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पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में वर्ष 2022 में भीषण बाढ़ आने के बाद मलेरिया और अन्य बीमारियाँ बढ़ीं.

COP28: जलवायु संकट, एक स्वास्थ्य आपदा भी है

© UNICEF/Saiyna Bashir
पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में वर्ष 2022 में भीषण बाढ़ आने के बाद मलेरिया और अन्य बीमारियाँ बढ़ीं.

COP28: जलवायु संकट, एक स्वास्थ्य आपदा भी है

जलवायु और पर्यावरण

स्वास्थ्य मुद्दे ने, यूएन जलवायु सम्मेलन कॉप28 में भी अपनी जगह बना ली है. दुबई में चल रहे कॉप28 में, स्वास्थ्य पैरोकारों ने रविवार को कहा कि स्वास्थ्य, एक जलवायु मुद्दा, स्वयं पर चर्चा के लिए, बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा है, क्योंकि जलवायु निष्क्रियता, ज़िन्दगियाँ समाप्त कर रही है और हर दिन, स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है.

हमारे ग्रह पर हर साल उच्च औसत तापमान दर्ज किया गया है और वर्ष 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म होने के रास्ते पर है.

हिम चादरें पिघल रही हैं और वो भी अभूतपूर्व दर से. कुछ क्षेत्रों में जंगल की आग ने हवा को ख़तरनाक बना दिया है, जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में, बाढ़ से नियमित रूप से पीने के पानी के दूषित होने का ख़तरा रहता है.

इस पृष्ठभूमि में, अधिक से अधिक लोग आपदाओं, जलवायु-संवेदनशील बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से प्रभावित हो रहे हैं.

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जलवायु परिवर्तन कुछ मौजूदा स्वास्थ्य ख़तरों को बढ़ा देता है और नई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ पैदा करता है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में, केवल कुछ स्वास्थ्य संकेतकों को ध्यान में रखते हुए, जलवायु परिवर्तन के कारण अगले दशकों में प्रति वर्ष ढाई लाख अतिरिक्त मौतें होंगी.

WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने ऐसे गम्भीर तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, COP28 में एकत्रित प्रतिनिधियों से कहा कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य, समुद्र के बढ़ते स्तर और पिघलते हिमनदों के बारे में चर्चा के लिए, लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी. चर्चा में, इस तरह के जलवायु परिवर्तन के, मानव स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष प्रभावों को शामिल किया जाना चाहिए. 

कॉप28 में प्रथम समर्पित 'स्वास्थ्य दिवस' ने अनेक प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डाला है, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल, जलवायु कार्रवाई के लिए सार्वजनिक-निजी भागेदारी और प्रासंगिक वित्तीय व राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को सक्रिय बनाया जाना शामिल है.

स्वास्थ्य, पर्यावरण और वित्त मंत्रियों ने घोषणाएँ कीं और बिल गेट्स व अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी जैसी उल्लेखनीय हस्तियों के साथ भाषण दिए. येसभी दुबई के प्रतिष्ठित ऐक्सपो सिटी में अल वाहा सभागार में, मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर करने की ख़ातिर, कार्रवाई का एक रोडमैप तैयार करने के लिए एकत्र हुए.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “यद्यपि जलवायु संकट एक स्वास्थ्य संकट है, मगर यह बहुत देरी होने की बात है कि पिछले कॉप 27 सम्मेलन, स्वास्थ्य के मुद्दे पर गम्भीर चर्चा के बिना ही चले गए हैं. अब और देरी नहीं.'' 

उन्होंने लोगों को बढ़ते जलवायु प्रभावों से बचाने के लिए कार्यों में तेज़ी लाने के लिए, WHO की नई घोषणा का स्वागत दोहराया, जिसका शनिवार को, ‘विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन’ में नेताओं ने समर्थन किया था.

बदतर होते प्रभाव

जलवायु परिवर्तन, ताप लहरों, जंगल की आग, बाढ़, उष्णकटिबन्धीय तूफ़ान और तूफ़ानों की चपेट में आईं, मानवीय आपात स्थितियों में, सीधे तौर पर अपनी भूमिका निभा रहा है. ये और इसी तरह के जलवायु झटके,पैमाने, आवृत्ति और तीव्रता में बढ़ ही रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, तीन अरब से अधिक लोग, पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रति अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में रहते हैं.

