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ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, यूएन महासभा के 78वें सत्र को सम्बोधित करते हुए. (19 सितम्बर 2023).

UNGA78: ईरान के राष्ट्रपति ने, ‘मध्य पूर्व में दख़ल’ के लिए की, पश्चिमी देशों की आलोचना

UN Photo/Cia Pak
ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, यूएन महासभा के 78वें सत्र को सम्बोधित करते हुए. (19 सितम्बर 2023).

UNGA78: ईरान के राष्ट्रपति ने, ‘मध्य पूर्व में दख़ल’ के लिए की, पश्चिमी देशों की आलोचना

यूएन मामले

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने यूएन महासभा के 78वें सत्र की वार्षिक उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए ग़ैर-पश्चिमी ताक़तों के उभार पर चर्चा करते हुए, क्षेत्रीय आर्थिक और सुरक्षा साझेदारियों के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने साथ ही, फ़लस्तीनी इलाक़ों पर जारी इसराइली क़ब्ज़े की निन्दा भी की.

सोच की धुरी बदली

सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा कि विश्व अब एक ऐसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुँच रहा है जहाँ पश्चिमी देशों से इतर देशों की उभरती व्यवस्था में, देश एक दूसरे के साथ निकट आर्थिक और राजनैतिक सम्बन्ध बनाने के प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “वैश्विक पटल पर अब एक वैकल्पिक अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था का उभार होता नज़र आ रहा है, जोकि एक ऐसी यथास्थिति है, जिसे पलटा नहीं जा सकता है.”

“पश्चिमी देशों से इतर देशों की व्यवस्था जैसे-जैसे उभर रही है, तो एक नवीन व समान विश्व व्यवस्था के लिए सामूहिक आशा भी उभरी है. इस्लामी गणराज्य ईरान अधिकतम आर्थिक व राजनैतिक सम्मिश्रण की हिमायत करता है और वैश्विक समुदाय के साथ, न्याय के सिद्धान्त के अन्तर्गत संवाद करने में रुचि रखता है.”

इब्राहीम रईसी ने कहा कि परस्पर राजनैतिक विश्वास, आर्थिक सहयोग, और प्रासंगिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से, क्षेत्रीय साझीदारों के लक्ष्य, अधिक आसानी से हासिल किए जा सकते हैं.

ईरान के राष्ट्रपति ने इस्लाम की पवित्र पुस्तक – क़ुरआन की एक प्रति हाथ में थामे हुए कहा, “ये पवित्र किताब इनसानियत के विवेक और आध्यात्मिकता की तरफ़ झुकाव व सत्य और न्याय की मशाल बुलन्द करती है... ये पुस्तक मानवता की  एकता पर ज़ोर देती है जिसमें पृथ्वी के तमाम बाशिन्दों को मानव गरिमा की तरफ़ प्रोत्साहित करती है... और इनसानों के बीच समानता की बात करती है.”

क्षेत्रीय साझेदारियाँ

इब्राहीम रईसी ने क्षेत्रीय स्थिरता की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए, ऐसे पड़ोसी देशों में सुरक्षा को रेखांकित किया, जिनके साथ ही, ईरान की सुरक्षा भी जुड़ी हुई है.

उन्होंने मध्य पूर्व क्षेत्र में, पश्चिमी देशों द्वारा स्थिरता को कमज़ोर करने के, तथाकथित प्रयास की आलोचना की और दावा किया कि पश्चिमी देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ “एक लक्षित तरीक़े से” पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में, आतंकवादियों को भेज रही हैं.

उन्होंने कहा, “कुछ निश्चित पश्चिमी देशों द्वारा एक राजनैतिक हथियार के रूप में, आतंकवादियों के आक्रामक प्रयोग पर, क्षेत्र के लोगों की सामूहिक इच्छा के ज़रिए क़ाबू पाया जाएगा.”

ईरान ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर, पड़ोसी देशों में विदेशी हस्तक्षेप करने का विशेष आरोप लगाया और अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए, क्षेत्रीय मामलों में पश्चिमी देशों के सैन्य हस्तक्षेप के मानवीय प्रभाव को रेखांकित किया.

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, “एक स्वतंत्र और स्वस्थ व मज़बूत पड़ोस, पूरे क्षेत्र के लिए एक अवसर पेश करता है. हम अपनी तरफ़ बढ़ने वाले हाथ का, ज़ोरदार स्वागत करेंगे.”

येरूशेलेम पर तनाव

सैयद इब्राहीम रईसी ने फ़लस्तीनी क्षेत्रों – पश्चिमी तट और ग़ाज़ा पट्टी पर इसराइल के क़ब्ज़े की कड़ी निन्दा की और इस क़ब्ज़े को फ़लस्तीनी जन के बुनियादी अधिकारों की अनदेखी क़रार दिया. उन्होंने एक फ़लस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दिए जाने की ज़रूरत को रेखांकित किया और फ़लस्तीनी इलाक़ों से, इसराइली सैनिकों और वहाँ बसे यहूदी वासियों को हटाए जाने पर ज़ोर दिया. 

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, “क्षेत्र के लोग स्वयं की सुरक्षा के लिए, ईरान को एक सुरक्षित साझीदार के रूप में देखते हैं और येरूशेलेम में क़ाबिज़ सत्ता को, क्षेत्र में अधिकतर हिंसा को भड़काने वाली ताक़त के रूप में देखा जाता है.”

उन्होंने कहा, “क्या फ़लस्तीनी ज़मीन पर लगभग साढ़े सात दशकों सले चले आ रहे क़ब्ज़े को समाप्त करने का समय नहीं आ गया है, जिसमें उनके घरों को ध्वस्त किया जाना, उनकी महिलाओं और उनके बच्चों का ख़ून बहाया जाना शामिल है. साथ ही ये समय फ़लस्तीनी लोगों को आधिकारिक रूप में एक देश के रूप में मान्यतका दिए जाने का भी है.”