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एआई विश्लेषण में सामने आईं, विश्व की तीन सार्वभौमिक चिन्ताएँ

यह ‘शब्द समूह’ दर्शाता है कि यूएन महासभा की बहस में कौन से मुद्दे प्रमुखता से उभरे.
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यह ‘शब्द समूह’ दर्शाता है कि यूएन महासभा की बहस में कौन से मुद्दे प्रमुखता से उभरे.

एआई विश्लेषण में सामने आईं, विश्व की तीन सार्वभौमिक चिन्ताएँ

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के दौरान राष्ट्राध्यक्षों, सरकार प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने अपनी बात दुनिया के सामने रखी है, और यूएन ने उन्हें सुना. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के ज़रिए किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, जलवायु, विकास और शान्ति से जुड़े मुद्दे, सार्वभौमिक चिन्ता के विषय के रूप में उभरे हैं. 

संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक संचार विभाग (DGC) की डिजिटल एवं प्रमोशन टीम के प्रमुख जोआखिम हैरिस ने बताया कि यह अहम है कि हम सदस्य देशों की चिन्ताओं से जुड़े मुद्दों को, ना केवल वैश्विक स्तर पर समझें, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी. 

इसके लिए प्राथमिकताओं और प्रमुखता के बीच के भेद को समझना होगा. 

उनकी टीम ने गत सितम्बर में, 78वें सत्र की वार्षिक उच्च स्तरीय बहस के दौरान सभी सम्बोधनों से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण किया.

यूएन महासभा के मंच से 178 विश्व नेताओं और मंत्रियों ने अपनी प्राथमिकताओं व देश के लिए अहम मुद्दों का उल्लेख किया. इनके आधार पर, डिजिटल टीम ने, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए मुद्दों का एक विश्लेषण किया. 

इसके नतीजे कुछ इस प्रकार रहे:

अफ़्रीका

अफ़्रीकी नेताओं के सम्बोधनों में जलवायु और विकास प्रमुखता से उभरा, और सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा था.

लेकिन अफ़्रीकी महाद्वीप स्वयं में ऐसा विषय था जिसका सबसे अधिक उल्लेख किया गया.

एशिया व प्रशान्त

एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में स्थित देशों व अन्य क्षेत्रों के लिए भी सहयोग व बहुपक्षवाद, साझा थीम के रूप में उभरे, जोकि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रचनात्मक सहयोग के संकल्प को परिलक्षित करते हैं.

मौजूदा संस्थाओं में सुधार लागू किए जाने की मांग भी सुनी गई और अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं की प्रभावशीलता को बेहतर बनाने के लिए प्रयास जारी रखने की आकांक्षा व्यक्त की गई.

लातिन अमेरिका व कैरीबियाई

लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में स्थित सदस्य देशों के लिए जलवायु मुद्दे का सबसे अधिक बार उल्लेख किया गया.

इसके अलावा, विकास व शान्ति से जुड़े मुद्दे भी उनके सम्बोधनों में छाए रहे.

पूर्वी योरोप

वैश्विक स्तर पर जलवायु एक अग्रणी मुद्दा साबित हुआ जिसका अक्सर ज़िक्र किया गया. मगर, पूर्वी योरोप के देशों में यूक्रेन में जारी युद्ध का सर्वाधिक उल्लेख किया गया, और काराबाख़ भी उभरा, जोकि वहाँ मौजूदा उथल-पुथल को दर्शाता है. 

पश्चिमी योरोप व अन्य सदस्य देश

पश्चिमी योरोप व अन्य सदस्य देशों के नेताओं ने मुख्यत: जलवायु और शान्ति से जुड़ी चुनौतियों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया.

इसके अलावा, मानवाधिकार, कृत्रिम बुद्धिमता और यूक्रेन में युद्ध भी प्रमुखता से उभरे.