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ग़ाज़ा: यूएन प्रमुख ने की युद्धविराम लागू किए जाने की अपील, फ़लस्तीनियों को 'सामूहिक दंड' की निन्दा

दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह में बच्चे, भोजन मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
© UNICEF/Abed Zagout
दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह में बच्चे, भोजन मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

ग़ाज़ा: यूएन प्रमुख ने की युद्धविराम लागू किए जाने की अपील, फ़लस्तीनियों को 'सामूहिक दंड' की निन्दा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि ग़ाज़ा में आम नागरिकों तक सुरक्षित ढंग से और पूर्ण स्तर पर मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए बुनियादी शर्तों को लागू किया जाना होगा. उन्होंने ध्यान दिलाया है कि केवल युद्धविराम के ज़रिये ही इस संकट को और भड़कने से रोका जा सकता है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सोमवार को यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह बात कही. महासचिव ने ग़ाज़ा पट्टी में अभूतपूर्व स्तर पर आम नागरिकों के हताहत होने और हिंसक टकराव से उपजी विनाशकारी मानवीय स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की.

“इन सभी मुद्दों से निपटने के लिए एक समाधान है. हमें तत्काल मानवतावादी युद्धविराम की आवश्यकता है.”

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बंधकों की रिहाई

यूएन प्रमुख ने कहा कि 7 अक्टूबर को हमास व अन्य चरमपंथियों द्वारा दक्षिणी इसराइल में किए गए हमलों के बाद अनेक लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिनकी तत्काल, बिना किसी शर्त के रिहाई की जानी होगी.

साथ ही, फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा यौन हिंसा को अंजाम दिए जाने की आरोपों की विस्तृत जाँच कराए जाने और दोषियों पर मुक़दमा चलाए जाने का आग्रह किया. 

उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके हमलों से बड़े पैमाने पर विध्वंस हुआ है और महासचिव के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान, इतने अभूतपूर्व स्तर पर आम नागरिक मारे गए हैं. 

“फ़लस्तीनी लोगों के सामूहिक दंड को किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता है. ग़ाज़ा में मानवतावादी हालात, शब्दों से परे हैं. कोई भी जगह या व्यक्ति सुरक्षित नहीं है.”

राहतकर्मियों के पुरज़ोर प्रयास

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के अनुसार, ग़ाज़ा में 19 लाख से अधिक लोग, यानि कुल आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा विस्थापित हुआ है.

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 23 हज़ार 700 से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं और 60 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

हिंसक टकराव के कारण 152 यूएन कर्मचारियों ने अपनी जान गँवाई हैं, जोकि संगठन के इतिहास में किसी एक संकट के दौरान सबसे बड़ी संख्या है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि मानवीय सहायताकर्मी, विशाल दबाव में और बिना किसी सुरक्षा गारंटी के काम कर रहे हैं और ग़ाज़ा में मदद पहुँचाने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं.

सहायता प्रयासों में अवरोध

महासचिव ने कहा कि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता को पहुँचाए जाने के प्रयासों को अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है.

उनके अनुसार भीषण, व्यापक स्तर पर निरन्तर हो रही बमबारी के बीच मानवीय सहायता वितरित करने का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण है.

जीवनरक्षक चिकित्सा उपकरण, जल शोधन व्यवस्था के लिए ज़रूरी पुर्ज़े और बुनियादी ढाँचों के लिए अहम सामग्री बेहद अहम है, मगर उनके लिए अनुमति दिए जाने से मना कर दिया गया है, और कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया है.

इससे अति अहम सामग्री की आपूर्ति के प्रवाह पर असर हुआ है और बुनियादी सेवाओं को फिर से शुरू किए जाने की योजना प्रभावित हुई है.

बुनियादी शर्तें 

यूएन प्रमुख ने मानवीय सहायता के लिए यूएन एजेंसियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया और सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित किया.

उन्होंने कहा कि आम नागरिकों का सम्मान व उनकी रक्षा की जानी होगी, और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी अति-आवश्यक ज़रूरतों को पूरा किया जाए.

इस सिलसिले में अति-आवश्यक सामान की आपूर्ति में विशाल बढ़ोत्तरी किए जाने पर बल दिया गया है और यह स्पष्ट किया गया है कि ज़रूरत का सामान, पूरी आबादी के लिए बाज़ार में उपलब्ध कराया जाना होगा.

वृहद क्षेत्र के लिए जोखिम 

उन्होंने ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के कारण, वृहद मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव बढ़ने के प्रति आगाह किया. महासचिव ने कहा कि लाल सागर और उससे पहले तनाव चरम पर है और जल्द ही उसे क़ाबू में रखना असम्भव हो सकता है.

उन्होंने चिन्ता जताई कि इसराइली और लेबनानी सैनिकों को अलग करने वाली रेखा, ब्लू लाइन, पर गोलीबारी के कारण दोनों देशों के बीच लड़ाई भड़कने की आशंका बरक़रार है, जिसका क्षेत्रीय अस्थिरता पर गहरा असर होगा.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह उनका दायित्व है कि सभी पक्षों को यह सरल व सीधा सन्देश दिया जाए: ब्लू लाइन के आर-पार आग से खेलना बन्द कीजिए, तनाव में कमी लाइए और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 के अनुसार हिंसक टकराव पर विराम लगाइए.