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टीबी का 'अन्तिम अध्याय' लिखने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की दरकार

विश्व भर में, 2022 में 75 लाख लोगों में टीबी संक्रमण की पुष्टि हुई.
UN Photo/Loey Felipe
विश्व भर में, 2022 में 75 लाख लोगों में टीबी संक्रमण की पुष्टि हुई.

टीबी का 'अन्तिम अध्याय' लिखने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की दरकार

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में तपेदिक (टीबी) के निदान और उपचार सेवाओं का स्तर बढ़ाने के प्रय में काफ़ी हद तक बेहतरी दर्ज की गई है. वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण टीबी सेवाओं पर नकारात्मक असर हुआ था, मगर अब स्थिति में सुधार नज़र आने लगा है. इसके बावजूद, टीबी का उन्मूलन करने के लिए अभी और क़दम उठाए जाने होंगे. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को अपनी नवीनतम ‘WHO Global Tuberculosis Report’ जारी की है, जिसके अनुसार, 2022 में कुल 75 लाख लोगों में टीबी बीमारी की पुष्टि हुई. 1995 में वैश्विक निगरानी व्यवस्था की शुरुआत होने के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा आँकड़ा है.

टीबी एक संक्रामक रोग है, जो मुख्यत: फेफड़ों को प्रभावित करता है. यह एक प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से होता है, संक्रमित लोगों के खांसने, छींकने या थूकने पर हवा के ज़रिये फैलता है. टीबी की रोकथाम और इलाज सम्भव है. 

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192 देशों से प्राप्त डेटा पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार, टीबी के निदान मामलों में दर्ज किए गए उछाल में एक बड़ा योगदान अनेक देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में बेहतरी बताई गई है. 

वर्ष 2020 और 2021 में टीबी के नए मामलों का पता चलने में वैश्विक स्तर पर गिरावट आई थी, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक भारत, इंडोनेशिया और फ़िलिपींस में दर्ज कि

अब इन सभी देशों में सुधार हुआ है और निदान मामले वर्ष 2019 के स्तर से भी ऊपर हो गए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया कि टीबी ने कई सदियों से अनेक पीढ़ियों को जकड़ कर रखा, लोग पीड़ा का शिकार हुए और रोग या उसकी रोकथाम का पता लगे बिना ही उनकी मौत हो गई.

“आज, हमारे पास वो ज्ञान और उपकरण हैं, जिनका वे केवल सपना ही देख सकते थे.” 

“हमारे पास राजनैतिक संकल्प है, और हमारे पास एक अवसर है जोकि मानवता के इतिहास में किसी पीढ़ी के पास नहीं रहा: टीबी की कथा के अन्तिम अध्याय को लिखने का अवसर.”  

विशाल चुनौती

पिछले वर्ष विश्व भर में एक करोड़ छह लाख लोग टीबी से बीमार हुए, जबकि 2021 में यह संख्या एक करोड़ तीन लाख था. इनमे से अधिकाँश यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र, अफ़्रीका और पश्चिमी प्रशान्त में हैं, जोकि कुल मिलाकर 90 फ़ीसदी मामले हैं. 

इसके अलावा, पूर्वी भूमध्यसागर, अमेरिका और योरोप क्षेत्र में कम संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं.

टीबी सम्बन्धी कारणों से होने वाली मौतों की कुल संख्या, वर्ष 2022 में 13 लाख थी, जोकि 2021 में 14 लाख से कम है. इनमें एचआईवी की अवस्था में रहने वाले लोग भी हैं.

मगर, कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुए व्यवधान के परिणामस्वरूप, 2020-2022 की अवधि में लगभग पाँच लाख अतिरिक्त मौतें हुई. एचआईवी के साथ जीवन गुज़ार रहे लोगों के लिए यह अब भी एक घातक बीमारी हैं.   

इस बीच, MDR-TB (multidrug-resistant TB) एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बना हुआ है, यह टीबी का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें अनेक दवाओं का कोई असर नहीं होता है.

समुचित निवेश पर बल

पिछले वर्ष, चार लाख 10 हज़ार से अधिक लोगों में यह बीमारी या फिर एक अन्य प्रकार देखा गया, जोकि एंटीबायोटिक rifampicin प्रतिरोधी है, मगर हर पाँच में केवल दो मरीज़ों का ही उपचार हो पाया.  

टीबी की जाँच, दवा और वैक्सीन को विकसित करने में कुछ प्रगति दर्ज की गई है, मगर इन प्रयासों में निवेश का स्तर फ़िलहाल पर्याप्त नहीं है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि टीबी के विरुद्ध लड़ाई में वर्ष 2000 से अब तक साढ़े सात करोड़ ज़िन्दगियों को बचाया गया है, लेकिन कार्रवाई का स्तर बढ़ाना होगा, चूँकि कोविड-19 के बाद यह 2022 में दूसरी सबसे जानलेवा संक्रामक बीमारी थी.  

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन वर्ष 2018 में स्थापित किए गए वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने से यह दूर है.

उदाहरणस्वरूप, 2015 से 2022 के दौरान, टीबी सम्बन्धी मौतों में नैट गिरावट 19 फ़ीसदी थी, जोकि 2025 तक 75 प्रतिशत की कमी लाने के लक्ष्य से कहीं कम है.