वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

इसराइल व फ़लस्तीनी इलाक़ों में, ‘निरन्तर दंडमुक्ति’ की निन्दा

ग़ाज़ा में इसराइल के मिसाइल हमलों से, विशाल पैमाने पर भीषण तबाही हुई है. (2023)
WHO
ग़ाज़ा में इसराइल के मिसाइल हमलों से, विशाल पैमाने पर भीषण तबाही हुई है. (2023)

इसराइल व फ़लस्तीनी इलाक़ों में, ‘निरन्तर दंडमुक्ति’ की निन्दा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी वोल्कर टर्क ने ग़ाज़ा, पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट और इसराइल में सभी पक्षों द्वारा किए गए गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेही निर्धारित किए जाने का प्रबल आहवान किया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में, ग़ैरक़ानूनी मौतों, लोगों को बन्धक बनाया जाना, नागरिक सम्पत्ति का विनाश, सामूहिक दंड, जबरन विस्थापन, घृणा और हिंसा को उकसाने, यौन उत्पीड़न और यातना जैसे, गम्भीर चिन्ताओं वाले अनेक मुद्दों का उल्लेख किया गया है.

ये सभी कृत्य अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय क़ानूनों के अनुसार निषिद्ध हैं.

वोल्कर टर्क ने शुक्रवार को कहा है, “दशकों से हमारे कार्यालय ने जिसकी जानकारी उजागर की है – निरन्तर दंडमुक्ति को जारी रहने देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है."

"ग़ाज़ा पर इसराइल के 56 वर्षों के क़ब्ज़े और ग़ाज़ा की इसराइली नाकाबन्दी के 16 वर्षों में, और आज तक देखे गए मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए, सभी पक्षों की जवाबदेही निर्धारित की जानी होगी.”

उन्होंने कहा, "हिंसा के चक्र को समाप्त करने और फ़लस्तीनियों व इसराइलियों को, शान्ति की दिशा में सार्थक क़दम उठाने में सक्षम होने के लिए, न्याय एक पूर्व-आवश्यकता है."

रिपोर्ट में 31 अक्टूबर 2023 तक की 12 महीने की अवधि को शामिल किया गया है. इसमें यह भी कहा गया कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के दायरे में आने वाले तमाम अपराधों का पूरा जायज़ा लेने के लिए आगे जाँच किए जाने की आवश्यकता है.

निष्पक्ष मुक़दमों की पुकार

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सभी पक्षों से, मानवाधिकार और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघन और दुरुपयोग को तुरन्त रोकने और सभी कथित उल्लंघनों की त्वरित, स्वतंत्र, निष्पक्ष, सम्पूर्ण, प्रभावी और पारदर्शी जाँच करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार हनन के लिए ज़िम्मेदार सभी लोगों को, निष्पक्ष मुक़दमों के लिए कटघरे में खड़ा किया जाना होगा. 

वोल्कर टर्क ने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) सहित जवाबदेही के लिए अन्तरराष्ट्रीय तंत्र के साथ सहयोग करने का आहवान किया.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क, जिनीवा में एक मानवाधिकार कार्यक्रम में.
© OHCHR/Irina Popa

7 अक्टूबर के हमले और उसके परिणाम

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमास की सशस्त्र शाखा अल क़ासम और अन्य फ़िलस्तीनी सशस्त्र समूहों ने, 7 और 8 अक्टूबर को, इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, बड़े पैमाने पर अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का गम्भीर उल्लंघन किया.

इनमें आम लोगों के ख़िलाफ़ हमले, जानबूझकर हत्याएँ और लोगों के साथ दुर्व्यवहार, नागरिक वस्तुओं का अनियंत्रित विनाश व लोगों को बन्धक बनाया जाना शामिल है. ये सब गतिविधियाँ, युद्धापराध की श्रेणी में आती हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि फ़लस्तीनी सशस्त्र समूहों के सदस्यों और अन्य लोगों ने बलात्कार, यौन उत्पीड़न और यातना को अंजाम दिया है, इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार, आगे की जाँच और पूर्ण जवाबदेही की आवश्यकता है.

