वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

नए निकोटीन उत्पादों से बढ़ा नया ख़तरा

दुनिया भर की आधी से ज़्यादा आबादी, तम्बाकू उत्पादों के सेवन के जोखिम में जीवन जीती है.
© UNICEF/Shehzad Noorani
दुनिया भर की आधी से ज़्यादा आबादी, तम्बाकू उत्पादों के सेवन के जोखिम में जीवन जीती है.

नए निकोटीन उत्पादों से बढ़ा नया ख़तरा

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नई रिपोर्ट में दिखाया गया है कि तम्बाकू सेवन के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुछ देश तो प्रगति हासिल कर रहे हैं, जबकि कुछ देश अब भी, निकोटीन और तम्बाकू उत्पादों के सेवन की उभरती समस्या का सामना करने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

वर्ष 2007 की तुलना में देखें तो, अब चार गुना से भी ज़्यादा यानि लगभग 5 अरब 30 करोड़ लोग, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सिफ़ारिश किये गए, तम्बाकू नियंत्रण उपायों में से किसी एक उपाय के दायरे में हैं.

Tweet URL

ये 6 उपाय हैं:

1.    तम्बाकू सेवन की निगरानी करना और ऐहतियाती उपाय लागू करना.
2.    तम्बाकू सेवन से लोगों को बचाना; धूम्रपान छोड़ने वालों की मदद करना.
3.    तम्बाकू सेवन के ख़तरों के बारे में आगाह करना.
4.    तम्बाकू विज्ञापन पर प्रतिबन्ध लागू करना.
5.    तम्बाकू के प्रोत्साहन व प्रायोजित किये जाने पर पाबन्दी लगाना.
6.    तम्बाकू पर टैक्स बढ़ाना.

रिपोर्ट बताती है कि आधे से ज़्यादा देश और दुनिया की लगभग आधी आबादी, इनमें से कम से कम दो उपाय अपनाने के दायरे में हैं. वर्ष 2019 तैयार की गई रिपोर्ट के आँकड़ों की तुलना में, इस आँकड़े में 14 देशों व लगभग 1 अरब लोगों की बढ़त हुई है.

तम्बाकू सेवन व उत्पादों पर टैक्स लगाने की रफ़्तार धीमी रही है जिसके कारण असर कम रहा है, और 49 देश ऐसे हैं जहाँ इनमें से कोई भी उपाय लागू नहीं किया गया है.

नए निकोटीन जोखिम

रिपोर्ट में नए आँकड़े दिखाते हैं कि जो बच्चे, तम्बाकू सेवन या निकोटीन सेवन के – ई-सिगरेट जैसे इलैक्ट्रॉनिक तरीक़े अपनाते हैं, भविष्य में उनके तम्बाकू उत्पाद सेवन की तीन गुना ज़्यादा सम्भावना है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात को लेकर बेहद चिन्तित है कि तम्बाकू सेवन के ऐसे उपकरण बनाने वाली कम्पनियाँ और उद्योग, इनका इस्तेमाल, बच्चों और किशोरों को लुभाने के लिये इनका विपणन यानि विज्ञापन कर रही हैं. 

इस विज्ञापन प्रक्रिया के तहत हज़ारों तरह के स्वादों का प्रयोग व उत्पादनों के बारे में भ्रामक दावे भी किये जा रहे हैं.

संगठन की सिफ़ारिश है कि देशों की सरकारें धूम्रपान नहीं करने वालों को, सबसे पहले तो इस लत में पड़ने से रोकने के लिये ठोस नियम व क़ानून लागू करें. 

साथ ही भविष्य की पीढ़ियों को धूम्रपान व तम्बाकू सेवन के ख़तरों से बचाने के लिये, समुदायों में धूम्रपान को सामान्य आदत बन जाने से भी रोकना होगा.

भारी लत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है, “निकोटीन बहुत लत लगाने वाला नशीला पदार्थ है. इसके सेवन के लिये इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग हानिकारक है, और इस पर और ज़्यादा कठोर क़ानूनी नियंत्रण होना चाहिये.”

इस समय 32 देशों में, निकोटीन सेवन के इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पाबन्दी लगा दी गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तम्बाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूता बढ़ाने के प्रयास कर रहा है.
Unsplash/Kristaps Solims
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तम्बाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूता बढ़ाने के प्रयास कर रहा है.

अन्य 79 देशों में, इन उपकरणों का सार्वजनिक स्थानों पर प्रयोग रोकने, इनके विज्ञापन, प्रोत्साहन और प्रायोजित किये जाने पर रोक लगाने के लिये, कम से कम एक उपाय, आंशिक रूप से लागू किया गया है.

इसके बावजूद 84 देश ऐसे हैं जहाँ इलैक्ट्रॉनिक तम्बाकू सेवन उपकरणों पर ना तो कोई पाबन्दी है और ना ही कोई ठोस नियम - क़ानून लागू हैं.

आक्रामक विज्ञापन

दुनिया भर में अब भी एक अरब से ज़्यादा लोग, धूम्रपान करते हैं. चूँकि सिगरेट की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है तो तम्बाकू कम्पनियाँ नए उत्पादों के विज्ञापन बहुत आक्रामक तरीक़े से कर रही हैं, इनमें ई-सिगरेट और तम्बाकू गरम करने वाले उत्पाद शामिल हैं. 

साथ ही सरकारों पर, नियम-क़ानून ढीले करने के लिये दबाव डालने के प्रयास भी किये जा रहे हैं.

न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर माकइल ब्लूमबर्ग का कहना है, “उनका मक़सद स्पष्ट है: एक अन्य पीढ़ी को निकोटीन की लत लगा देना. हम ऐसा नहीं होने दे सकते.”

माइकल ब्लूमबर्ग ग़ैर-संचारी बीमारियों और चोटों के लिये, WHO के वैश्विक दूत भी हैं, और उन्होंने सामाजिक परोपकार के काम करने के लिये एक संस्था भी बनाई हुई है.

इस समय दुनिया भर में धूम्रपान करने वाले लगभग एक अरब लोगों की, 80 प्रतिशत संख्या निम्न और मध्य आय वाले देशों में बसती है. 

तम्बाकू सेवन के कारण हर वर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है, इनमें लगभग 10 लाख लोग ऐसे होते हैं जो ख़ुद तो धूम्रपान नहीं करते, बल्कि वो अन्य लोगों द्वारा किये जाने वाले धूम्रपान की चपेट में आने के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं.