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ग़ाज़ा में लोगों के पास 'कोई भी सुरक्षित विकल्प' नहीं, UNRWA

ग़ाज़ा में बहुत से विस्थापित फ़लस्तीनी, UNRWA के स्कूलों में पनाह लिए हुए हैं.
UN News
ग़ाज़ा में बहुत से विस्थापित फ़लस्तीनी, UNRWA के स्कूलों में पनाह लिए हुए हैं.

ग़ाज़ा में लोगों के पास 'कोई भी सुरक्षित विकल्प' नहीं, UNRWA

शान्ति और सुरक्षा

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित दो स्कूलों को, गत सप्ताहान्त के दौरान, सघन युद्ध जारी रहते हुए, सीधे तौर पर हमलों का निशाना बनाया गया. पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में, भारी बारिश होने के कारण, आम लोगों की तकलीफ़ों का पहाड़ और विशाल होता जा रहा है. यूएन एजेंसियों दोहराया है कि ग़ाज़ा में, लोगों के लिए कोई भी सुरक्षित स्थान नहीं है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी - UNRWA ने सोमवार को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि आश्रय स्थलों में स्थिति को "रहने योग्य नहीं" है.

एजेंसी ने कहा है कि ग़ाज़ावासियों के पास सुरक्षा के लिए कोई विकल्प नहीं हैं, और एजेंसी ने यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों की ये चेतावनियाँ दोहराई हैं कि ग़ाज़ा में, आम लोगों के लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है.

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इसराइल में, 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद छिड़े युद्ध में, इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ाज़ा से लोगों को निकल जाने के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं.

हमास के उस हमले में 1,200 लोग मारे गए थे और 240 लोगों को बन्धक बना लिया गया था. उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में 11,000 से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं.

आश्चर्यजनक पलायन

उपग्रह से मिली तस्वीरों में नज़र आता है कि भारी संख्या में लोग, युद्ध में तबाह हुई इमारतों के आसपास से गुज़रते हुए सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन कर रहे हैं, जबकि ज़मीनी तस्वीरों में, लोग अपना सामान लेकर पैदल ही चलते नज़र आ रहे हैं. एक तस्वीर में एक महिला अपने दो बच्चों को, कार की सीटों पर खींचते हुए नज़र आती है.

UNRWA मामलों के निदेशक टॉम व्हाइट ने, अमेरिकी मीडिया चैनल - एबीसी को रविवार को बताया कि 7 अक्टूबर के बाद से, UNRWA के 13 ऐसे आश्रय स्थलों को हमलों का निशाना बनाया गया है जहाँ संयुक्त राष्ट्र का ध्वज प्रदर्शित किया गया था.

इनके अलावा अन्य अनगिनत आश्रय स्थल भी हमलों की चपेट में आए हैं, इनमें से अनेक दक्षिणी ग़ाज़ा में हैं, जहाँ लोगों को वहाँ से निकल जाने के लिए कहा गया है.

आश्रय स्थलों में अनेक की मौतें

UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने रविवार को बताया था कि 7 अक्टूबर के बाद से, एजेंसी के स्कूलों पर इसराइली बमबारी में, वहाँ पनाह लिए हुए लोगों में से 176 की मौत हो चुकी है और 800 से अधिक घायल हुए हैं.

एजेंसी के अधिकारी टॉम व्हाइट ने कहा है, "वास्तविकता ये है कि ग़ाज़ावासियों के पास, सुरक्षा की ख़ातिर कोई विकल्प नहीं, वो सभी युद्ध के ख़तरे की चपेट में हैं, विशेष रूप में, हवाई हमलों की."

UNRWA के अनुसार, 8 लाख 80 हज़ार से अधिक विस्थापित लोगों ने, एजेंसी के 154 ठिकानों में पनाह ली हुई है. ग़ाज़ा की 23 लाख की कुल आबादी में से लगभग 15 लाख लोग विस्थापित हैं.

ग़ाज़ा में जारी युद्ध में, UNRWA के अभी तक 104 कर्मचारी भी मारे जा चुके हैं. 

UNRWA के निदेशक टॉम व्हाइट ने कहा है, "पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में, घरों व मकानों को निशाना बनाया गया है."

उन्होंने कहा कि लोगों की मुख्य चिन्ता ये है कि "भले ही वो ग़ाज़ा के उत्तरी या दक्षिणी हिस्से में हैं, क्या वो सुरक्षित हैं."