इसमें कहा गया है कि उसके बाद इसराइल द्वारा किए गए सैन्य हमले और युद्ध प्रयोग किए गए तरीक़ों और हथियारों के कारण बड़े पैमाने पर, फ़लिस्तीनियों को गहन पीड़ा हुई है. इसमें व्यापक पैमाने पर नागरिकों की हत्या किए जाने के साथ-साथ लोगों का व्यापक और बार-बार विस्थापन; घरों का विनाश, और पर्याप्त भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्ध को नकारा जाना भी शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों को विशेष रूप से नुक़सान उठाना पड़ा है और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है.

इसराइल पर हथियार प्रतिबन्ध का आहवान

शुक्रवार को ही, संयुक्त राष्ट्र के 30 से अधिक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, इसराइल को हथियारों के निर्यात पर तत्काल रोक लगाने की पुकार लगाई है.

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि इसराइल को ऐसे हथियार या गोला-बारूद दिया जाना, जिसका इस्तेमाल ग़ाज़ा में हो सकता हो, वो अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन साबित हो सकता है.

विशेषज्ञों ने एक वक्तव्य में कहा, "सभी देशों को सशस्त्र टकराव के पक्षों से, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के लिए सम्मान सुनिश्चित करना होगा, जैसा कि 1949 के जिनीवा कन्वेंशन और परम्परागत अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार आवश्यक है."

"यदि तथ्यों या अतीत के व्यवहार चलन को देखते हुए, ऐसा लगता है कि उन हथियारों या युद्धक सामग्री का उपयोग अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करने के लिए किया जाएगा, तो देशों को किसी भी तरह के हथियार या गोला-बारूद - या उनके कोई हिस्से, मुहैया कराने से बचना होगा."

विशेषज्ञों ने नैदरलैंड के एक अपील न्यायालय के हाल ही में दिए गए एक निर्णय का स्वागत किया, जिसने वहाँ की सरकार को, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के गम्भीर उल्लंघन के "स्पष्ट जोखिम" का हवाला देते हुए, इसराइल को एफ़ -35 लड़ाकू विमान के पुर्ज़ों के निर्यात को रोकने का आदेश दिया था.

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के, जनवरी में दिए गए इस फ़ैसले से, इसराइल पर हथियार प्रतिबन्ध की आवश्यकता बढ़ गई है कि ग़ाज़ा में जनसंहार का सम्भावित ख़तरा है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों को, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद नियुक्त करती है और वे संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रीय सरकारों से स्वतंत्र होकर अपनी व्यक्तिगत क्षमता से काम करते हैं. वे संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें अपने काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भुगतान नहीं होता है.

ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाक़े में, युद्ध में तबाह हुई एक आवासीय इमारत.
UN News/Ziad Taleb

मानवीय स्थिति गम्भीर

इस बीच, ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय स्थिति बहुत गम्भीर बनी हुई है, जिसमें सुधार के बहुत कम संकेत नज़र आ रहे हैं.

फ़लस्तीन शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNRWA) ने बताया कि 20 से 21 फ़रवरी के बीच, केवल 69 सहायता ट्रकों ने, युद्ध से तबाह इलाक़े में प्रवेश किया - जो कि 500 ट्रकों के लक्ष्य से काफ़ी कम था.

केरेम शालोम और रफ़ाह दोनों ही सीमा चौकियों के ज़रिए, सहायता सामान की आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

एजेंसी की ताज़ा जानकारी में कहा गया है कि कई बार सुरक्षा के कारण, सहायता आपूर्ति का निर्वहन अस्थाई रूप से रोकना पड़ता है.

इस बीच, मानवीय सहायता कर्मियों ने बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच कुपोषण में भारी वृद्धि की सूचना दी है. ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से में स्थिति सबसे चिन्ताजनक है, जहाँ छह में से एक बच्चा, गम्भीर रूप से कुपोषित है.