टिकाऊ पृथ्वी की आशाओं को धूमिल होने से रोकना ज़रूरी – यूएन प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि इस सप्ताह दुबई में आरम्भ होने वाले यूएन जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप28) में वैश्विक तापमान में वृद्धि के घातक चक्र को तोड़ा जाना होगा. उनके अनुसार, एक टिकाऊ पृथ्वी के लिए लोगों की आशाओं को पिघलने से रोकने के लिए यह ज़रूरी है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सोमवार को न्यूयॉर्क मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने स्वयं, अंटार्कटिका क्षेत्र में जमे हुए पानी के पिघलने की ‘स्तब्धकारी’ गति का अनुभव किया.
वर्ष 1990 के दशक के शुरुआती सालों की तुलना में यह अब तीन गुना हो चुकी है.
नए आँकड़े दर्शाते हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जमे हुए समुद्री जल की मात्रा, वर्ष में इस समय के औसत की तुलना में 15 लाख वर्ग किलोमीटर कम है.
यह क्षेत्र कुल मिलाकर, पुर्तगाल, स्पेन, फ़्राँस और जर्मनी को मिलाकर बने सतह क्षेत्रफल के समान है.
महासचिव ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अंटार्कटिका में जो कुछ घटित होता है, वह केवल वहीं तक सीमित नहीं रहता.
“हम एक आपस में जुड़ी हुई दुनिया में रहते हैं. जमे हुए समुद्री जल के पिघलने का अर्थ है, समुद्री जलस्तर का बढ़ना. और उससे सीधे तौर पर विश्व भर में, तटीय समुदायों के जीवन व आजीविका पर ख़तरा है.”
उन्होंने कहा कि यह केवल बाढ़ और खारे जल से भोजन व जल आपूर्ति पर होने वाले असर तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे द्वीपों और तटीय इलाक़ों में बसे शहरों के अस्तित्व पर भी जोखिम है.
चिन्ताजनक वृद्धि की ओर
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण में कोई कमी नहीं है, और इस वजह से दुनिया, इस सदी के अन्त तक वैश्विक तापमान में 3 डिग्री सेल्सियस की अनर्थकारी वृद्धि की ओर बढ़ रही है.
“अगर हम ऐसे ही जारी रखते हैं, और मैं मज़बूती से आशा करता हूँ कि हम ऐसा नहीं करेंगे, तो ग्रीनलैंड और पश्चिमी अंटार्कटिका में जमे हुए पानी की चादर एक घातक कगार बिन्दु से पार पहुँच जाएंगी.” यह स्तर में 10 मीटर की वृद्धि के हैरान कर देने वाले को प्रदर्शित करता है.
इस घातक कुचक्र का अर्थ है: जमे हुए पानी की घटती मात्रा के साथ तापमान वृद्धि की गति में तेज़ी, और चरम मौसम घटनाओं में बढ़ोत्तरी.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि दुबई में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप28) में विश्व नेताओं को यह चक्र तोड़ना होगा.
समाधानों पर बल
यूएन प्रमुख ने दोहराया कि जलवायु चुनौती से निपटने के लिए समाधानों से हम भली-भांति परिचित हैं.
वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना होगा, लोगों को जलवायु अराजकता से बचाना होगा, और जीवाश्म ईंधन के युग का अन्त करना होगा.
नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को तीन गुना करने के लिए एक वैश्विक समझौते, ऊर्जा दक्षता को दोगुना करके और 2030 तक सर्वजन तक स्वच्छ ऊर्जा पहुँचा कर इसे साकार किया जा सकता है.