बेलारूस: ग़ैर-रणनैतिक परमाणु हथियारों की तैनाती की योजना से उपजे तनाव में कमी लाने का आग्रह

निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पिछले सप्ताह, रूस द्वारा बेलारूस में ग़ैर-रणनीतिक परमाणु हथियार तैनात किए जाने की घोषणा से पैदा हुए तनाव में कमी लाने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने होंगे.
Today, High Representative @INakamitsu urged dialogue to reduce nuclear risk and de-escalate tensions during @UN Security Council briefing on the threat to international peace and security.
UN_Disarmament
निरस्त्रीकरण मामलों के लिए यूएन उच्च प्रतिनिधि इज़ूमी नाकामित्सू ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “परमाणु अस्त्रों को इस्तेमाल किए जाने का जोखिम, शीत युद्ध की गहराइयों के बाद फ़िलहाल सबसे अधिक है.”
“यूक्रेन में युद्ध, उस जोखिम का हाल में सबसे बड़ा उदाहरण है.”
पिछले सप्ताह, रूस के राष्ट्रपति व्लीदीमीर पुतिन ने बेलारूस के साथ एक समझौते की घोषणा की थी, जिसके तहत ग़ैर-रणनैतिक परमाणु हथियारों को बेलारूस के क्षेत्र में जुलाई महीने तक तैनात किया जाएगा.
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मुद्दे पर बेलारूस ने रूस का साथ दिया है, जहाँ ये हथियार हवाई इस्तेमाल के लिए वहाँ रखे जाने की योजना है.
इज़ूमी नाकामित्सू ने कहा कि सम्वाद की कमी, निरस्त्रीकरण व शस्त्र नियंत्रण तंत्रों के क्षरण, ख़तरनाक बयानबाज़ी और पर्दे के पीछे से दी जाने वाली धमकियों की वजह से, परमाणु तनाव और भड़कने के जोखिम की वजह हैं.
“जब बात परमाणु अस्त्रों से सम्बन्धित मुद्दों की हो, तो सभी सदस्य देशों को किसी भी ऐसे क़दम से बचना होगा, जिससे तनाव भड़क उठे, ग़लती या ग़लत अनुमान लगाया जाए.”
इस क्रम में, उन्होंने सम्बद्ध सदस्य देशों को परमाणु अप्रसार सन्धि के प्रति सचेत किया है, उसके अन्तर्गत तय सभी संकल्पों व दायित्वों के अनुपालन पर बल दिया है.
“तनाव में कमी लाने के लिए उन्हें जल्द सम्वाद की ओर लौटना होगा, और भरोसा बढ़ाने वाले क़दमों व पारदर्शिता को लागू करने के लिए रास्तों की तलाश करनी होगी.”
बताया गया है कि परमाणु साझाकरण का मुद्दा, यानि परमाणु हथियार सम्पन्न देश द्वारा इन अस्त्रों को एक ऐसे देश में तैनात किया जाना, जिसके पास परमाणु हथियार नहीं है, यह विभिन्न क्षेत्रों में अनेक दशकों से रहा है.
इज़ूमी नाकामित्सू ने रूस और अमेरिका के लिए यूएन महासचिव की अपील दोहराते हुए कहा कि हम सभी की सुरक्षा के नज़रिये से, नई START सन्धि को पूर्ण रूप से लागू किए जाने की ओर लौटना होगा, और उसके बाद की व्यवस्था पर वार्ता शुरू की जानी होगी.
यह सन्धि, रणनैतिक अस्त्रों में कमी लाने पर केन्द्रित है, और इसके ज़रिये दोनों देशों द्वारा परमाणु हथियारों के मुद्दे पर जानकारी साझा की जाती रही है.
संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत वसिलि नेबेन्ज़िया ने कहा कि दायित्वों का उल्लंघन किए बिना, बेलारूस के साथ सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.
“हम परमाणु हथियार हस्तान्तरित नहीं कर रहे हैं. हम वायुयानों में नए उपकरण फ़िट करने और बेलारूस के क्षेत्र में एक भण्डारण केन्द्र के निर्माण के लिए प्रशिक्षण टीमों की बात कर रहे हैं.”
रूसी राजदूत ने कहा कि यदि अमेरिका और उसके साथी देशों ने कीव में 2014 में तथाकथित तख़्तापलट नहीं किया होता, और वहाँ हथियारों नहीं भेजे होते तो रूसी टैंक इस समय यूक्रेन में नहीं होते.
वसीलि नेबेन्ज़िया के अनुसार, अमेरिका ने योरोप में पहले से ही 100 से 150 परमाणु हथियारों को तैनात किया हुआ है. उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आकर, अमेरिकी परमाणु हथियारों को फिर से अपने क्षेत्र में वापिस लाना होगा.
“एक परमाणु युद्ध को जीता नहीं जा सकता है.”
अमेरिका के राजदूत रॉबर्ट वुड्स ने कहा कि रूस यह कहकर इन हथियारों की तैनाती को जायज़ ठहरा रहा है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को कवच भेदने वाले आयुद्ध प्रदान किए हैं, जिसमें जर्जर यूरेनियम (depleted unranium) है, मगर यह बकवास बात है.
अमेरिकी प्रतिनिधि के अनुसार, कवच भेदने वाला आयुद्ध किसी भी तरह से सामरिक परमाणु हथियार नहीं है.
उन्होंने कहा कि रूस, यूक्रेन द्वारा अपने बचाव में किए जाने वाले प्रयासों को सीमित करने और उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की जा रही है और युद्ध जीतने के लिए स्थिति को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.
रॉबर्ट वुड्स ने कहा कि रूस, शान्ति पर ध्यान देने के बजाय इस क्रूर युद्ध को और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं, बेलारूस ने रूस द्वारा इस तैनाती को सम्भव बनाने के लिए नए क़ानूनों को लागू किया है.
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन में किसी भी तरह से परमाणु हथियार के इस्तेमाल के गम्भीर नतीजे होंगे, जिससे युद्ध का स्वरूप पूरी तरह से बदल जाएगा. इसके मद्देनज़र, उन्होंने बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियारों की तैनाती पर फिर से विचार किए जाने का आग्रह किया है.