2030 और 2050 के बीच, जलवायु परिवर्तन के कारण, प्रति वर्ष केवल कुपोषण, मलेरिया, दस्त और गर्मी के तनाव से, हज़ारों अतिरिक्त मौतें होने की आशंका है.

स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर यह प्रभाव, दुनिया भर में महसूस किया जा रहा है, और आदिवासी समुदाय अक्सर इसका खामियाज़ा भुगतते हैं.

'हमारी बात सुनें और सम्मान करें'

रियूडजी काइयाबी, ब्राज़ील के एक आदिवासी समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं, जो जलवायु परिवर्तन से बड़े पैमाने पर प्रभावित है.
UN News/Sachin Gaur

यूएन न्यूज़ ने ब्राज़ीलियाई युवा संगठन 'एंगाजामुंडो' के एक प्रतिनिधि रियुडजी काइयाबी से बात की. यह एक युवा नेतृत्व वाला समूह है जो सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केन्द्रित करता है.

रियुडजी काइयाबी, काइबी युदजा लोगों के समूह से सम्बन्धित हैं, जो ब्राज़ील के एल्डेया पैकवीज़ल, ज़िंगू, माटो ग्रॉसो क्षेत्र में बसते हैं. इस क्षेत्र में तीन मुख्य पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं: सेराडो, पैंटानल और ऐमेज़ॉन वर्षावन.

उन्होंने जलवायु परिवर्तन के उनकी मातृभूमि को प्रभावित करने के तरीक़ों की एक सशक्त तस्वीर पेश करते हुए कहा, “भले ही हमारा समुदाय जंगलों से घिरा हुआ है, फिर भी परिवर्तन हम पर बहुत प्रभाव डाल रहे हैं. हम बहुत अधिक गर्म लहरें देख रहे हैं, हमारे बाग़ान ख़त्म हो रहे हैं, समुदाय पीड़ित है. नदी सूखने लगी है, मछलियाँ मर रही हैं, और जानवर अब जीवित नहीं रह सकते हैं.''

“यह कॉप सम्मेलन में मेरा पहला मौक़ा है, और एक आदिवासी युवा के रूप में मेरा इरादा सिर्फ़ अपने क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बदलाव देखना है. हमारा अनुरोध सुना जाना चाहिए, उसका सम्मान किया जाना चाहिए, और निर्णय लेते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए.''

जलवायु प्रभावों के लिए सहनक्षमता

डॉक्टर टैड्रॉस ने मंत्रिस्तरीय बैठक में अपनी टिप्पणी देते हुए, कई तत्वों पर प्रकाश डाला, जो स्वास्थ्य और जलवायु चुनौती से निपटने के लिए प्रभावी कार्रवाइयों के लिए महत्वपूर्ण हैं:

उन्होंने ध्यान दिलाया कि नेताओं को यह समझना चाहिए कि स्वास्थ्य और जलवायु प्रभावों के सम्बन्ध पर ध्यान केन्द्रित करना महत्वपूर्ण है, ताकि स्वास्थ्य को जलवायु नीतियों में मुख्यधारा में लाया जा सके.

समुदायों के साथ जुड़ाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसमें हाशिए पर रहने वाले और कमज़ोर समुदाय भी शामिल हैं, जो अक्सर जलवायु चुनौती से प्रभावित होने वालों में अग्रिम पंक्ति पर हैं.

"शमन और अनुकूलन प्रयासों में उनके दृष्टिकोण को शामिल किया जाना चाहिए." इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर निवेश महत्वपूर्ण होगा.

डॉक्टर टैड्रॉस ने देशों के बीच सहयोग की जीवन्तता, अन्य देशों के सफल उदाहरणों से सीखना और फिर उन्हें स्थानीय सन्दर्भों में लागू करने पर भी ज़ोर दिया.

उन्होंने रेखांकित किया, आगे का रास्ता स्पष्ट है: "हमें पहिये को दोबारा बनाने की ज़रूरत नहीं है."