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दुनिया भर में 'मानव वध', इनसानों की मौतों का सबसे बड़ा कारण

दुनिया भर में, मानव हत्याएँ, इनसानों की मौत का सबसे बड़ा कारण है, जो टकरावों और आतंकवादी घटनाओं में मौतों से भी अधिक है.
© Unsplash/David von Diemar
दुनिया भर में, मानव हत्याएँ, इनसानों की मौत का सबसे बड़ा कारण है, जो टकरावों और आतंकवादी घटनाओं में मौतों से भी अधिक है.

दुनिया भर में 'मानव वध', इनसानों की मौतों का सबसे बड़ा कारण

क़ानून और अपराध रोकथाम

दुनिया भर में सशस्त्र टकरावों और आतंकवादी गतिविधियों के कारण जितने लोगों की मौतें होती हैं, उनसे कहीं ज़्यादा मौतें, मानव हत्याओं के कारण होती हैं. संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध निरोधक कार्यालय - UNODC ने शुक्रवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2021 में ऐसी ही स्थिति देखी गई और दुनिया भर में, मानव हत्याओं के कारण, औसतन हर घंटा 52 ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो गईं.

मानव वध (Homicide) पर यह वैश्विक अध्ययन, इन हिंसक मौतों के पीछे की जटिल गतिशीलता का विश्लेषण करता है और इसमें एक विशेष खंड शामिल है कि संगठित अपराध, किस तरह से लातीनी अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में मृत्यु दर को बढ़ा रहा है.

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रिपोर्ट में, आपराधिक गतिविधियों और पारस्परिक टकरावों से सम्बन्धित हत्याओं के साथ-साथ, "सामाजिक-राजनैतिक रूप से प्रेरित हत्याओं" की जाँच-पड़ताल करती है. मसलन, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, मानवतावादी कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जानबूझकर हत्याएँ.

जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, असमानता, नगरीकरण और तकनीकी बदलाव जैसे विशाल बदलावों (Megatrends) के प्रभावों पर भी विचार किया गया है, जो मानव वध दर को कैसे प्रभावित कर सकते हैं.

'एक दुखद अनुस्मारक'

संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध निरोधक कार्यालय - UNODC की प्रमुख  ग़ादा वॉली ने कहा है कि हर साल हत्या के कारण हज़ारों लोगों की जान जाना, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप, 2030 तक सभी प्रकार की हिंसा को कम करने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक विफलता की "एक गम्भीर याद दिलाता है".

उन्होंने कहा, "महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ लिंग आधारित हिंसा से लेकर, संगठित अपराध और सामूहिक हिंसा से लेकर निर्धनता व असमानता तक, दुनिया भर में हत्याओं को बढ़ावा देने वाले कारकों का जटिल जाल दर्शाता है कि हालात, सब के लिए एक जैसे नहीं है." 

रिपोर्ट से मालूम होता कि वर्ष 2019 से 2021 की अवधि के दौरान, दुनिया भर में औसतन लगभग 4 लाख 40 हज़ार मौतें, मानव हत्या के कारण हुईं - जो कि टकराव/युद्ध-संबंधी परिस्थितियों या आतंकवादी गतिविधियों में होने वाली हत्याओं से अधिक संख्या है.

2021 'असाधारण रूप से घातक वर्ष'

यूएनओडीसी ने कहा कि 2021 "एक असाधारण घातक वर्ष था", जिसमें 4 लाख 58 हज़ार हत्याएँ हुईं. यह बढ़ोतरी आंशिक रूप से कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभावों और अनेक देशों में संगठित अपराध व गिरोह-सम्बन्धित और सामाजिक-राजनैतिक हिंसा में वृद्धि से सम्बन्धित थीं.

इसके अलावा, 2021 और 2022 के बीच टकराव वाली परिस्थितियों में होने वाली मौतों में, 95 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के बावजूद, उपलब्ध आँकड़ों से मालूम होता है कि 2022 में वैश्विक हत्या का बोझ, टकराव वाले हालात में होने वाली मौतों से दोगुना था.

वैश्विक स्तर पर 22 प्रतिशत हत्याओं के लिए ‘संगठित अपराध’ ज़िम्मेदार है, और इनमें 50 प्रतिशत हत्याएँ अमेरिकी महाद्वीप के देशों में होती हैं, जहाँ संगठित अपराध में सक्रिय समूहों और गिरोहों के बीच प्रतिस्पर्धा, "जानबूझकर हत्याओं" में अचानक तेज़ी को भड़का सकती है, जैसा कि इकुवाडोर और हेती में हुआ है.

क्षेत्र के अनुसार हत्या की दरें

2021 में प्रति एक लाख की आबादी पर 15 हत्याओं या कुल एक लाख 54 हज़ार हत्याओं के साथ, अमेरिकी क्षेत्र, प्रति व्यक्ति हत्या की उच्चतम दर के साथ, दुनिया में सबसे आगे है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका में हत्याओं की संख्या सबसे अधिक एक लाख 76 हज़ार या प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 12.7 है, "और उपलब्ध आँकड़ों से मालूम होता है कि हत्या की दर में गिरावट नहीं हो रही है, जबकि अन्य क्षेत्रों में कमी दर्ज की गई है."

इस बीच एशिया, योरोप व ओशिनिया में मानव वध की दरें, 2021 में वैश्विक प्रति व्यक्ति औसत 5.8 प्रति एक लाख के साथ काफ़ी नीचे थीं.

यूएनओडीसी ने कहा कि वैश्विक मानव वध दर 2030 में घटकर 4.7 होने का अनुमान है, जैसा कि दीर्घकालिक रुझानों से पता चलता है.

एजेंसी ने कहा, हालाँकि यह सभी प्रकार की हिंसा को कम करने के एसडीजी लक्ष्य से कम है, फिर भी यह एक आशाजनक रुझान है.