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निरस्त्रीकरण प्रयासों पर मौजूदा गतिरोध स्वीकार्य नहीं – यूएन महासचिव

न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय के नज़दीक परमाणु अप्रसार के समर्थन में प्रदर्शन. (फ़ाइल)
© ICAN/Seth Shelden
न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय के नज़दीक परमाणु अप्रसार के समर्थन में प्रदर्शन. (फ़ाइल)

निरस्त्रीकरण प्रयासों पर मौजूदा गतिरोध स्वीकार्य नहीं – यूएन महासचिव

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चिन्ता जताई है कि भूराजनैतिक दरारों, शस्त्र प्रतिस्पर्धाओं, ख़तरनाक नई प्रौद्योगिकियों और परमाणु जोखिमों के इस दौर में, निरस्त्रीकरण पर यूएन सम्मेलन अपने वादे को निभाने में विफल साबित हो रहा है.

इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य पारस्परिक निरस्त्रीकरण के लिए सहयोग को प्रोत्साहन देना है, मगर हाल के समय में इस दिशा में बड़ी चुनौतियाँ उपजी हैं.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि यदि साल-दर-साल, निरस्त्रीकरण सम्मेलन में ठोस निरस्त्रीकरण की ओर ना बढ़ा जाए, तो यह सही प्रतीत नहीं होता.

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“मानवता के लिए यह ज़रूरी है कि निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन सफलतापूर्वक काम करे. जिस तरह से गतिरोध व गतिहीनता इसे प्रदर्शित करते हैं, वह अस्वीकार्य है.”

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि इस सम्मेलन ने कई अहम समझौतों के मसौदे तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है, जिनमें परमाणु हथियार अप्रसार सन्धि (NPT) और व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “शान्ति के लिए ये विजय बड़ी मेहनत और कठिनाई से हासिल की गईं,” और ये कोई चमत्कार नहीं, बल्कि देशों के बीच आपसी सहयोग का नतीजा थीं.

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि वैश्विक भरोसा दरक रहा है और भूराजनैतिक दरारों के कारण पूर्ण रूप से गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसके मद्देनज़र, इस सम्मेलन में तत्काल सुधार लाना होगा. 

‘समावेशी कूटनीति’

इस क्रम में, यूएन प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित ‘शान्ति के लिए नया एजेंडा’ का उल्लेख किया, जिसमें वैश्विक शान्ति व सुरक्षा तंत्र में रोकथाम व निरस्त्रीकरण को अहम स्थान दिया गया है.

उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय प्रयासों के इर्दगिर्द जिस तरह से निराशावाद फैल रहा है, सम्मेलन को उससे बचना होगा और मानवता को आगे ले जाने वाले समाधानों की ओर सक्रियता से बढ़ना होगा.

“मौजूदा कूटनैतिक गतिरोध के बावजूद, इस सम्मेलन की मुख्य आधार आज भी पहले की ही तरह महत्वपूर्ण है.”

महासचिव ने बताया कि निरस्त्रीकरण का सबसे कारगर उपाय, समावेशी कूटनीति है, और इसकी तत्काल, सख़्त आवश्यकता है.

निरस्त्रीकरण पर सम्मलेन

निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर वार्ता के लिए, विश्व के एकमात्र बहुपक्षीय फ़ोरम के तौर पर निरस्त्रीकरण पर सम्मलेन की स्थापना, 1979 में की गई थी. जिनीवा-आधारित अनेक पुरानी समितियों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 

इनमें हथियारों की होड़ पर लगाम कसने के लिए अनेक अहम समझौतों, जैसेकि परमाणु हथियार अप्रसार सन्धि, जैविक हथियार पर प्रतिबन्ध व विध्वंस के लिए सन्धि, रासायनिक हथियारों पर प्रतिबन्ध व विध्वंस के लिए सन्धि और व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि शामिल हैं. 

इस सम्मेलन में 65 सदस्य देश हैं, जिनमें परमाणु अप्रसार सन्धि के तहत पाँच घोषित परमाणु शक्ति सम्पन्न देश – चीन, फ्राँस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका – समेत अन्य देश हैं. 

इसके अलावा, इस सम्मेलन में ग़ैर-सदस्यों को भी कामकाज में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया जाता है.