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हथियारों पर नियंत्रण के लिए नए सिरे से प्रयासों की ज़रूरत

निरस्त्रीकरण सम्मेलन का पहला दिन.
UN Photo/Antoine Tardy
निरस्त्रीकरण सम्मेलन का पहला दिन.

हथियारों पर नियंत्रण के लिए नए सिरे से प्रयासों की ज़रूरत

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से जटिल वातावरण में हथियारों पर नियंत्रण कसने के लिए एक नई वैश्विक दृष्टि की आवश्यकता है. उन्होंने आगाह किया कि सदस्य देशों को बिना सोचे-समझे परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं हो जाना चाहिए. 

जिनिवा में निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन में अपने संबोधन में यूएन महासचिव ने निरस्त्रीकरण प्रक्रिया के लिए नई सोच और दृष्टि अपनाते समय फ़िलहाल कायम व्यवस्था की रूपरेखा को संरक्षित रखने पर भी बल दिया है.

यूएन महासचिव ने माना कि अधिकांश सदस्य देश जनसंहार के हथियारों का ख़ात्मा चाहते हैं लेकिन फिर भी निरस्त्रीकरण सम्मेलनों में पिछले दो दशकों से इस पर बातचीत नहीं हुई है. इसके चलते हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दों पर वार्ता और मंचों पर हो रही है. 

"इस कक्ष का इतिहास चेतावनी भरा एक इतिहास है. तत्कालीन सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में लीग ऑफ़ नेशन्स की परिषद की विफलता ने उसे अप्रासंगिक बनाने की दिशा में धकेल दिया था."

यूएन महासचिव ने ऐसे कई विषयों का ज़िक्र किया जो विश्व सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं. इनमें रासायनिक हथियारों से लेकर हाइपरसोनिक मिसाइल से उपज रहे ख़तरे शामिल हैं. 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच दूसरी मुलाक़ात से ठीक पहले उन्होंने कहा कि तनाव दूर करने और परमाणु हमलों के कगार से लौटने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है. 

उन्होंने सचेत किया कि कई देश कूटनीति और संवाद के बजाए नए हथियारों को विकसित करने और उन्हें एकत्र करने में सुरक्षा ढूंढ रहे हैं और परमाणु हथियारों के मामले में स्थिति विशेष रूप से ख़राब है. 

"हथियारों पर नियंत्रण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय तंत्र के मुख्य पुर्ज़े कमज़ोर हो रहे हैं. बिना सज़ा के डर के रासायनिक हथियारों का लगातार इस्तेमाल हो रहा है जिससे उनका प्रसार भी हो रहा है. अवैध छोटे हथियारों और रणभूमि के लिए निर्मित विस्फोटकों का इस्तेमाल शहरी केंद्रों में हो रहा है जिससे हज़ारों आम लोगों की जानें जा रही हैं."

इसके अलावा हथियारों के क्षेत्र में नई तकनीकें इन जोखिमों को ऐसे बढ़ा रही हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. 

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि पिछले सात दशकों में निरस्त्रीकरण के लिए कई बार पहल हुई और उनमें सफलता अधिकांश बार तभी मिली जब उनका नेतृत्व बड़ी ताक़तों ने किया.

रूस और अमेरिका में हथियारों पर नियंत्रण के लिए हुए समझौतों का उल्लेख करते हुए गुटेरेश ने कहा कि हथियारों पर नियंत्रण के लिए ऐसी प्रक्रियाएं पिछले 50 सालों से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का प्रमाण चिन्ह रही हैं. उदाहरण के तौर पर अमेरिका और रूस के प्रयासों के चलते परमाणु हथियारों का जखीरों अब घटकर 1985 में कुल भंडार का छठा हिस्सा ही रह गया है. 

लेकिन उन्होंने आगाह किया कि उस विरासत पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है और अब तक हुई प्रगति ख़तरे में पड़ रही है क्योंकि हथियारों के लिए नई होड़ ख़तरनाक होती जा रही है.  यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि पिछले साल ही उन्होंने निरस्त्रीकरण पर अपने एजेंडे -“Securing Our Common Future” – यानि साझा भविष्य की सुरक्षा के लिए एक नई शुरुआत की है जिसके तहत विशेष रूप से 40 प्रतिबद्धताओं को शामिल किया गया है. 

इस एजेंडे का उद्देश्य सदस्य देशों को ठोस कदमों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना है ताकि पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने वाले कदमों के माध्यम से उन्हें तनाव को कम करने में मदद मिल सके. उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि ऐसे कदम उठाते समय क्षेत्रीय परमाणु चुनौतियों के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस और अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक हथियारों से पैदा हो रहे ख़तरों को समझा जाए.