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परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी करने पर केन्द्रित रणनीति

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सड़क यातायात.
Unsplash/Tamara Menzi
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सड़क यातायात.

परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी करने पर केन्द्रित रणनीति

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने, परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी करने के इरादे से, एक ‘वैश्विक विकार्बनीकरण रणनीति’ पारित की है, जोकि सड़क, रेल और अन्तर्देशीय जलमार्ग परिवहन पर केन्द्रित है.

परिवहन तंत्र, वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की कुल मात्रा में से 23 फ़ीसदी के लिए ज़िम्मेदार है, जिसमें से अन्तर्देशीय परिवहन का हिस्सा क़रीब 72 प्रतिशत है.

इसमें 69 प्रतिशत उत्सर्जन सड़क परिवहन से, दो प्रतिशत अन्तर्देशीय जहाज़रानी से और एक प्रतिशत रेल परिवहन से है. 

एक अनुमान के अनुसार, 2050 तक यात्री परिवहन में मांग में 79 प्रतिशत और मालढुलाई परिवहन में 100 फ़ीसदी बढ़ने की सम्भावना है.

वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में इतना अधिक योगदान होने के कारण, अन्तर्देशीय परिवहन सैक्टर में कार्बन उत्सर्जन में तत्काल, महत्वाकाँक्षी कटौती को अनिवार्य माना गया है.

इसके मद्देनज़र, यूएन सदस्य देशों ने 23 फ़रवरी को अन्तर्देशीय परिवहन समिति की नई रणनीति को स्वीकृति दे दी, जिसके ज़रिये सतत ढंग से, निम्न कार्बन भविष्य की ओर बढ़ने का लक्ष्य रखा गया है.

इस रणनीति का उद्देश्य, अन्तर्देशीय परिवहन में व्यापक ढाँचागत परिवर्तनों को आकार देना और मध्यम व दीर्घकालिक योजनाओं के ज़रिये 2050 तक कार्बन तटस्थता (नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन) को हासिल करना है.

योरोपीय क्षेत्र के लिए यूएन आर्थिक आयोग की कार्यकारी सचिव तातियाना मोलसिन ने बताया कि इस रणनीति के ज़रिये देशों को पेरिस जलवायु समझौते के तहत जलवायु संकल्पों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

उनके अनुसार आवाजाही साधनों के विकार्बनीकरण के लिए विद्युतीकरण की ओर बढ़ना होगा, सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देनी होगी और समाज के स्तर पर भी बदलाव लाने होंगे.

रणनीति के कुछ अहम बिन्दु

  • यात्री परिवहन के लिए सायकिल व पैदल चलने के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता,
     
  • शहरी इलाक़ों में मालढुलाई के लिए नए तौर-तरीक़ों को अपनाना,
     
  • वाहनों, बुनियादी ढाँचे और सीमा-चौकी व्यवस्था संचालन में दक्षता लाने के लिए सुधार,
     
  • बेहतर नियामन व्यवस्था, अन्तर-सरकारी नीति संवाद, और सभी हितधारकों के बीच सहयोग पर बल,
     
  • कार्बन-तटस्थ ऊर्जा टैक्नॉलॉजी और ईंधन, जैसेकि हाइड्रोजन पर शोध एवं विकास को बढ़ावा,
     
  • विकार्बनीकरण नीतियों, क़ानूनी उपायों व उनकी निगरानी व्यवस्था को विकसित करना,
     
  • जीवाश्म ईंधन चालित वाहनों के स्थान पर शून्य उत्सर्जन वाहनों को प्रोत्साहन,
     
  • ऊर्जा के दक्षतापूर्ण इस्तेमाल और बेहतर वाहन चालन तौर-तरीक़ों को बढ़ावा,
     
  • ‘इंटैलीजेंट’ परिवहन प्रणाली के इस्तेमाल व डिजिटलीकरण पर ज़ोर.