टीबी संक्रमण में कमी, मगर बीमारी का विकराल रूप बरक़रार
संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वर्ष 2018 में तपेदिक (टीबी) बीमारी के कारण 15 लाख लोगों की मौत हुई जो दर्शाता है कि इस बीमारी से निपटना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. यूएन एजेंसी ने अपनी नई रिपोर्ट में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए ज़्यादा संसाधन निवेश किए जाने और राजनैतिक समर्थन की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
‘Mycobacterium tuberculosis’ नामक बैक्टीरिया की वजह से टीबी संक्रमण होता है जिसके लक्षण लगातार खांसी, थकान और वज़न गिरने के रूप में सामने आते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट’ बताती है कि वर्ष 2018 में टीबी संक्रमण के एक करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए और 30 लाख से ज़्यादा ऐसे पीड़ित हैं जिनकी आवश्यकतानुसार देखरेख नहीं हो रही है.
WHO’s latest Global Tuberculosis Report, released today, shows that 2018 saw a reduction in the number of #TB deaths: 1.5 million people died from TB in 2018, down from 1.6 million in 2017.https://t.co/lyFkR39FOe#EndTB pic.twitter.com/oEj5mV7rIJ
WHO
इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित देशों में चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाईजीरिया, पाकिस्तान, फ़िलिपींस और दक्षिण अफ़्रीका शामिल हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि टीबी बीमारी के भारी बोझ से पीड़ित ब्राज़ील, चीन, रूस और ज़िम्बाब्वे में वर्ष 2018 तक उपचार का स्तर 80 फ़ीसदी तक पहुंच गया है.
वर्ष 2018 में टीबी का प्रकोप 2017 में तुलना में थोड़ा कम था लेकिन ग़रीब और वंचित जनसमूहों में टीबी संक्रमण अब भी बहुत अधिक है – विशेषकर एचआईवी से पीड़ित लोगों में.
इस स्थिति के पीछे मुख्य वजह टीबी के इलाज का ख़र्च बताया गया है.
आंकड़े दर्शाते हैं कि टीबी से बुरी तरह प्रभावित देशों 80 फ़ीसदी से ज़्यादा मरीज़ अपनी कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा उपचार पर ख़र्च करते हैं.
इलाज में दवाई का असर ना कर पाना एक नई चुनौती है और वर्ष 2019 में टीबी के पांच लाख से ज़्यादा ऐसे मामले सामने आए जिनमें इलाज के दौरान दवाई ने काम नहीं किया.
मज़बूत प्रणाली और बेहतर देखरेख
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के तहत वर्ष 2030 तक टीबी के अंत के लिए प्रगति को तेज़ करना होगा.
इसके लिए मज़बूत स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं को सुलभ बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है. इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में नए सिरे से निवेश करने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए संकल्प लेना होगा.
सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में बैठक के दौरान राष्ट्राध्यक्षों ने सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने और संचारी रोगों जैसे टीबी, एचआईवी और मलेरिया से निपटने का संकल्प लिया था.
इन प्रयासों के मद्देनज़र यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मुहिम की पुकार लगाई है ताकि कई बीमारियों का निदान और इलाज एक साथ किया जा सके.
उदाहरण के तौर पर एकीकृत ढंग से एचआईवी और टीबी के उपचार कार्यक्रम चलाने से टीबी से पीड़ित दो-तिहाई मरीज़ों को अब अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में जानकारी है, जिसके लिए अब वह अपना इलाज करा रहे हैं.
वर्ष 2018 में टीबी से पीड़ित 70 लाख लोगों का इलाज किया गया जबकि 2017 में यह संख्या 64 लाख थी.
स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का कहना है कि ये परिणाम दर्शाते हैं कि अगर सभी देश मिलकर प्रयास करेंगे तो वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने की मंज़िल तक पहुंचा जा सकता है.
‘Find.Treat.All.EndTB’, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, स्टॉप टीबी पार्टनरशिप, और ग्लोबल फ़ंड टू फ़ाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया की संयुक्त पहल है जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 टीबी का अंत करना है.
टीबी पर रिसर्च के लिए एक अरब 20 करोड़ डॉलर जबकि उसकी रोकथाम और देखरेख के लिए तीन अरब 30 करोड़ डॉलर की धनराशि का अभाव आंका गया है.