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ग़ाज़ा: विशाल आवश्यकताओं व भीषण लड़ाई के बीच, 'नाज़ुक डोर से बंधे हुए हालात'

ग़ाज़ा के अनेक बच्चों में तेज़ी से वज़न घटने और कुपोषण का शिकार होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा के अनेक बच्चों में तेज़ी से वज़न घटने और कुपोषण का शिकार होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.

ग़ाज़ा: विशाल आवश्यकताओं व भीषण लड़ाई के बीच, 'नाज़ुक डोर से बंधे हुए हालात'

मानवीय सहायता

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी जारी की है कि ग़ाज़ा में विशाल आवश्यकताओं और अकाल के गहराते जोखिम के बीच, वहाँ हालात एक नाज़ुक डोर से बंधे हुए हैं. इसके मद्देनज़र, लाखों ज़रूरमतन्द फ़लस्तीनियों तक आपात सहायता पहुँचाने के लिए अनुमति देने का आग्रह किया गया है.

यूएन खाद्य एजेंसी ने बताया कि उत्तरी ग़ाज़ा में सुरक्षा हालात और कठिन परिस्थितियाँ होने के कारण, मजबूरी में सहायता वितरण प्रयासों को रोकना पड़ा है.

संगठन ने कहा कि “ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में आपूर्ति रोकने का निर्णय हल्के में नहीं लिया गया है. हम जानते हैं कि इसका अर्थ है कि वहाँ हालात और बिगड़ेंगे और ज़्यादा संख्या में लोगों पर भूख से मरने का जोखिम होगा.”

यूएन एजेंसी ने युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में हताशा भरी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर लोगों तक राहत पहुँचाने का संकल्प दोहराया, मगर सचेत किया कि अति-महत्वपूर्ण खाद्य सहायता पहुँचाने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जानी होगी.

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पिछले साल दिसम्बर महीने में, यूएन और मानवतावादी संगठनों ने आगाह किया था कि यदि सहायता वितरण के लिए मौजूदा परिस्थितियाँ बेहतर नहीं हुई, तो वहाँ अकाल का जोखिम बढ़ जाएगा.

बच्चों, गर्भवती और हाल ही में बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं के लिए हालात विशेष रूप से गम्भीर बताए गए हैं. हर छह में से एक बच्चा अचानक कुपोषण का शिकार हुआ है.

लूटपाट व असुरक्षा

WFP का कहना है कि तीन सप्ताह तक सहायता अभियान रोके जाने के बाद पिछले रविवार को उत्तरी ग़ाज़ा के लिए आपूर्ति रवाना की गई थी. 

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) के एक ट्रक में मानवीय राहत उद्देश्यों के लिए ज़रूरी अधिसूचना प्रणाली काम नहीं कर रही थी, जिसके बाद वो हमले की चपेट में आया और फिर इस सेवा को स्थगित कर दिया गया.

रविवार को, यूएन एजेंसी का जब एक क़ाफ़िला ग़ाज़ा सिटी की ओर बढ़ा तो वहाँ भूखे लोगों की भीड़ ने वादी ग़ाज़ा चौकी पर उसे घेर लिया.

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बताया कि पहले उसकी टीम ने लोगों द्वारा ट्रक पर चढ़ने की कोशिशों को विफल किया, फिर ग़ाज़ा सिटी में प्रवेश करने के बाद गोलीबारी का सामना करना पड़ा, जिसके बाद लोगों तक मदद पहुँचाना सम्भव हो पाया.

सोमवार को, यूएन एजेंसी के दूसरे क़ाफ़िले को नागरिक व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने के बाद अराजकता व हिंसा का सामना करना पड़ा. कई ट्रकों को ख़ान यूनिस और डेइर अल बालाह के पास लूट लिया गया और एक ट्रक ड्राइवर की पिटाई की गई.

बताया गया है कि लूटपाट के बाद बाक़ी बचे आटे को ट्रकों से ग़ाज़ा सिटी में वितरित कर दिया गया.

सहायता पुनर्बहाली के प्रयास

यूएन खाद्य कार्यक्रम ने अपने एक वक्तव्य में स्पष्ट किया है कि ज़िम्मेदारपूर्ण ढंग से राहत वितरण को फिर से शुरू करने के रास्तों की तलाश की जाएगी. 

संगठन का मानना है कि ग़ाज़ा पट्टी में विभिन्न मार्गों से विशाल मात्रा में खाद्य सामग्री को भेजे जाने की ज़रूरत है. ग़ाज़ा के उत्तर में चेकप्वाइंट को खुला रखा जाना होगा, और सहायताकर्मियों व स्थानीय लोगों की सुरक्षा की जानी होगी.

WFP ने कहा कि फ़िलहाल वहाँ हालात एक नाज़ुक डोर से बंधे हुए हैं और अकाल के रास्ते पर बढ़ते हुए हज़ारों भूखे लोगों को वहाँ से वापिस लाना होगा.

अस्पताल में गम्भीर हालात

इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसराइली कार्रवाई के बीच, ख़ान यूनिस में स्थित नासेर अस्पताल परिसर से मरीज़ों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखी हैं.

यूएन एजेंसी ने अपने दो मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं, और दो बच्चों समेत 32 मरीज़ों को रविवार व सोमवार को बाहर निकाला गया. 

जोखिमों से भरे इस मिशन को फ़लस्तीनी रैड क्रेसेन्ट सोसाइटी और मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के साथ साझेदारी में पूरा किया गया. 

इस अस्पताल के इर्दगिर्द अब भी चिन्ताजनक स्थिति बनी हुई है, यहाँ बिजली व जल आपूर्ति ठप है, और चिकित्सा सामग्री के कचरे की वजह से बीमारियाँ फैलने का जोखिम बढ़ रहा है.

स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल के आस-पास के इलाक़ों में हालात को बयाँ नहीं किया जा सकता है. पूरा इलाक़ा ध्वस्त व जली हुई इमारतों से घिरा है, बड़े पैमाने पर मलबा बिखरा हुआ है और सड़क मार्ग ख़त्म हो चुका है.