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WHO: तम्बाकू उद्योग की बाधाओं के बावजूद, सेवन करने वालों की संख्या में कमी

दुनिया भर में तम्बाकू सेवन में कमी दर्ज की गई है.
© Unsplash/Andres Siimon
दुनिया भर में तम्बाकू सेवन में कमी दर्ज की गई है.

WHO: तम्बाकू उद्योग की बाधाओं के बावजूद, सेवन करने वालों की संख्या में कमी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन -WHO ने मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में तम्बाकू सेवन और धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सिगरेट और इसी तरह के अन्य उत्पादों के प्रयोग को बिल्कुल ख़त्म करने की राह में बाधाएँ खड़ी करने के, तम्बाकू उद्योग के तमाम प्रयासों के बावजूद, यह सफलता हासिल की गई है.

वर्ष 2022 के रुझानों से मालूम होता है कि दुनिया भर में लगभग हर पाँच में से एक वयस्क व्यक्ति, तम्बाकू का उपयोग करते हैं, जबकि वर्ष 2000 में तीन में यह अनुपात, हर पाँच में एक वयस्क व्यक्ति के तम्बाकू उपयोग का था.

ऐसे में जबकि सिगरेट के ज़रिए धूम्रपान करना, दुनिया भर में तम्बाकू के उपयोग का सबसे आम रूप है, अन्य उत्पादों में सिगार, वॉटरपाइप तम्बाकू (हुक्का), और धुआँ रहित तम्बाकू उत्पाद शामिल हैं, जो सभी हानिकारक हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO के अनुसार, "तम्बाकू महामारी" दुनिया के सामने आए सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरों में से एक है, जिससे प्रति वर्ष 80 लाख से अधिक लोग मौत का शिकार हो जाते हैं. 

इनमें से 70 लाख से अधिक लोगों की मौतें, सीधे तम्बाकू के उपयोग का परिणाम हैं, लेकिन लगभग 13 लाख लोगों की मौत, सीधे तौर पर धूम्रपान करने के बजाय, अन्य लोगों द्वारा धूम्रपान करने से निकलने वाले धुएँ के सम्पर्क में आने से होती है.

नियंत्रण उपाय हो रहे हैं कारगर

नवीनतम अनुमानों के अनुसार, विश्व स्तर पर एक अरब 25 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिससे पता चला है कि 150 देशों में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के बीच, इसकी दर सफलतापूर्वक कम हो रही है.

उदाहरणों में ब्राज़ील और नैदरलैंड्स शामिल हैं, जो एमपॉवर नामक एक पहल को लागू करने के लाभ देख रहे हैं. इनमें सुरक्षा, विज्ञापन और प्रायोजन प्रतिबन्धों को लागू करने, तम्बाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने और लोगों को तम्बाकू सेवन छोड़ने में मदद करने सहित, छह तम्बाकू नियंत्रण उपाय शामिल हैं.

परिणामस्वरूप, ब्राज़ील ने, वर्ष 2010 के बाद से 35 प्रतिशत की सापेक्ष कमी की है और नैदरलैंड्स, 30 प्रतिशत लक्ष्य तक पहुँचने के निकट है.

मुनाफ़े को तरजीह

डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य संवर्धन विभाग के निदेशक डॉक्टर रूडिगर क्रेच ने, अब तक हासिल की गई "अच्छी प्रगति" की सराहना तो की है मगर, निष्क्रियता के विरुद्ध चेतावनी भी दी है.

उन्होंने कहा, “मैं इस बात से आश्चर्यचकित हूँ कि तम्बाकू उद्योग अनगिनत जिन्दगियों की क़ीमत पर मुनाफ़ा कमाने के लिए स हद तक जाएगा. हम देखते हैं कि जैसे ही सरकार को लगता है कि उन्होंने तम्बाकू के ख़िलाफ़ लड़ाई जीत ली है, तो तम्बाकू उद्योग स्वास्थ्य नीतियों में हेरफेर करने और अपने घातक उत्पादों को बेचने के अवसर को अपनी पकड़ में ले लेता है.”

डब्ल्यूएचओ ने देशों से तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को जारी रखने और तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखने का आग्रह किया, जिसमें इस बात को रेखांकित किया गया है कि तम्बाकू उद्यो नेग किस तरह "जनता से झूठ बोलना जारी रखा है". इनमें अग्रणी समूह और तीसरे पक्ष, प्रायोजित कार्यक्रम, सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियों द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम, वैज्ञानिकों को वित्त पोषण और पक्षपातपूर्ण अनुसन्धान कराया जाना शामिल है.

क्षेत्रानुसार फैलाव

वर्तमान में दक्षिण पूर्व एशिया में तम्बाकू का उपयोग करने वाली आबादी का प्रतिशत सबसे अधिक है जोकि 26.5 प्रतिशत है, . 

इसके बाद यूरोप में 25.3 प्रतिशत है. योरोप में महिलाओं के बीच तम्बाकू उपयोग की दर वैश्विक औसत से दोगुनी से भी अधिक है और अन्य सभी क्षेत्रों की तुलना में बहुत धीमी गति से कम हो रही है.

कुछ देशों में वर्ष 2010 के बाद से तम्बाकू के उपयोग की व्यापकता में थोड़ा बदलाव आया है, जबकि छह अन्य देशों में यह बढ़ रही है: कांगो, मिस्र, इंडोनेशिया, जॉर्डन, ओमान और मोल्दोवा.

लक्ष्य से भटका रास्ता

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दुनिया 2025 तक तम्बाकू के उपयोग में 25 प्रतिशत की सापेक्ष कमी लाने की राह पर है, जो 2010 की आधार रेखा से 30 प्रतिशत की कमी के स्वैच्छिक वैश्विक लक्ष्य से कम है.

केवल 56 देश इस लक्ष्य तक पहुँचेंगे, और यह संख्या तीन साल पहले जारी की गई रिपोर्ट में बताई गई 60 देशों की से कम है.

डब्ल्यूएचओ ने ध्यान दिलाया है कि दुनिया भर में तम्बाकू उद्योग के बढ़ते हस्तक्षेप से स्वास्थ्य नीति को बचाने के प्रयास लड़खड़ा गए हैं. संगटन ने ऐसे में देशों से कार्रवाई तेज़ करने का आहवान किया है.

एजेंसी ने कहा है कि देशों के सर्वेक्षण लगातार दिखाते हैं कि ज़्यादातर देशों में 13 से 15 साल की उम्र के बच्चे, तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें ई-सिगरेट जैसे उत्पाद शामिल हैं.