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टकराव

सूडान में संघर्ष से भागे लोग ख़ारतूम में एक बस अड्डे पर प्रतीक्षा करते हुए.
UNDP Sudan

सूडान: हिंसक युद्ध का आम लोगों पर अब भी विनाशकारी असर

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय – OHCHR ने शुक्रवार को कहा है कि सूडान में युद्धरत पक्षों को, संघर्ष की चपेट में आए आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और ज़्यादा उपाय करने होंगे. मानवाधिकार कार्यालय की तरफ़ से ये आहवान, हाल के घातक हमलों और मानवाधिकार हनन लगातार जारी रहने के सन्दर्भ में किया गया है.

मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में, एक महिला बामबारी पुल पार करते हुए.
© UNOCHA/Siegfried Modola

मध्य अफ़्रीका: अनेक संकटों के बीच, अहम मोड़ के निकट

मध्य अफ़्रीका क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी अब्दू अबैरी ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में कहा है कि क्षेत्र के देशों ने स्थिरता व सहयोग को आगे बढ़ाने में ख़ासी प्रगति की है, मगर इसके बावजूद क्षेत्र के सामने अनेक संकट मौजूद हैं, और आने वाले कुछ महीने, एक महत्वपूर्ण मोड़साबित होने वाले हैं.

गिनी में एक महिला सहकारी संस्था ने मोरिंगा के पेड़ लगाए हैं, जिससे भूमि क्षरण से बचने के साथ-साथ पूरक आहार भी प्राप्त होता है.
UN Women/Joe Saade

खाद्य असुरक्षा, समाजों में अस्थिरता व हिंसक संघर्षों के भड़कने की वजह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया है कि विश्व में, अल्पपोषण से पीड़ित लगभग 60 फ़ीसदी आबादी, हिंसा प्रभावित इलाक़ों में रहती है और इससे कोई देश अछूता नहीं है. यूएन प्रमुख ने ‘हिंसक संघर्ष व खाद्य सुरक्षा’ के मुद्दे पर गुरूवार को सुरक्षा परिषद में आयोजित एक चर्चा को सम्बोधित करते हुए क्षोभ व्यक्त किया कि जब युद्ध होता है, तो लोगों को भूख की मार झेलनी पड़ती है.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में विस्थापितों के लिये बनाया गया एक शिविर.
© UNOCHA

वर्ष 2021 में, 5 करोड़ 91 लाख लोग, आन्तरिक रूप से विस्थापित

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने अपने साझीदार संगठन, 'आन्तरिक विस्थापन निगरानी केन्द्र' (IDMC) की एक नई रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा है कि वर्ष 2021 के दौरान, देशों की सीमाओं के भीतर विस्थापित लोगों की संख्या बढ़कर पाँच करोड़ 91 लाख तक पहुँच गई, जोकि एक रिकॉर्ड है. 

यूक्रेन के ख़ारकीफ़ शहर में एक व्यक्ति ध्वस्त इमारत के पास से गुज़र रहा है.
© UNICEF/Ashley Gilbertson

मानवाधिकार परिषद की बैठक, यूक्रेन में हुए अत्याचारों पर चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (Human Rights Council) की गुरूवार को एक विशेष सत्र में बैठक हुई है, जिसे 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, आमजन के विरुद्ध कथित रूप से किये गए अत्याचारों से उपजी चिन्ता को ध्यान में रखते हुए बुलाया गया.  

यूक्रेन के दोनेत्सक क्षेत्र में एक सैनिक सरकारी सुरक्षा चौकी की निगरानी कर रहा है.
© UNICEF/Christopher Morris

यूक्रेन: मौजूदा संकट व तनाव के बीच अधिकतम संयम की अपील

राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने, यूक्रेन व उसके इर्द-गिर्द जारी तनाव, रूसी सुरक्षा बलों की वापसी और आसन्न हमले की आशंका पर दावों-प्रतिदावों के बीच, गुरूवार को, सभी पक्षों से 2015 के मिन्स्क समझौते को लागू किये जाने में अर्थपूर्ण प्रगति का आग्रह किया है.

मानवीय मामलों और आपात राहत मामलों के समन्वयक और संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव मार्क लोकॉक, दक्षिण सूडान के विस्थापितों से मिल रहे हैं.
UNMISS / Eric Kanalstein

इण्टरव्यू: मानवीय राहत ज़रूरतें घटाने के लिये 'हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, बीमारियों से निपटना होगा'

मार्क लोकॉक ने चार वर्ष पहले जब मानवीय मामलों व आपात राहत समन्वयक और संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव के तौर ज़िम्मेदारी सम्भाली, तो उन्हें उम्मीद की थी कि वैश्विक स्तर पर मानवीय राहत ज़रूरतों में कमी आएगी. मगर, लम्बे समय से जारी हिंसक संघर्षों व उभरते टकरावों, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर और ईबोला व कोविड-19 जैसी बीमारियों के कारण ज़रूरतमन्दों की संख्या इस अवधि में अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई है. अपना कार्यभार छोड़ने से पहले, मार्क लोकॉक के साथ यूएन न्यूज़ की एक ख़ास बातचीत....

पश्चिमोत्तर सीरिया में विस्थापितों के लिये बनाये गए शिविर में, एक बच्ची टैण्कर से जल भर रही है.
© UNICEF/Khaled Akacha

युद्ध प्रभावित देशों में स्वच्छ जल की क़िल्लत, हिंसा से ज़्यादा घातक

हिंसक संघर्ष से प्रभावित इलाक़ों में, जल आपूर्ति व साफ़-सफ़ाई सेवा केंद्रों पर हमलों और उससे जल सुलभता प्रभावित होने के कारण लाखों बच्चों के जीवन के लिये संकट पैदा हो रहा है. यह ख़तरा इन इलाक़ों में जारी हिंसा व लड़ाई से कहीं अधिक गम्भीर है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कड़े शब्दों में कहा है कि जल आपूर्ति पर हमला, बच्चों पर हमला है.