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अपराध का सामना करने में, युवजन के साहस व संकल्प की दरकार

टिकाऊ विकास से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान तलाश करने के लिये, सीरियाई युवाओं को प्रशिक्षण देता एक सत्र.
Basel Almadani
टिकाऊ विकास से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान तलाश करने के लिये, सीरियाई युवाओं को प्रशिक्षण देता एक सत्र.

अपराध का सामना करने में, युवजन के साहस व संकल्प की दरकार

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने अपराध का मुक़ाबला करने के समाधानों को रेखांकित करते हुए, सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा है कि युवजन को अक्सर अनुपात से ज़्यादा अपराध करने वालों के रूप में देखा जाता है, जबकि युवजन ही अक्सर सबसे कमज़ोर हालात वाले होते हैं.

अब्दुल्ला शाहिद ने कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद, यूएन महासभा की प्रथम पूर्ण निजी मौजूदगी वाली बैठक में कहा, “युवजन अक्सर बेहद कमज़ोर परिस्थितियों वाले समूहों में शामिल हैं, ख़ासतौर से गैंग सम्बन्धी अपराधों, हिंसक अतिवाद, और यौन शोषण के शिकार बनने के रूप में – और इन सबमें युवजन को अक्सर पर्याप्त सहायता व संरक्षण भी प्राप्त नहीं होता.”

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अहम बदलाव एजेण्ट

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने युवजन को उनकी आयु, ऊर्जा स्तर और सीखने की सामर्थ्य के नज़रिये से तो दुनिया की बहुत सी चुनौतियों का सामना प्रभावशाली तरीक़े से करने में, अहम बदलाव एजेण्ट क़रार दिया.

उन्होंने कहा कि अपराध की रोकथाम में भी उनकी महत्ता कुछ अलग नहीं है, और अपराध की रोकथाम के लिये उनकी राय व योगदान को और ज़्यादा महत्व मिलना चाहिये. इसका मतलब है कि

उन्हें आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिये, सुरक्षित व अनुकूल माहौल मुहैया कराए जाने की ज़रूरत है.

इनमें स्कूलों में परामर्श मुहैया कराने वाली सेवाएँ, मादक पदार्थ प्रयोग करने पर उपचार सुविधा और समस्या केन्द्रित पुलिस सेवाएँ मुहैया कराना शामिल हैं.

अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि इसका ये मतलब भी है कि ऐसे जोखिमों से निपटा जाए जिनके कारण युवजन, हिंसा और अपराध में शामिल होते हैं, इनमें विकास व उनके मानवाधिकार मोर्चों का ख़याल रखने जाने के साथ-साथ, युवजन को निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में भी शामिल किया जाए. ऐसा ही अपराध रोकथाम, न्याय, और विधि के शासन क्षेत्रों में करने की आवश्यकता है.

युवजन का सशक्तिकरण

युवजन का सशक्तिकरण, अब्दुल्ला शाहिद की अध्यक्षता के कार्यकाल का एक प्रमुख पड़ाव रहा है.

अब्दुल्ला शाहिद ने दुनिया की यात्रा के दौरान युवजन के साथ सम्पर्क बढ़ाया है, साथ ही तमाम देशों से, बहुमुखी अपराध रोकथाम नीतियाँ और कार्यक्रम अपनाने का आग्रह भी किया है, जिनमें युवजन को ख़ास जगह मिले.

उनका कहना है कि युवजन को सशक्त बनाकर, उन्हें प्रक्रिया का हिस्सा बनाकर और उनकी चिन्ताएँ व उनके सुझाव सुनकर, व्यवस्था को मज़बूत किया जा सकता है और सर्वत्र समुदायों को सुरक्षित बनाया जा सकता है.

युवजन की भागीदारी

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने ज़ोर देकर कहा कि ये देखते हुए कि युवजन अपराध से किस तरह प्रभावित होते हैं, अपराध की रोकथाम के लिये प्रभावशाली समाधान तलाश करने में युवजन का ही लाभ निहित है, इसलिये चर्चा में युवजन को शामिल किये जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि चूँकि अपराध से मुक्त ज़्यादा समाजों को आकार देने में शिक्षा बहुत अहम है, ये बहुत ज़रूरी है कि ऐसी व्यापक शिक्षा में और ज़्यादा संसाधन निवेश किये जाएँ, जो एकीकरण पर टिकी हो.

उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए तर्क दिया कि रास्ते में बढ़ने वाले हर क़दम के दौरान, अपराध निरोधक नीतियाँ बनाते समय, युवजन की बात सुनी जानी चाहिये और उनकी राय का सम्मान किया जाना चाहिये.

नाज़ुक हालात वाली दुनिया

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध निरोधक कार्यालय – UNODC की कार्यकारी निदेशिका ग़ादा वॉली ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि नाज़ुक हालात वाली दुनिया की बढ़ोत्तरी का मतलब है, एक ऐसी दुनिया जो अपराध के लिये ज़्यादा उर्वर होती है.

उन्होंने कहा, “कठिनाइयाँ और अस्थिरता, अपराध, हिंसा, हिंसक अतिवाद और भ्रष्टाचार को पनपने के लिये अनुकूल हालात बनाते हैं, और ये सब कारक, युवजन को हर तरीक़े से जड़ बनाते हैं.”

“दुनिया भर में विधि के शासन के लिये जोखिम है, और युवजन को प्रगति व समृद्धि के लिये जिन मूल्यों, परिस्थितियों और अवसरों की ज़रूरत है, उनकी अनदेखी हो रही है.”

युवजन में संसाधन निवेश

यूएन अपराध निरोधक एजेंसी की मुखिया ग़ादा वॉली ने इस मुद्दे पर यूएन महासभा की इस चर्चा को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि युवजन ऐसे संकटों और चिन्तों का सामना कर रहे हैं जिनके कारण उनकी आशाओं व भविष्यों के लिये जोखिम उत्पन्न हो रहा है.

उन्होंने कहा कि संघर्षो से लेकर जलवायु आपदा और कोविड-19 महामारी के परिणामों तक, हम भविष्य की पीढ़ियों के लिये जो दुनिया छोड़ रहे हैं, वो बहुत भंगुर व असुरक्षित है.

“हमें युवजन के साहस व उनके संकल्प की, पहले से कहीं ज़्यादा आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा कि वैसे तो दीर्घकालीन दृष्टिकोण ही सर्वश्रेष्ठ आशा है, मगर ये तभी सफल हो सकता है जब युवजन में संसाधन निवेश किये जाएँ, और बदले में, इस दुनिया को सर्वजन के लिये एक बेहतर व सुरक्षित स्थान बनाने के लिये बदलाव में उनका निवेश किया जाए.