वो स्वीकार कर पाते. वे हमसे कहते कि अब कार्रवाई ना होने के लिये कोई और बहाना नहीं है”

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी वित्तीय प्रणालियों, हमारी जीवनशैली और हमारी शासन व्यवस्था में न्यायोचित व निष्पक्ष रूपान्तरकारी बदलावों के लिये वैज्ञानिक समाधान स्पष्ट हैं.

इन्गेर ऐण्डरसन ने स्टॉकहोम+50 सम्मेलन को कायापलट कर देने वाले इन सभी बदलावों के लिये प्रतिबद्धता दर्शाने का अवसर क़रार दिया.

नई पहल

इस बीच स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में, एक हज़ार से अधिक हितधारकों के संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक गठबन्धन ने डिजिटल औज़ारों के सहारे पर्यावरणीय व सामाजिक नज़रिये से टिकाऊ विकास में तेज़ी लाने की पहल पेश की है.

100 से अधिक देशों के हितधारकों के गठबन्धन, Coalition for Digital Environmental Sustainability (CODES), ने डिजिटलीकरण के हर आया में सततता को हिस्सा बनाए जाने के रास्ते पेश किये हैं.

इसके तहत, वैश्विक समावेशी प्रक्रियाओं के ज़रिये डिजिटल सततता के लिये मानक व शासन फ़्रेमवर्क निर्धारित किया जाएगा और संसाधनों व बुनियादी ढाँचों को आबण्टित किया जाएगा. साथ ही, डिजिटलीकरण से होने वाले नुक़सान या जोखिम में कमी लाने के लिये अवसरों की शिनाख़्त की जाएगी.

#Stockholm50 international meeting gets underway in Sweden