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अफ़ग़ानिस्तान: मानवाधिकारों के समक्ष विशाल चुनौतियाँ, तत्काल क़दम उठाए जाने पर बल

अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद में एक माँ को WFP द्वारा अपने परिवार के लिए आखिरी भोजन राशन मिलने के बाद.
© WFP/Mohammad Hasib Hazinyar
अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद में एक माँ को WFP द्वारा अपने परिवार के लिए आखिरी भोजन राशन मिलने के बाद.

अफ़ग़ानिस्तान: मानवाधिकारों के समक्ष विशाल चुनौतियाँ, तत्काल क़दम उठाए जाने पर बल

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि अनेक मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान में, तालेबान की दमनकारी नीतियों व तौर-तरीक़ों के कारण मानवाधिकारों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर रिचर्ड बैनेट ने मंगलवार को महासभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में दंडमुक्ति की भावना है, मानवीय व आर्थिक संकट जारी है, हाल ही में आए भीषण भूकम्पों से स्थिति और जटिल हुई है, और बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों को उनके देश वापिस भेजे जाने की सम्भावना है.​

रिचर्ड बैनेट ने कहा कि ये परिस्थितियाँ दर्शाती हैं कि अफ़ग़ानिस्तान और क्षेत्र में लोगों की पीड़ा ना बढ़ाने और सम्भावित अस्थिरता से बचने के लिए तत्काल क़दम उठाए जाने होंगे. 

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मानवाधिकार विशेषज्ञ के अनुसार, हाल ही में आए भूकम्पों से हेरात प्रान्त में पहले से ही संवेदनशील हालात का सामना करने वाले समुदायों पर गम्भीर असर हुआ है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से ज़रूरी सहायता सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है.

“एक गम्भीर तस्वीर उभरी है, जोकि एक झलक देती है कि अनेक अफ़ग़ानों, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों और मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों, जातीय व भाषाई अल्पसंख्यकों, एलजीबीटीआई व्यक्तियों, विकलांगजन, पूर्व सरकारी अधिकारों और सैन्य व सुरक्षाकर्मियों समेत अन्य समूहों के मानवाधिकारों के लिए आगे क्या हो सकता है.”

विशेष रैपोर्टेयर ने बताया कि हिरासत केन्द्रों में यातना और अमानवीय बर्ताव, और पूर्व सरकारी अधिकारियों व सैन्यकर्मियों के विरुद्ध मानवाधिकार हनन के लिए दंडमुक्ति की संस्कृति है, जबकि वादे इसके उलट किए गए थे.

रिचर्ड बैनेट ने यूएन महासभा को सचेत किया कि अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे अफ़ग़ानों को अब भी हिरासत में रखा जा रहा है.

अधिकारों पर संकट

विशेष रैपोर्टेयर ने छठी कक्षा के बाद लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई, महिलाओं के लिए कॉलेज में पढ़ाई फिर से शुरू करने का आग्रह किया, और ध्यान दिलाया कि तालेबान ने बार-बार कहा है कि ये पाबन्दियाँ, अस्थाई तौर पर लागू की गई थीं.

विशेष रैपोर्टेयर ने शिक्षा की गुणवत्ता का मुद्दा भी उठाया, और कहा कि तालेबान द्वारा शिक्षा को केवल मदरसे, धार्मिक विषयों तक सीमित करने की नीति अपनाए जाने से, बच्चे नए कौशल सीखने व ज्ञान पाने से वंचित होंगे.

साथ ही, बेरोज़गारी और निर्धनता के साथ मिलकर, ऐसी नीतियाँ कट्टरपंथी विचारों की बुनियाद तैयार कर सकती हैं, जिससे घरेलू आतंकवाद और क्षेत्रीय व वैश्विक अस्थिरता का जोखिम बढ़ेगा.

रिचर्ड बैनेट ने कहा कि अनेक अफ़ग़ान समूहों ने उनके साथ अपनी चिन्ता साझा की है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, हालात को सामान्य मानकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, और भूराजनैतिक हितों के मद्देनज़र, मानवाधिकार चिन्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है.  

रिचर्ड बैनेट ने आशा जताई कि सदस्य देश, मानवाधिकारों और अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों के साथ मज़बूती से खड़े होकर, उन्हें ग़लत साबित करेंगे. 

मानवाधिकार विशेषज्ञ

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ रिचर्ड बैनेट ने आधिकारिक रूप से 1 मई, 2022 से अपना दायित्व संभाला. उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं, जिनमें यूएन सहायता मिशन (UNAMA) के मानवाधिकार सेवा के प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल भी है.

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.